गुजरात व हिमाचल प्रदेश पर सट्टा खुला: सट्टाबाजार के मुताबिक भाजपा जीतेगी, मत प्रतिशत गिरेगा
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 05 नवंबर 2017।
गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों पर आज सट्टा खुल गया। सटोरियों का अनुमान है कि भाजपा किसी न किसी तरह गुजरात में तो फिर सरकार बना ही लेगी, हिमाचल प्रदेश में विरोध की लहर के चलते भी इस बार चुनाव परिणाम उसके पक्ष में जा सकते हैं। इन चुनावों पर कुल 45 से 50 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होने की संभावना जताई जा रही है।
गुजरात का गुलगपाड़ा
सटोरियों का कहना है कि सबसे अधिक सट्टा गुजरात से ही लगेगा बल्कि पूरे देश से इसी पर धन की बारिश होगी। यही नहीं खाड़ी देशों समेत पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश समेत तमाम आसपास के देशों से भी गुजरात चुनाव पर ही सबसे अधिक रकम लगेंगी। इस बार नरेंद्र मोदी के खिलाफ बनी हुई लहर के कारण गुजरात का चुनाव काफी दिलचस्प हो चला है।
सटोरियों का कहना है कि जिस तरह इंका ने अपनी पूरी ताकत गुजरात में झोंक दी है, ठीक उसी तरह भाजपा का भी पूरा ध्यान महज गुजरात पर ही बना हुआ है। एक बड़ा परिवर्तन इस साल इंका में दिख रहा है। इंका ने भी अपने ‘खाम’ (के+एच+ए+एम याने क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी, मुसलिम) वोट बैंक के बदले में ‘खाप’ (के+एच+ए+एम याने क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी, पाटीदार) वोट बैंक तैयार करने की योजना बनाई है। राज्य के 18 फीसदी मुसलिमों के बदले 23 फीसदी पाटीदार वोट पर इंका भी अधिक ध्यान देगी।
सटोरियों का मानना है कि इन विषम हालात और नई व्यवस्था के चलते नरेंद्र मोदी भी इस बार गुजरात में कुल 50 सभाएं कर सकते हैं, जिसमें से 90 फीसदी पाटीदार या पटेल बहुल इलाकों में करवाने की योजना है ताकी पाटिदार आंदोलन की प्रभावी काट पेश की जा सके। गुजरात में पिछले तीन सालों में आए तीन युवा नेताओं अल्पेश – हार्दिक – जिग्नेश की तिकड़ी को धूल चटाने के लिए मोदी समेत कई स्टार प्रचारक सीधे गुजरात चुनावों में उतरेंगे। यह बात और है कि पाटीदार समुदाय पांरपरिक रूप से भाजपा का ही मतदाता रहा है। इसके बावजूद उन्हें रिझाने के लिए मोदी की अधिकतम सभाएं उनके इलाकों में ही होंगी।
सटोरियों का कहना है कि गुजरात चुनाव में इंका जहां मोदी की असफलताओं, नोटबंदी, जीएसटी को मुद्दा बनाएगी, वहीं भाजपा आतंकवाद, हिंदुत्व के साथ ही अहमद पटेल से जुड़े कथित अस्पताल से पकड़े आतंकी और अक्षरधाम पर हमले के लिए आए आतंकियों की पहले ही हुई धरपककड़ को बड़े मुद्दे बना कर उछालेगी।
गुजरात की कुल 182 सीटों के लिए इस बार कई दल ताल ठोंक कर उतरेंगे, जिसमें इंका और भाजपा मुख्य हैं। पिछले साल गुजरात विधानसभा में भाजपा के 115 विधायक और इंका के 65 विधायक पहुंचे थे। निर्दलियों की संख्या महज दो थी। भाजपा का मतदान प्रतिशत जहां 48 था, वहीं इंका का 39 फीसदी रहा था। सटोरियों का मानना है कि इस बार भाजपा के मतों में 3 से 5 फीसदी की तगड़ी कमी आ सकती है। यह उनके लिए हार का विषय तो भले ही नहीं बने, जनता के कड़े रुझान का इशारा जरूर होगी। बावजूद इसके चुनाव में भाजपा का ही पलड़ा भारी रहेगा।
सटोरियों का यह भी मानना है कि चुनावों के दौरान अंतिम सप्ताह में बड़े या मध्यम आकार के शहरों में कोई गड़बड़ी नहीं होगी बल्कि छोटे गांवों में अचानक जातीय या धार्मिक दंगे होंगे, जिसका सीधा फायदा पार्टी विशेष को मिलना तय है।
सट्टाबाजार ने आज जो भाव खोले हैं, उसमें भाजपा को ही हॉफेवरेट दिखाया है। उसे अधिकतम 110 सीटें जीतते दिखाया जा रहा है, जबकि इंका को अधिकतम 75 सीटें हासिल होते दिखाया जा रहा है। बता दें कि पूर्ण बहुमत के लिए कुल 91 सीटें किसी भी एक दल को जीतनी होंगी।
सटोरियों का कहना है कि गुजरात चुनाव पर कुल मिला कर 35 हजार करोड़ तक के दांव लगने की संभावना है। ये रकम आगे जाकर बढ़ भी सकती है। भावों में वक्त-वक्त पर परिवर्तन भी होते रहेंगे।
गुजरात सट्टे के भाव
भाजपा | इंका | ||
सीट | भाव | सीट | भाव |
90 | 22 पै. | 60 | 22 पै. |
95 | 35 पै. | 65 | 70 पै. |
100 | 1 रु. | 70 | 1.35 रु. |
105 | 1.35 रु. | 75 | 2.25 रु. |
110 | 2.25 रु. | —- | —- |
हिमाचल की हलचल
सटोरिए दावा करते हैं कि हिमाचल में इंका की सरकार है और इस प्रदेश का रिकॉर्ड बताता है कि जब भी जिस दल की सरकार बनी है, वह अगले चुनावों में सरकार नहीं बना पाई है। इस लिहाज से भाजपा की जीत होती दिख रही है। इंका ने भी चूंकी गुजरात पर ही पूरा ध्यान लगा रखा है, इसके कारण यह प्रदेश भी भाजपा के लिए खुला छूटा दिख रहा है।
कुल 68 सीटों की विधानसभा में बहुमत के लिए 44 सीटें ही जीतनी होंगी। यहां पर भ्रष्टाचार ही बड़ा मुद्दा है। हिमाचल प्रदेश में हुए घोटालों पर भी भाजपा का प्रचार अभियान चलेगा।
इस छोटे से प्रदेश पर भी लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का सट्टा लगने की उम्मीद सटोरिए कर रहे हैं।
हिमाचल सट्टे के भाव
भाजपा | इंका | ||
सीट | भाव | सीट | भाव |
35 | 40 पै. | 20 | 62 पै. |
40 | 65 पै. | 25 | 1.35 रु. |
45 | 1 रु. | 30 | 2.50 रु. |
50 | 1.60 रु. | — | —- |
नोटबंदी का असर नहीं
एक सट्टेबाज का कहना है कि नोटबंदी का असर पूरी तरह बाजार से जा चुका है। न केवल सट्टाबाजार में काफी रकम आ चुकी है, बैंकों और नेट वॉलेट के जरिए भी लोग रकम का लेन-देन करने लगे हैं। इंटरनेट बैंकिंग का सबसे अधिक फायदा सटोरियों को हो रहा है।
मोदी की काला धन विरोधी मुहिम बेअसर
मोदी ने भले ही कितनी भी काला धन विरोधी मुहिम छेड़ी हो, उसका कोई असर सट्टाबाजार पर नहीं दिख रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पूरा सट्टाबाजार जौहरियों, बिल्डरों, फिल्म निर्माताओं, कपड़ा कारोबार जैसे कई छद्म आवरण में चलता है। ये देश-विदेश से हवाला के जरिए धन जुटा लेते हैं और सट्टा कारोबार बदस्तूर जारी रहता है।