धीमे चलें, सुरक्षित पहुंचे की नीति से खोलें लॉकडाउन
इसमें कोई दो राय नहीं कि कोरोना त्रासदी से निपटने में भारत सरकार के प्रयासों की सराहना समूची दुनिया कर रही है तो इसलिए कि अपने नागरिकों के लिए उसने समय पूर्व सख्त फैसले लिए, उसे लागू कराया और देश की जनता ने भी ससम्मान इसे स्वीकार कर दर्शा दिया कि 130 करोड़ अवाम जनहित के आपके हर फैसले के साथ है।
अब समय आ गया है कि लॉकडाउन और कोरोना महामारी से जुड़े तमाम पहलुओं की समीक्षा कर नये सिरे से कार्य योजना बनाई जाए।
सभी इस बात से सहमत होंगे कि दुनिया रुकने का नहीं चलने का नाम है। कुछ समय के लिए चलना स्थगित किया जा सकता है, जो भारत ने कर दिखाया। यह समय दुनिया के मार्गदर्शन और मदद का है।
भारत ने भी इस आपदा का सामना किया और काफी हद तक उस पर काबू भी पा लिया है। बावजूद इसके कि कोरोना का असर लंबे समय तक चल सकता है।
हमें ऐसा कुछ करना होगा कि व्यापार, कार्यालय, कारखाने, परिवहन, जनजीवन क्रमबद्ध रूप से प्रारंभ हो सके।
इस बारे में कुछ सुझाव पेश हैं:
- जिन राज्यों, शहरों, नगर या शहर के जिन भी इलाकों में कोरोना का बिलकुल भी असर नहीं है, वहां शासकीय कार्यालय, बैंक सहित सभी तरह की गतिविधियां प्रारंभ कर दी जायें, इस शर्त के साथ कि वहां पर बाहर से कोई भी व्यक्ति 15 मई तक नहीं आ सकेगा। बड़े शहरों से लगे जो ग्रामीण इलाके हैं, वहां के व्यापारियों को खरीदारी के लिए शहर आने से रोका जाए और फोन, मेल के जरिए ऑर्डर पर माल बुलवाने की सुविधा रहे।
- जिस शहर में कोरोना का संक्रमण ज्यादा है, वे इलाके मई अंत तक शेष बस्ती से कटे रहें, लेकिन रोजमर्रा की चीजों का प्रदाय जारी रखा जाए। वहां मोहल्लेवार समय निश्चित कर किराना, दूध, सब्जी, दवा दुकानों, जनरल स्टोर्स, गैराज, ब्यूटी पॉर्लर, सैलून, कपड़ा, मिठाई-नमकीन दुकानों को क्रमवार खोला जाए, ताकि दिनचर्या को आसान बनाया जा सके।
- जिन इलाकों में कोरोना का संक्रमण नहीं फैला, उन्हें 3 मई से खोल दिया जाए, लेकिन धारा 144 के साथ। वहां मास्क, सेनेटाइजेशन, सोशल डिस्टेंटिंग का पालन अनिवार्य रखा जाए। हर तरह के कारोबार की छूट रहे।
- 3 मई से शहर परिवहन, प्रांतीय परिवहन, अंतरप्रांतीय परिवहन को सीमित रूप में प्रारंभ किया जाए। कोरोना प्रभावित इलाको में शहर परिवहन की बजाय निजी परिवहन को प्राथमिकता दी जाए, ताकि इसे फिर फैलने से रोका जा सके।
- बस, रेल या विमान में एक सीट छोड क़र यात्रियों को बिठाया जाए। इस दरम्यान किराया यथावत रखा जाए। ऐसा 30 जून तक किया जाए।
- पूरे देश में 31 जुलाई तक मास्क पहनना अनिवार्य किया जाए और समस्त संस्थानों में सेनेटाइजर रखा जाए, ताकि आगंतुक अपने हाथ साफ कर सकें ।
- निर्यातक इकाइयों को समस्त मर्यादाओं के भीतर, पूरी सावधानी बरतते हुए काम प्रारंभ करने की अनुमति दी जाए, ताकि रोजगार शुरू हो सके और ठप पड़े विश्व व्यापार को प्रारंभ कर विदेशी मुद्रा कमाई जा सके।
- ऐसे कारखाने, जहां बाहरी लोगों का आवागमन नहीं होता, और जो उच्च सुरक्षा मानक अपनाते हुए कार्य करते हों, जो कर्मचारियों को लाने – ले जाने की वाहन सुविधा देते हों, उन्हें 3 मई से काम प्रारंभ करने दिया जाए।
- जितने ऑन लाइन कारोबार हैं और जितने कॉलसेंटर हैं, उनके कर्मचारियों को 30 जून तक घरों से काम करने दिया जाए, ताकि संस्थान का भी आर्थिक नुकसान न हो और कर्मचारियों को भी पारिश्रमिक मिलता रहे।
- कूरियर, माल परिवहन की सुविधा प्रारंभ की जाए। जिसका निर्धारण इस तरह से कर सकते हैं कि बाजार में भीड़ इकट्ठा न हो और व्यापारिक गतिविधियां चल सकें।
- हमारे देश में रोजनदारी करने वाले शहर के बहुत से इलाकों में काफी तादाद में एकत्र होते हैं, जहां उनकी जरूरत वाले व्यक्ति आकर उन्हें ले जाते हैं। इनका एकत्रीकरण बंद किया जाए और सितंबर तक ऐसे स्थानों पर प्रशासन की ओर से व्यक्ति तैनात रहे जो कूपन सिस्टम से मजदूरों को काम उपलब्ध कराये।
- कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में लगे पूरे स्टाफ को 15 दिन पूरी तरह से कार्य मुक्त रखा जाए और उनकी जगह पर दूसरा स्टाफ तैनात किया जाए। प्रशासन व पुलिस में भी इसी तरह से अवकाश दिया जाए और फील्ड में अर्ध सैनिक बलों को तैनात किया जाए।
- सभी तरह के उद्योग 3 मई के बाद प्रारंभ कर दिये जायें, ताकि समूची दुनिया में एकमात्र चीन के माल की खपत को रोका जा सके, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था भी पटरी पर आ सके। कहने की जरूरत नहीं कि तमाम काम-धंधे पूरी सावधानी के साथ एक-दूसरे से दूरी कायम रखते हुए, सेनेटाइजेशन करते हुए किए जाने की अनिवार्यता रहे।
- एक बात सामने आ रही है कि जो उद्योग-धंधे शुरू किए जायेंगे, वहां यदि कोई संक्रमित पाया जाता है तो संस्थान मालिक पर प्रकरण कायम किया जाकर संस्थान बंद करा दिया जाएगा। इस संबंध में स्थिति स्पष्ट की जाए और मालिक को किसी भी तरह की सजा से बाहर रखा जाए, क्योंकि संक्रमण मालिक नहीं परिस्थितियां फैला रही हैं। ऐसे तो किसी शासकीय कार्यालय में संक्रमण फैलने के लिए क्या उसके प्रमुख अधिकारी को दोषी करार देकर सजा दी जाएगी?
- कुछ शहरों में गैर जरूरी सावधानी के नाम पर सब्जी वितरण पूरी तरह रोक रखा है, जो कि सरासर गलत है। किसान की सब्जी जैसी फसल एक माह, पंद्रह दिन तक खेत में सहेज कर नहीं रखी जा सकती। इसका वितरण तत्काल प्रारंभ कराया जाए।
- 3 मई के बाद जहां भी लॉकडाउन खोला जाए, वहां पर गैर सरकारी संगठनों, स्वयंसेवी, सामाजिक संगठनों की सेवा ली जाए, जो जनता के बीच जाकर इसके आसन्न खतरे के प्रति लगातार आगाह करें। खासकर, उन इलाकों में भेजा जाए, जहां संक्रमण ज्यादा फैला हो। इससे लोगों के बीच चेतना बनी रहेगी और वे सोशल डिस्टेंटिंग बनाये रखेंगे ।
- जो लोग कोरोना पॉजिटिव रहें हो, उन्हें व उनके परिवार को कम से कम 6 महीने तक विटामिन की आपूर्ति की जाए। जिसके तहत विटामिन सी, ए, ई व मल्टी विटामिन की प्रतिदिन एक व्यक्ति, एक गोली के हिसाब से एक माह की एकमुश्त दवा दी जाए। जो सक्षम परिवार हों, उन्हें ये दवायें लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
- कोरोना वायरस का प्रभाव चूंकि लंबे समय तक बना रहेगा तो इससे निपटने के लिए पीपीई कीट, मास्क, सेनेटाइजर, आइसोलेशन वार्ड के लिए जो-जो तैयारियां लगती हैं, उन्हें मुस्तैद रखा जाए। इसके टीके व औषधि के लिए देश के वैज्ञानिकों व औषधि संस्थानों को रिसर्च के लिए सुविधायें उपलब्ध कराई जाए।
- कोरोना से किस तरह निपटा गया, आगे कैसे इससे बचे रहेंगे, साथ ही कौन-सा व्यापार और नागरिक सुविधा कैसे बहाल की जा सकेगी, संभव हो तो इस पर श्वेत पत्र जारी कर आमजन में भरोसा कायम करने का प्रयास होना चाहिए।
यह वक्त प्रत्येक व्यक्ति के लिए धैर्य की परीक्षा का है। न्यूनतम एक साल का समय कोरोना के प्रभाव से निकलने में लगना स्वाभाविक है।
इस बीच लोगों को कैसे सावधान रह कर काम करना है, इसके लिए गैर सरकारी संगठनों के लोगों को प्रशिक्षित कर मुहिम चलाई जाए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि जैसे-जैसे लोग काम-धंधे में लगेंगे, वैसे-वैसे वे कोरोना के प्रभाव से बाहर आ सकेंगे।
समय चक्र चूंकि रुकता नहीं है और बीता समय लौटाया नहीं जा सकता, तो बेहतर यह है कि पुरानी स्वाभाविक रफ्तार पाने के प्रयास किए जाएं।
मुझे यकीन है कि इन तमाम मुद्दों पर पहले से ही काम चल रहा होगा और देश को स्वस्थ-प्रसन्न रखने व अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कार्य योजना बनाई जा चुकी होगी।
रमण रावल
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक
(दैनिक प्रजातंत्र में प्रथम प्रकाशित, 23 अप्रैल 2020)
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