सट्टा बुकियों का नारा: अबकी बार – फिर केजरीवाल सरकार
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 4 फरवरी 2020
दिल्ली विधानसभा चुनाव पर ऐसी कुत्तारार मची है कि सबके कानों से धुआं निकल रहा है। एक तरफ जहां देश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तमाम दिग्गज नेता निम्नतम दर्जे की बातें कर रहे हैं, दूसरी तरफ केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) इत्मीनान से पिछले 5 साल के कामकाज और अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद के दावेदार रख कर चुनाव लड़ रही है।
आप द्वारा विकास और विश्वास के नाम पर लड़ा जा रहा, दिल्ली का चुनाव इस बार सट्टा बाजार के मुताबिक एकतरफा दिखाई दे रहा है। सट्टाबाजार के दिग्गज कह रहे हैं कि साफ दिखने लगा है कि भाजपा और कांग्रेस इस बार भी बुरी तरह मुंह की खाएंगी, आप इस बार भी पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगी।
दिल्ली विधानसभा का गणित
दिल्ली विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं, जिसमें से पिछली बार आप ने 67 सीटों पर ऐतिहासिक और अप्रत्याशित जीत दर्ज की थी। कुल 3 सीट ही भाजपा हासिल कर पाई थी। अन्य दलों का तो सूपड़ा ही साफ हो गया था। सट्टा बाजार के एक जानकार का कहना है कि इस बार भी कमोबेश हालात कुछ ऐसे ही रहेंगे।
सट्टा बाजार के एक बुकी का कहना है कि आज के माहौल में शाहीन बाग हो, या सीएए और एनआरसी का मुद्दा हो, किसी का कोई फर्क नहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव पर नहीं पड़ेगा। यह बुकि कहता है कि चुनाव पूरे होने तक और भाजपा का दिल्ली विधानसभा पर पूरा कब्जा नहीं होता है, तब तक तक शाहीन बाग पर कार्यवाई करने का मन भी भाजपा आलाकमान का नहीं दिख रहा है।
कहां है संभावना
बुकी मान कर चल रहे हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में सभी 6 सीटें भाजपा ने जीती थीं, इसलिए इस बार भाजपा विधानसभा में कुछ सीटें बढ़ने की संभावना है।
आप ने एक तरफ जहां अपना पूरा फोकस पिछले 5 साल के काम पर लगा रखा है, वहीं दूसरी तरफ गरीब तबके पर निगाह जम रखी है। आप तो दलित, पिछड़ा और मुस्लिम वोट पर ही पूरी तरह ताल ठोक कर अखाड़े में उतरी है।
दिल्ली विधानसभा चुनावों का प्रचार छह फरवरी 2020 की आधी रात को खत्म हो जाएगा। आठ फरवरी 2020 की सुबह से मतदान होगा। 11 फरवरी 2020 को परिणाम घोषित होने हैं। एक बुकी कहता है कि इस बार कांग्रेस का खाता खुलेगा भी या नहीं इसकी भी शंका हो रही है। न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया की नजर दिल्ली विधानसभा चुनाव पर है, जिससे यह साफ होगाकि नरेंद्र मोदी का करिश्मा बरकरार है या नहीं। आधुनिक चाणक्य के रूप में बार-बार प्रचारित किए जा रहे अमित शाह का जादू चलता है या नहीं।
एक सट्टेबाज ने कहा कि मोदी और योगी की रैलियों का भी असर दिल्ली में विधानसबा चुनावों पर बिल्कुल नहीं पड़ने वाला। महंगाई और अनावश्यक मुद्दे तूल देने से परेशान जनता निश्चित तौर पर आप के पक्ष में वोट करेगी।
दिल्ली में सरकार किसकी?
दिल्ली विधानसभा में कुल 36 सीट पूर्ण बहुमत के लिए आवश्यक है। इस हिसाब से सरकार बनाने के लिए जो भाव खुले हैं, वे चौंकाने वाले तो नहीं कहे जाएंगे। सरकार बनाने पर भाव आप के लिए 10 पैसे है तो भाजपा के लिए 10 रुपए और कांग्रेस के लिए 500 रुपए है।
कौन बनेगा मुख्यमंत्री?
सट्टाबाजार केजरीवाल को ही भावी मुख्यमंत्री देख रहा है। मुख्यमंत्री बनने का अरविंद केजरीवाल के लिए भाव 10 पैसे है। उनके मुकाबले में किसी के भी मुख्यमंत्री बनने का भाव 10 रुपए है।
किस पर लगा कितना?
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए दलगत भाव खुले हैं, वे अपनी कहानी खुद ही बयान करते हैं।
आप | भाजपा | कांग्रेस | |||
सीट | भाव | सीट | भाव | सीट | भाव |
50 | 30 पैसे | 5 | 40 पैसे | 1 | 1 रुपए |
55 | 70 पैसे | 10 | 1 रुपए | 2 | 2.50 रुपए |
60 | 1 रुपए | 15 | 2.50 रुपए | 3 | 3.50 रुपए |
65 | 2.80 रुपए | 20 | 4.50 रुपए | 4 | 7 रुपए |
70 | 4.50 रुपए | 25 | 8 रुपए | 5 | 12 रुपए |
भाव देखने से साफ लगता है कि आप को कम से कम 50 सीटें सट्टाबाजार दिला रहा है तो अधिकतम 70 सीटें मिलने की संभावना जता रहा है। भाजपा को कम से कम 5 सीटें मिलेंगी और अधिकतम 25 की संभावना है। कांग्रेस की तो हालत ही खस्ता है। एक ही सीट से खाता खुलता दिख रहा है। अधिकतम 5 सीट के लिए जो भाव है, वह जता रहा है कि इस दल के लिए दिल्ली बहुत दूर है।
कितना लगेगा सट्टा?
सट्टाबाजार मान कर चल रहा है कि पूरे खेल में लगभग 20 हजार करोड़ रुपए के वारे-न्यारे होंगे। फोन पर सौदे लगभग न के बराबर हो रहे हैं। सारा काम मोबाईल एप और वेबसाईट्स पर ही चल रहा है।
मोदी बनाम केजरीवाल
मजेदार बात यह है कि सन 2014 के बाद पहली दफा ऐसा हुआ है कि गुजरातियों और मारवाड़ियों के दबदबे वाले सट्टाबाजार ने मोदी और भाजपा के अलावा किसी और को जिताने वाले भाव खोले हैं।
छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान विधानसभा चुनावों के दौरान सट्टेबाजों का गणित गड़बड़ा चुका है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या दिल्ली में भी सट्टेबाजों और बुकियों का पूर्वानुमान गलत साबित हो सकता है?