NSCI Scam Game: नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया क्रेडिट सोसायटी घोटाला
इंडिया क्राईम संवाददाता
मुंबई, 25 मार्च 2023
विवादास्पद क्लब नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ़ इंडिया (NSCI) के कुछ कर्मचारियों के खिलाफ ताड़देव पुलिस ने कर्ज धोखाधड़ी घोटाले में एक एफआईआर पहले भी दर्ज की थी। इस मामले में पुलिस ने एनएससीआई स्टाफ को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड, मुंबई के निदेशक मंडल के आठ सदस्यों और लेखाकारों को गिरफ्तार किया था।
पुलिस में दर्ज शिकायत के मुताबिक इन आरोपियों ने कथित तौर पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए सोसायटी के 26 सदस्यों के नाम कर्ज मंजूर किया और 81 लाख 1 हजार 916 रुपए की रकम हड़प ली।
इस सिलसिले में पुलिस ने जिन आरोपियों गिरफ्तार किया था, उनके नाम गिरीश मिसाल (लेखाकार), वीके अर्जुनन, बिंबिसार जी कांबले, नरेश एस मारचंडे, रेणुका डी परदेशी, कौशल्या शेट्टी, चंद्रकांत बी रुके और सुरेश रुके हैं। दो आरोपियों राममोहन मिश्रा और सुधीर जाधव को पहले से ही यह अंदेशा था, इसलिए उन्होंने अदालतों से अग्रिम जमानतें साहिल कर ली थीं।
एफआईआर
20 सितंबर 2014 को अपर स्पेशल ऑडिटर-2 एमएन कोर्डे ने ताड़देव थाने में एफआईआर दर्ज कराई। उसी दिन पुलिस ने लेखपाल गिरीश मिसल को गिरफ्तार कर 22 सितंबर 2014 को एक और आरोपी को गिरफ्तार किया।
सभी आरोपियों को अदालत में पेश किया, जहां जज ने उन्हें 29 सितंबर 2014 तक पुलिस हिरासत में भेज दिया था।
घमासान
11 सितंबर, 2014 को सदस्यों ने मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, गृह मंत्री आरआर पाटिल और अन्य को शिकायत की।
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई जिला निगम -ऑपरेटिव बैंक ने एनएससीआई स्टाफ को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड को 3.50 करोड़ रुपये का कैश क्रेडिट स्वीकृत किया। इसका फायदा उठा कर आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज बनाए, 81 लाख 1 हजार 916 रुपए का कर्ज मंजूर करवा लिया।
संजय बीरवाटकर के मुताबिक उन्होंने सोसायटी में कभी भी कर्ज के लिए आवेदन नहीं किया था।
कर्ज की बंदरबांट
आरोपियों ने सोसायटी के 26 सदस्यों के फर्जी दस्तावेज बनाए। कुछ बाहरी लोगों के नाम पर कर्ज स्वीकृत किया, जिनके नाम सुरेश जी पिचुरले (5,30,000 रुपये), संतोष नायर (2,50,000 रुपये), हरिश्चंद्र आत्माराम भोईर (2,90,000 रुपये), सुभाष पी सालवी 2 रुपये ,00,00), राकेश शर्मा (24,75,000 रुपये), गिरीश मिसल (28,35,000 रुपये) है।
आरोप लगाए गए कि सोसायटी ने जाली दस्तावेज़ों, चेकों और अज्ञात व्यक्तियों को बिना पहचान पत्रों व दस्तावेजों के उचित सत्यापन किए ही कर्ज दिए। इन्हीं के कारण सोसायटी पदाधिकारियों पर धोखाधड़ी में शामिल होने का संदेह सामने आता है।
एक हलफनामे में एकाउंटेंट गिरीश मिसल ने खुलासा किया था कि उन्होंने दहिसर में म्हाडा का फ्लैट खरीदने के लिए राशि का निवेश किया है। उन्होंने खुलासा किया था कि उनके परिवार को धन के तरीके और स्रोतों की पूरी जानकारी है।
पुलिस कथन
पुलिस अधिकारियों ने तब कहा था कि अशोक कांबले, गजेंद्र त्रिवेदी और संजय बीरवाटकर (निदेशक) समेत कुछ सदस्यों को सन 2013 में धोखाधड़ी के बारे में पता चला। वे आरोपियों के खिलाफ तभी से शिकायत कर रहे थे। उन्होंने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में भी शिकायत की थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
ताड़देव थाने के तत्कालीन सब इंस्पेक्टर हनुमंत झरक ने बताया था कि आरोपियों को धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार किया है।
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