रक्त में क्या सचमुच कोई गंध होती है!
कई पाठक सवाल कर सकते हैं कि क्या वाकई रक्त में कोई ‘गंध’ भी होती है? एक लेखक होने के नाते मेरा दायित्व बनता है कि पाठकों को इसकी सत्यता से परिचित कराऊं। मेरे अंतस को उचित लगता है कि कहानी का वैज्ञानिक तल पर उतना ही खरा उतरना जरूरी है, जितना साहित्यिक स्तर पर। वह सिर्फ गल्प साहित्य या फंतासी हो, तो बात अलग है। हम रक्तगंध की सत्यता जान लें, तो बेहतर।
वैज्ञानिकों ने एक खोज में पता किया कि रक्त में लिपिड्स अथवा वसा के उप-उत्पाद रुप में उपस्थित ई2डी अणुओं के टूटने से ऑक्सीजन निकलती है। ई2डी वाष्पशील रसायन है, जिसका रासायनिक नाम ट्रांस-4,5-इपोक्सी-ई-2-डीसेनल है, जो स्तनधारियों के रक्त में मिलता है। यह लिपिड्स (वसा) के ऑक्सीकरण से बनता है। जीव प्रजातियों में कई रासायनिक गुण मिल कर काम करते हैं लेकिन ई2डी की अलग प्रवृत्ति है। यह खून को धात्विक गंध देता है। यही दुर्लभ रक्त गंध हर जगह पाई जाती है।
इस खोज के मुताबिक ई2डी के कारण कुछ जीव शिकारी प्रवृत्ति के बनते हैं, जबकि मनुष्य जैसे कुछ जीव डरपोक रह जाते हैं। इससे पहले ऐसे अणुओं की जानकारी मानव को न थी।
वैज्ञानिकों का कहना है कि स्तनधारी जीव मुख्यतः भोजन तलाशने, साथियों से जुड़ने और खतरे की पहचान हेतु सूँघने की शक्ति का इस्तेमाल करते हैं। ई2डी ही घायल शिकार की ओर संकेत करता है, जिससे शिकारी जीव उसे तलाश पाते हैं।
एक शोध में सूअर के खून से लिए ई2डी का अध्ययन हुआ, तो पता चला कि जंगली कुत्तों, भेड़ियों और बाघों को यह रक्तगंध आकर्षित करती है।
रक्त में खास गंध है लेकिन मांसाहारी जीवों को आकर्षित करने की इसकी क्षमता पर सवालिया निशान भी लगाए जाते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि शार्क मीलों दूर से समुद्र में रक्त की एक बूंद का पता नहीं लगा सकती हैं। कुछ का दावा है कि कुछ स्थितियों में शार्क रक्तगंध हासिल कर लेती हैं।
प्रचार और मिथकों से अलहदा सच्चाई भी है। जानवरों की रक्तगंध संबंधी समझ के शोधकर्ता स्वीडिश जीवविज्ञानी माथियास लास्का के मुताबिक घायल शिकार का पता लगाने के लिए शिकारी रक्तगंध का प्रयोग करते हैं। यह बात और है कि उतनी सटीकता से नहीं कर पाते हैं, जितनी के लिए हम उन्हें श्रेय देते हैं। शिकारी-शिकार से अलावा, एक ही प्रजाति के जीव अन्य जानवरों के रक्तगंध पर प्रतिक्रिया देते हैं। वे रक्तगंध मिलने के बाद आपस में चेतावनी संकेत, अधिक सतर्क होने या इलाके से भागने या भगाने में इस्तेमाल करते हैं।
वैज्ञानिकों को पूरी तरह विश्वास नहीं है कि रक्त के कौन से अणु गंध में योगदान देते हैं। इसकी खोज हेतु माथियास लास्का के एक शोध छात्र शिवकृष्ण राचमादुगु ने सूअर रक्त के एक बैच के गंध यौगिकों को अलग किया। उन्हें पहचाना और विश्लेषण किया। उनमें कुल 28 अलग-अलग गंध यौगिक मिले। उनमें से एक यौगिक को ट्रांस-4, 5-एपॉक्सी-(ई)-2-डीसेनल कहा। इंसान की नाक इसके प्रति खास संवेदनशील है।
मनुष्यों के मामले में कुछ शोधकर्ता पक्के तौर पर नहीं कह पाते हैं कि वे रक्तगंध पहचान पाते हैं या नहीं। एक शोध में पता चला कि खून देख कर इंसान सीधे खड़े रहें, तो इसका अर्थ रक्त के प्रति आकर्षण है। वे पीछे की ओर थोडा सा मुड़ें, तो इसे खतरे का संकेत समझना चाहिए। यह परिवर्तन रक्तगंध के कारण भी हो सकता है। वैज्ञानिक प्रयोगों के मुताबिक ई2डी से तनाव और भय के संकेत सामने आते हैं।
स्वीडन और जर्मनी के वैज्ञानिकों की एक टीम के सामने सवाल था कि क्या ई2डी रक्त का वही विशेष घटक है, जो मांसाहारी जीवों को आकर्षित करता है? इन वैज्ञानिकों ने जीवित जानवरों पर इसके परीक्षण किए। उन्होंने कोलमेड्रन वन्यजीव पार्क में कुछ बड़े मांसाहारी जीवों साइबेरियाई बाघों, अफ्रीकी और एशियाई जंगली कुत्तों, दक्षिण अमेरिकी बुश डॉग परीक्षण में शामिल किए। उन्होंने चार अलग-अलग गंध ट्रांस-4, 5-इपॉक्सी-(ई)-2-डिसेनल, हॉर्स ब्लड, आइसो-पेन्टाइल एसीटेट (फलों का केले जैसी गंध वाला यौगिक) के साथ लकड़ी के कुंदों पर खून लगाया। कुछ हफ्तों तक उनकी प्रतिक्रिया देखी।
घोड़े के खून और खून मिश्रित गंध के प्रति चारों प्रजातियों के पशु आकर्षित हुए। वे लकड़ी के कुंदों को सूँघने, चाटने, काटने आदि कोशिश करते रहे। ये पशु दो से तीन बार कुंदों की तरफ आकर्षित हुए। ट्रांस-4, 5-एपॉक्सी-(ई)-2-डीसेनल गंध उन्हें वास्तविक रक्त गंध के तौर पर आकर्षित करती है।
लास्का को यह पता न चला कि कुत्ते और बाघ ट्रांस-4, 5-एपॉक्सी-(ई)-2-डीसेनल से निश्चित रूप से जुड़े हैं। वे यह जरूर समझ पाए कि कुत्ते और बाघों ने लकड़ी के टुकड़ों को भी उसी तरह संभाला, जैसा अपने बचे हुए शिकार के साथ करते हैं। इससे साबित होता है कि रक्तगंध का प्रभाव जानवरों पर होता है।
इन तमाम शोध से परे, मेरा मानना है कि इंसानों में रंग के अलावा रक्तगंध के प्रति खास आकर्षण होता है, जो कि हमें सीधे तौर पर समझ नहीं आता। कुछ लोग, जो बहुत अधिक हिंसक प्रवृत्ति के होते हैं, उन्हें रक्तगंध आम इंसानों के मुकाबिल बेहतर समझ आती है। कमोबेश यही स्थिति कहानी रक्तगंध के सुपारी हत्यारे फिरोज के साथ भी रही होगी।
संदर्भ
- National Library of Medicine, Department of Health and Human Services, USA.gov (https://pubchem.ncbi.nlm.nih.gov/compound/4_5-Epoxy-_E_-2-decenal)
- The Scent of Blood: A Driver of Human Behavior? (https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4580480/)
- trans-4,5-Epoxy-(E)-2-decenal (https://en.wikipedia.org/wiki/Trans-4,5-Epoxy-(E)-2-decenal)
- ‘Metallic’ Odor of Iron, Iron-containing Water, And Blood Derives From Skin Oil Decomposition (https://www.sciencedaily.com/releases/2006/10/061018150716.htm#:~:text=Rubbing%20blood%20over%20skin%20results,for%20the%20smell%20of%20blood.)
- Why Humans Hate the Scent of Blood (But Wolves Love It) By Mindy Weisberger November 01, 2017 (https://www.livescience.com/60827-blood-molecule-attracts-and-repels.html)
- Formation of the intense flavor compoundtrans-4,5-epoxy-(E)-2-decenal in thermally treated fats (https://link.springer.com/article/10.1007/BF02541347)
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