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यूपी के सबसे खूंखार अपराधी, बाहुबली और दबंग

इंडिया क्राईम वेब टीम

लखनऊ, 06 मई 2021

जरायम की दुनिया के इन अपराधियों के बारे में  जानिए, जिनकी तलाश में यूपी पुलिस के जूते घिस चुके हैं।

उत्तर प्रदेश पुलिस को पूर्वांचल के कई अपराधियों के बारे में सटीक जानकारी नहीं है। कई अपराधी तो बीस सालों से फरार हैं, जिनकी ताजा तस्वीरें और सहयोगियों-दोस्तों की जानकारी नहीं है। 

यूपी के टॉप 25 अपराधियों की सूची पुलिस ने जारी की है। इसमें मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह, सुंदर भाटी सहित जैसे नाम शामिल हैं।

टॉप 25 सूची में 12 पश्चिमी यूपी के अनिल भाटी, अमित कसाना, अनिल दुजाना जैसे खतरनाक अपराधी शामिल हैं।

डीजीपी द्वारा जारी सूची में मुजफ्फरनगर का सरगना संजीव उर्फ जीवा लखनऊ जेल में बंद है।

इस सूची के मुताबिक नोएडा का सुंदर भाटी उर्फ नेताजी हमीरपुर जेल, नोएडा का अनिल दुजाना उर्फ अनिल नागर महाराजगंज जेल, नोएडा का अनिल भाटी कौशांबी जेल, नोएडा का सिंहराज भाटी फैजाबाद जेल, मुजफ्फरनगर का सुशील मूंछ कानपुर जेल, नोएडा का अंकित गुर्जर महाराजगंज जेल, गाजियाबाद का अमित कसाना नोएडा जेल, शामली का आकाश जाट गाजियाबाद जेल, मेरठ का उधम सिंह आजमगढ़ जेल, मेरठ का योगेश भदौड़ा सिद्धार्थनगर जेलऔर बागपत का अजीत उर्फ हप्पू बरेली जेल में बंद हैं।

अपराधियों की सूची में मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह, अतीक अहमद, त्रिभुवन सिंह, खान मुबारक, सलीम, सोहराब, रुस्तम, बब्लू श्रीवास्तव, उमेश राय, कुंटू सिंह, सुभाष ठाकुर, संजीव माहेश्वरी जीवा, मुनीर ने नाम भी दर्ज हैं। ये अपराधी भी जेलों में बंद हैं।

पश्चिमी यूपी के नामचीन गुंडे डेढ़ लाख का इनामी मेरठ का बदन सिंह बद्दो, मुन्ना बजरंगी हत्याकांड का आरोपी एक लाख का इनामी सुनील राठी, जेल में बंद मेरठ का भूपेंद्र बाफर, मेरठ का सुशील फौजी, मोनू जाट, मेरठ का शारिक और सलमान, एक लाख का इनामी नजाकत हैं।

उत्तर भारत के नामचीन अपराधी

अजीत महेन्द्र सिंह उर्फ हप्पू: ईनाम 50 हजार। बागपत निवासी अजीत पुराना शातिर हिस्ट्रीशीटर है। दो लोगों की एक साथ गोलियों से भून कर हत्या के बाद से अजीत पुलिस के निशाने पर है। अजीत पर 20 से अधिक मामले हैं। अजीत गैंग में 40 शूटर बताए जाते हैं। मेरठ, बागपत, कैराना और शामली में इसका आतंक है।

अजीम अहमद करीम खान: वाराणसी के चौबेपुर का निवासी है। पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया है। वाराणसी में कारोबारियों से रंगदारी वसूलता था। उसका इलाके में भारी आतंक है। शिवपुर क्षेत्र में एक मार्बल कारोबारी की हत्या के बाद पूर्वांचल में दहशत बन चली। दर्जनों कारोबारी और व्यापारी इसके डर से सुरक्षा घेरे में रहने के लिए मजबूर हैं। 50 हजार का ईनामी है। अजीम पर बनारस में ढेरों आपराधिक मुकदमे हैं। अजीम के पिता आरपीएफ में थे। मार्बल व्यवसायी की हत्या करने के बाद अजीम फरार है। इसके बाद, अजीम अहमद का नाम कई मामलों जैसे, लूट हत्या, फिरौती के कई मामलों सामने आया। अजीम ने गिरोह बना लिया है। गिरोह के साथ अजीम हत्या, लूट, अपरहण जैसे अपराध करता है।

अताउर्रहमान: गाजीपुर के मरहूपुर मोहम्मदाबाद का रहने वाला है। दो लाख का ईनामी बदमाश है। 2005 में विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में इसका नाम आया। बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का खासमखास रहा है। 1998 में वाराणसी के चर्चित कोयला कारोबारी रूंगटा की हत्या में भी इसका नाम आया था।

अतीक अहमद: इलाहाबाद निवासी अतीक अहमद बाहुबली नेता है। वह फूलुप से सांसद रह चुका है। 2014 में चुनाव आयोग को दिए हलफनामे के मुताबिक, उसके खिलाफ 42 मामले लंबित थे। इसमें हत्या की कोशिश, अपहरण और हत्या के आरोप हैं। इसमें बसपा विधायक राजूपाल की हत्या का मामला भी शामिल है।

कौशल कुमार कमलकांत चौबे: बलिया का महाक्रूर बदमाश है। ईनाम 2 लाख। बलिया निवासी कौशल कुमार चौबे का दखल पूर्वी यूपी के सरकारी विभागों में टेंडर लूट में रहता है। कौशल ने पीडब्ल्यूडी ऑफिस के अंदर एक साथ चार लोगों की हत्याएं की हैं। कौशल का भतीजा अवनीश चौबे भी उसके गिरोह में शामिल है। 10 साल से कौशल को पुलिस नहीं पकड़ पाई है।

गौरी यादव: चित्रकूट निवासी इस गुंडे पर एक लाख का ईनाम घोषित है।

धनंजय सिंह: धनंजय जौनपुर से सांसद रह चुके हैं। मुन्ना बजरंगी हत्याकांड के बाद उनकी पत्नी सीमा सिंह ने धनंजय सिंह पर हत्या कराने का आरोप लगाया। धनंजय सिंह रारी विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। 1990 में धनंजय 10वीं कक्षा में थे। तब उनके एक टीचर की हत्या करने का आरोप लगा। सरकारी ठेकों के चलते मारकाट और खून-खराबा करने के कई मामलों में धनंजय का नाम सामने आता रहा है। उस पर लखनऊ के हजरतगंज थाने में आधा दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं। धनंजय ने तीन शादी की हैं।

बदन सिंह बद्दो: मेरठ का यह शराब माफिया अनेक हत्याओं और लूट का आरोपी है। बद्दो मेरठ में पुलिस कस्टडी से फरार हो गया है। आज तक पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा है। ढाई लाख रुपए का ईनाम घोषित है।

बलराज गिरीराज सिंह: ईनाम 50 हजार। बुलंदशहर निवासी बलराज भाटी का आतंक यूपी, हरियाणा और दिल्ली में है। बलराज गिरोह में 10 शूटर हैं। 22 से अधिक मुकदमें बलराज पर दर्ज हैं। अपरहण व रंगदारी वसूली के कई मुकदमें दर्ज हैं। बलराज पर हत्या के भी चार मामले दर्ज बताए जाते हैं।

बाबुली कोल रामचरन: ईनाम 5 लाख। चित्रकूट निवासी बाबुली का आतंक यूपी और मध्यप्रदेश में है। उसके पास आधुनिक हथियार हैं। दोनों प्रदेशों की पुलिस साथ में कई बार उसे पकड़ने के लिए कोशिश कर चुकी है। बाबुली हर बार चकमा दे जाता है। उस पर हत्याएं, लूट और अपरहण के दर्जनों मामले दर्ज हैं। बाबुली कभी ददुआ गिरोह का मददगार था।

बिल्लू जगदीश दुजाना: ईनाम 50 हजार। बिल्लू गौतम बुद्ध नगर निवासी है। वह अनिज दुजाना गिरोह के लिए काम करता है। गिरोह सरगना अनिज दुजाना जेल में बंद है। गिरोह के लिए रंगदारी वसूलना, हत्या करने जैसे संगीन अपराध करता है। जमीनों पर कब्जा करके रंगदारी वसूली भी बिल्लू करता है। बिल्लू दिल्ली पुलिस के सामने एक बार समर्पण कर चुका है।

बीकेडी: बृजेश सिंह के परिवार का जानी दुश्मन गिरोह सरगना बीकेडी भी 50 हजार का ईनामी है। बीकेडी चौबेपुर के धौरहरा का निवासी है। बीकेडी ने बृजेश के चचेरे भाई सतीश सिंह को मार डाला था। बृजेश के खास पूर्व जिला पंचायत सदस्य अजय खलनायक पर बीकेडी ने गोलियां बरसाई थीं। बीकेडी फरार है। उसे मुन्ना बजरंगी का साथ मिलता रहा है। बीकेडी को पूर्वांचल के एक कद्दावर नेता का संरक्षण भी हासिल है। बीते दिनों एक कारोबारी से रंगदारी मांगने व उसके शो रूम पर फायरिंग के मामले में भी बीकेडी का नाम सामने आया था।

बृजेश सिंह: माफिया से माननीय बना है। वह उत्तरप्रदेश का एमएलसी है। बृजेश सिंह का पूरा नाम अरुण कुमार सिंह है। उसके पिता रविंद्र सिंह वाराणसी के रसूखदार थे। 27 अगस्त 1984 को वाराणसी के धरहरा में पिता की हत्या के बाद बृजेश ने बदला लेने के लिए अपराध जगत में आया। 27 मई 1985 को पिता के हत्यारे हरिहर सिंह को बृजेश ने मौत के घाट उतारा। इसके बाद से उसका खौफ बन गया। उस पर हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी जैसे कई मामले दर्ज हैं। 2008 में उड़ीसा से गिरफ्तार हुआ। इसके बाद राजनीति में आया।

मनीष: फिल्म अभिनेत्री मनीषा कोईराला के सचिव अजीत देवानी हत्याकांड में शामिल रहा है। वाराणसी के जंसा थाना क्षेत्र निवासी मनीष पर 50 हजार का ईनाम है। पेशी पर जाते समय पुलिस कस्टडी से मनीष फरार हो गया है। डॉन सुभाष ठाकुर के साथ उसने गंठबंधन कर रखा है। मनीष के फिलहाल मुंबई में होने की जानकारी मिलती है। 

मुख्तार अंसारी: मुख्तार पूर्वांचल के बाहुबली नेता है। वह मऊ विधानसभा से चार बार विधायक बना है। उस पर भाजपा नेता कृष्णानंद राय की हत्या का आरोप है। 1988 में उस पर हत्या का पहला आरोप लगा। बृजेश सिंह से उसकी बड़ी अदावत रही है, जिसके कारण पूर्वांचल में कई बार गैंगवॉर हुआ है। मुख्तार जेल में बंद है। वह लगातार आरोप लगा रहा है कि उसकी हत्या की साजिश रची जा रही है। मुन्ना बजरंगी की हत्या से बुरी तरह खौफ में आए मुख्तार अंसारी ने कई दिनों तक बांदा जेल की बैरक से कदम भी बाहर नहीं निकाले थे।

मोनू गुर्जर: ईनाम 1.50 लाख। कंकरखेड़ा, मेरठ निवासी मोनू गुर्जर शातिर अपराधी है। उसका गिरोह बहुत खतरनाक है। गैंग में 20 शूटर हैं। मोनू यूपी, पंजाब, हरियाणा, उत्तरांचल में अपराध करता है। मोनू गुर्जर पर तकरीबन  लूट, डकैती, अपरहण, हत्या के 80 मामले दर्ज हैं।

रईस अहमद: दशाश्मवमेध निवासी इस गुंडे पर 50 हजार का ईनाम है। डीआइजी आफिस, कानपुर के बाहर गुड्डू के साथ एक हिस्ट्रीशीटर शानू ओलंगा की दिनदहाड़े हत्या कर चुका है। 2019 में पेशी के दौरान कानपुर जाते समय पुलिस वैन से कूद कर भाग गया। 

रिंकू सिंह उर्फ विकास सिंह: इलाहाबाद के सोरांव निवासी है। इलाहाबाद, प्रतापगढ़ समेत आसपास के इलाकों में भारी खौफ बना हुआ है। पूर्वांचल के एक दबंग मंत्री के सरंक्षण में वारदात करता है। वह इलाहाबाद अदालत में सैकड़ों लोगों के सामने दिनदहाड़े हत्या कर भाग चुका है। पचास हजार का ईनामी है।

वाजिद काला: ईनाम 50 हजार। कैराना निवासी वाजिद काला मुकीम काला गिरोह का सदस्य है। उस पर हत्या, लूट, डकैती, अपरहण के 35 से ज्यादा मामले हैं। शामली, बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर में वाजिद का खासा आतंक है। 2016 में वाजिद पुलिस कस्टडी से फरार हो गया। तबसे पुलिस उसकी तलाश कर रही है।

विश्वास श्रीधर शर्मा उर्फ विश्वास नेपाली: ईनाम 50 हजार है। वाराणसी के विशेश्वरगंज इलाके का निवासी है। रंगदारी वसूली करता रहा है। माफिया मुन्ना बजरंगी के लिए वसूली करता रहा है। विश्वास ने नेपाल को ठिकाना बना रखा है। वहां ट्रैवल एजेंसी की आड़ में गुजर कर रहा है। पता चला है कि वह देश के फरार अपराधियों को नेपाल में छिपने में मदद करने के एवज में मोटी रकम वसूलता है। विश्वास के गिरोह में 22 शॉर्प शूटर बताए जाते हैं। विश्वास पर लूट, हत्या, रंगदारी और अपरहण के 30 से अधिक मुकदमें दर्ज हैं।

शहाबुद्दीन: यूपी पुलिस ने दो लाख रुपए का ईनाम रखा है। अताउर्रहमान का साथी है। उसी के गांव का निवासी है। अताउर्रहमान के साथ कृष्णानंद राय हत्याकांड में शामिल रहा है। 

सलीम नजीर अहमद उर्फ मुख्तार शेख: ईनाम 50 हजार। लखनऊ निवासी इस गुंडे का पूरे शहर में खासा आतंक है। सलीम और उसका गिरोह लूट, अपरहण और रंगदारी की वारदातें करता है। सलीम पर हत्या का भी आरोप है। पुलिस कई सालों से सलीम के पीछे पड़ी है लेकिन अभी तक पकड़ने में कामयाब नहीं हुई है।

सुंदर भाटी: सुंदर भाटी नोएडा के घंघोला निवासी है। उस पर नरेश भाटी और जय भगवान की हत्या का आरोप है। आरोप है कि वह जेल से गिरोह का संचालन करता है। मुन्ना बजरंगी हत्याकांड के बाद सुंदर भाटी गिरोह का नाम भी सामने आया है। आरोप लगता रहा है कि मुन्ना के साले की हत्या भी सुंदर भाटी के गिरोह ने की है। सुंदर भाटी गिरोह दिल्ली, यूपी और हरियाणा में सक्रिय है।

सुनील यादव: चोलापुर निवासी, पचास हजार का ईनाम है। चंदौली, वाराणसी में कई सनसनीखेज वारदातें कर गुजरा है। 2013 में अदालत में पेशी के बाद चंदौली से वाराणसी जेल लाते समय चौकाघाट से फरार हो गया।  तबसे इसका कोई सुराग नहीं है। यह अफवाह सुनी जाती है कि सुनील को उसके ही साथियों ने बिहार में मार डाला था।

हरीश बालियान: मुजफ्फरनगर के इस कुख्यात गिरोहबाज पर दो लाख का ईनाम है। उस पर लूट, हत्या के 30 से अधिक मामले हैं।

मुन्ना बंजरंगी का खात्मा:

9 जुलाई, 2018 को यूपी के बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या से उत्तर प्रदेश में हड़कंप मच गया था। मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने कई लोगों पर हत्या का आरोप लगाया। इस हत्याकांड में गहरी राजनीतिक साजिश की गंध भी कई लोग सूंघते रहे हैं। मुन्ना बजरंगी और उसकी पत्नी पहले से जेल में हत्या की आशंका जतते रहे हैं। मुन्ना बजरंगी पर सात लाख रुपए का ईनाम था।

आशु जाट गिरफ्तार:

ढाई लाख रुपए का ईनाम है। मिर्ची गैंग के सरगना आशु पर भाजपा नेता की हत्या समेत पश्चिमी उत्तरप्रदेश के थानों में जघन्य अपराधों के कई मामले दर्ज हैं। पुलिस के लिए आशु जाट बड़ी चुनौती बना हुआ था। मेरठ जोन के जिले गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, मथुरा, नोएडा, गौतम बुद्ध नगर, पुलिस के अलावा एसटीएफ भी आशु जाट की तलाश में लगी थी। भाजपा के पश्चिम क्षेत्र के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान महामंत्री अश्विनी त्यागी ने आशु जाट पर हापुड़ जिले के धौलाना में राकेश शर्मा समेत दो भाजपा नेताओं की हत्या के आरोप लगाए थे। उन्होंने प्रदेश संगठन, डीजीपी और मुख्यमंत्री के यह मामला सामने रख कर मांग की थी कि आशु को जल्द गिरफ्तार किया जाए। उसका गौरव चंदेल मर्डर केस में नाम आया था। आशु जाट की पत्नी पूनम, साथी उमेश को हापुड़ पुलिस ने 26 जनवरी को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। आशु बच कर भाग निकला। आशु ने 6 जनवरी 2020 की रात नोएडा में गौरव चंदेल की हत्या कर गाड़ी, लैपटॉप और कीमती सामान लूटा था। इस हत्याकांड में आशु का नाम आने के बाद प्रशासनिक अमले में खलबली मच गई थी। आशु से पहले मिर्ची गिरोह सरगना उसी का भाई भोलू जाट रहा है। एक नेता पर जानलेवा हमले के आरोप में भोलू जेल चला गया तो आशु गिरोह की कमान संभाली। पुलिस सूत्रों के मुताबिक मिर्ची गैंग में लगभग 80 सदस्य हैं। वे लूट, हत्या तथा छिनैती करते हैं।

मिर्ची गैंग का सरगना ‘कुख्यात किलर’ आशु जाट मुंबई से सितंबर 2020 के पहले सप्ताह में गिरफ्तार हो चुका है। जब आशु को गिरप्तार किया, तब वह मुंबई में दाढ़ी बढ़ा कर फल बेच रहा था। हत्या, लूट, अपहरण के आरोपी और मिर्ची गिरोह के सरगना आशु को मुंबई पलिस की अपराध शाखा की मदद से यूपी की हापुड़ पुलिस ने मुंबई के उपनगर जोगेश्वरी से गिरफ्तार किया। उसने घनी दाढ़ी बढ़ा ली थी, जिससे पहचान में नहीं आता था।

हत्या, लूट, अपहरण के 51 मामलों में आरोपी आशू की पत्नी और उसके गिरोह के अन्य सदस्यों को हापुड़ पुलिस ने कुछ समय पहले गिरफ्तार किया था।

आशु ने आरोप लगाया कि यूपी एसटीएफ उसे फर्जी मुठभेड़ में मार देगी। पुलिस के मुताबिक आशु ने विलेपार्ले में किराए का कमरा ले लिया था। उसने यूपी में किसी सहयोगी को फोन किया। पुलिस ने उसके साथियों पर निगरानी रखी थी। आशु की यह छोटी-सी गलती ही उसकी गिरफ्तारी का कारण बनी।

मुंबई के डीसीपी (क्राइम) अकबर पठान के मुताबिक क्राइम ब्रांच के साथ हापुड़ पुलिस ने आशू के जोगेश्वरी में होने की जानकारी दी। इसके बाद अपराध शाखा यूनिट-11 के इंस्पेक्टर सुनील माने और सब इंस्पेक्टर शरद जीने तीन दिन तक सब्जी बेचने वाले के बन कर आशु की सुरागरसानी करते रहे।

सुनील माने के मुताबिक आशु ने फोन बंद रखा था। वह इर्ला मार्केट में फल बेचता था। यूपी पुलिस ने उसकी जो तस्वीर भेजी वह काफी पुरानी थी। जब उसे पकड़ा तो शक्ल काफी बदल चुकी थी। क्राइम ब्रांच टीम बीएमसी अधिकारियों के रूप में आशु के पास पहुंची। उसे चारों तरफ से घेरा डाल कर दबोचा।

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