देवर-ननद को दहेज के झूठे मामले में फंसाने वाली भाभी पर अदालत ने ठोंका जुर्माना
एडवोकेट विकास पाण्डेय
सतना, मप्र
दहेज प्रकरणों में पति के सगे-संबंधियों को जबरन आरोपी बनाने की प्रवृत्ति पर हाईकोर्ट ग्वालियर खंडपीठ ने एक महिला को कड़ी फटकार लगाई। इतना ही नहीं, गलत मामला बनाने के मामले में दोषी पाया तो उस पर जुर्माना भी ठोंक दिया।
झूठे मामलों में फंसाने से सख्ती से निपटें
जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा, ‘कोर्ट का मानना है कि अब समय आ गया है, जब पति के सगे-संबंधियों को झूठे मामलों में फंसाने की प्रवृत्ति से सख्ती से निपटा जाए।’ उन्होंने न केवल पति के छोटे भाई व बहन के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला निरस्त करने का आदेश दिया बल्कि एफआईआर दर्ज कराने वाली भाभी पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।
यह है मामला
बता दें कि एक महिला खुशबू ने 2017 में भिंड कोतवाली में पति प्रमोद के साथ देवर अजय और ननद पूजा के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया था।
आरोप लगाया कि 15 जुलाई 2005 को शादी हुई थी। विवाह के एक साल बाद ही ससुराल वाले पांच लाख रुपए मांगने लगे। मांग पूरी नहीं होने पर उसे मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। इससे तंग आकर वह मायके में रहने लगी।
इस शिकायत के खिलाफ देवर अजय व ननद पूजा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और उनके खिलाफ दायर एफआईआर निरस्त करने की मांग की। उनके वकील ने तर्क दिया कि पीड़िता खुशबू की शादी के समय अजय की उम्र 13 वर्ष और पूजा की उम्र 11 वर्ष थी। शादी के 12 साल बाद की शिकायत में केवल मानसिक व शारीरिक प्रताड़िना का आरोप लगाया है। ये नहीं बताया है कि कैसी प्रताड़ना दी जाती थी।
वकील ने यह भी दलील दी कि यह मामला समाज में बढ़ रही, उस प्रवृत्ति का जीवंत उदाहरण है, जिसमें पति के सगे-संबंधियों को भी दहेज के झूठे मामलों में जबरन लपेटा जाता है, चाहे वे नाबालिग ही क्यों न हों।
अब समय आ गया है: कोर्ट
हाईकोर्ट ने माना कि 13 साल का लड़का दहेज का मतलब जानता हो, मानना मुश्किल है।
याचिका में दिए तर्कों पर सहमति जताते हुए अदालत ने कहा कि न एफआईआर में, न सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दिए बयान में खुशबू ने अजय और पूजा के खिलाफ दहेज के लिए प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं।
कोर्ट ने माना कि आरोप निराधार हैं। वास्तविकता से कोसों दूर हैं क्योंकि यह मानना मुश्किल है कि 13 साल का लड़का दहेज का मतलब जानता है और एक महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित करता होगा।
कोर्ट ने एफआईआर निरस्त करने का आदेश देते हुए खुशबू पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने यह भी साफ किया कि इसमें से 4-4 हजार रुपए अजय व पूजा को बतौर क्षतिपूर्ति दिए जाएं। कोर्ट का कीमती समय बर्बाद करने कर शेष 2 हजार रुपए हाईकोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने होंगे।