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कब तक पूड़ी तलोगे… हमारे ‘गोल-मटोल’ सांसद!

निरुक्त भार्गव, वरिष्ठ पत्रकार, उज्जैन

एक बहुसंख्यक आबादी कोई 50 दिनों से घरों में नज़रबंदी की शिकार बनी बैठी है! जुमला ये है कि कोरोना का विषाणु कहीं आप को छू न ले! अगर आपके घर-परिवार-आस-पड़ोस में कोई छींक-खांस रहा है, तब भी उसे उसी के घर में रहना है, कोरोना के उपचार हेतु! जबसे ये सब हो रहा है, तभी से आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा घरों में फालतू बैठा है और सारे घटनाक्रमों  को ध्यानपूर्वक देख रहा है! ‘फ्रीबीस’ वगैरह-वगैरह को लेकर भी उसने अनेकानेक अनुभव झेल लिए हैं! एक ‘फर्टाइल’ आबादी को अकर्मण्य बनाकर नैराश्य में ढकेल देने के कुचक्र, कालांतर में क्या गुल खिलाएंगे, ये तो भविष्य के गर्भ में है!

मैंने जो ये भूमिका खेंची है, उसकी पृष्ठभूमि में उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र के प्रतिनिधि अनिल फिरोजिया की कुछ मुद्रायें हैं, जो मैं यहाँ साझा कर रहा हूँ. मुझे देश के गृह मंत्री अमित शाह का संसद में दिया वो वक्तव्य याद आ रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार ने बेरोजगार युवाओं को नए-नए रोजगार और धंधों के प्रति प्रोत्साहित किया है और इस तरह नौकरियां सृजित की हैं!

उन्होंने ये भी कटाक्ष किया था कि पकोड़ा तलना भी एक बहुत बड़ा व्यवसाय है और देश के कई उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा और प्रोफेशनल शिक्षा प्राप्त युवा जगह-जगह कुछ इसी तरह का काम-धंधा कर धनपति बनने की तरफ अग्रसर हैं!

सबको मालूम है कि अनिल फिरोजिया मोटा भाई-छोटा भाई के करिश्मे के चलते ही संसद भवन पहुंचे! 2018 तक वे तराना (उज्जैन जिला) के विधायक थे और चुनाव के दौरान 2000 वोट से खेत रहे. उन पर ना जाने किसकी कृपा है कि महज कुछ माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी ने उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र से खड़ा कर दिया और वे मोटे तौर पर 4 लाख मतों से जीत गए!

ये एक जनश्रुति है कि अनिल फिरोजिया ने जब चुनकर आ जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से वन-टू-वन मुलाकात की, तो उन्होंने उनको सलाह दी कि अपना वजन घटाओ! लेकिन, इन तस्वीरों को देखकर तो कतई नहीं लगता कि उन्होंने उस ‘महापुरुष’ की सलाह को कोई महत्त्व दिया, जो या तो स्वयं अथवा उनका “छोटा भाई” बीजेपी की नैया को 2024 में पार लगाएगा?

अनिल फिरोजिया पर लोगों की निगाहें कम-से-कम पिछले 15 माह से तो हैं हीं! कोरोना की पहली लहर में उनके स्वर में लोगों की कराह गूंजती थी! कोई भी उनके दरबार में पहुँच जाए या कोई भी किसी तरह उनको ये बता दे कि ये और वो कष्ट उसको है, तो वे उसको बहुत हद तक निराश नहीं होने देते! जब भी मिलो, सहज और सरल और लोगों की आवाज से आवाज मिलाने वाला जनप्रतिनिधि!

2021 में तो “भिया” रोज-रोज श्रृंगार कर और नए-नए वस्त्र पहनकर दिखाई देने लगे! उनको “वणीकों” की एक ऐसी मण्डली ने घेर लिया कि जिनके कारनामों के चलते जब वे अप्रैल में अपने ही एक साथी की आकस्मिक मौत को लेकर शासकीय माधवनगर अस्पताल में सांत्वना के लिए पहुंचे, तो मृतक के परिजनों के क्रंदन सुन कर उन्हें उलटे पाँव लौटना पड़ा!

उज्जैन के मास्टर प्लान को लेकर उनका भ्रष्ट आचरण उनको पहले-ही सवालों के घेरे में ले चुका था! रही-सही कसर उन्होंने अपने पैतृक घर में अपनेवालों का कोरोना टीकाकरण करवा के पूरी कर दी!

फिरोजिया जी, आपका मैदान लुट चुका है! शायद, आपने इसको भांप लिया है, तभी इन दिनों सरकारी मेडीकल कॉलेज की बीन बजायी जा रही है! आपने तो लम्बे-चौड़े इश्तेहार दिए थे कि मध्यप्रदेश और दिल्ली सरकार की नींद हराम कर आप एकसूत्रीय रूप से भिड़ जायेंगे, जल्द से जल्द उज्जैन में मेडीकल कॉलेज की स्थापना में! अब अगर हम 41 डिग्री सेल्सियस में आपको इस तरह पूरियां तलते देखेंगे, तो भला आप ही बताएं हम क्या कहें…..

लेखक उज्जैन के वरिष्ठ पत्रकार हैं। विगत तीन दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। संप्रति – ब्यूरो प्रमुख, फ्री प्रेस जर्नल, उज्जैन

(उक्त लेख में प्रकट विचार लेखक के हैं। संपादक मंडल का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।)

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