महाकाल मंदिर से नंगा हुआ सत्य: राजनीतिक हस्तक्षेप, बौना प्रशासन और निरीह जनता
निरुक्त भार्गव, वरिष्ठ पत्रकार, उज्जैन
इन प्रश्नों को दबाया जाना अब आसान नहीं रह गया है कि समूचे विश्व में बसे श्रद्धालुओं की आस्था के प्रतीक ‘श्री महाकालेश्वर मंदिर’ को आखिर कब तक मनमानियों और मखौल का केंद्र बनाया जाएगा? शासन और प्रशासन की दम्भोक्ति है कि महाकालेश्वर मंदिर परिसर विस्तार और सौन्दर्यीकरण के कोई 1000 करोड़ की राशि वाले जो काम हाथ में लिए गए हैं, उससे उज्जैन की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल जाएगी! कब और क्या होगा, ये तो प्रभुजी जानें, मगर एक सामान्य व्यक्ति से पूछो तो वो यही कहता मिलता है कि बाबा महाकाल के शीघ्र, सहज, सरल और सुगम दर्शन हो जाएं तो जीवन में कल्याण-ही-कल्याण है!
ये एक ताजातरीन मुद्दा जरूर है, पर इसके किरदार प्राय: वही हैं: कैलाश विजयवर्गीय, आशीष सिंह और उनकी प्रशासनिक टीम और, जी हां, भाजपा सरकार! नागपंचमी के दिन शुक्रवार को महाकाल मंदिर में भस्मार्ती में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी ने मंदिर की दर्शन व्यवस्था और उज्जैन के यश को दोबारा कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया!
मार्च 2020 में कोरोना महामारी की पहली लहर से लेकर आज तक जब भी आम लोगों के लिए दर्शन व्यवस्था वापस लागू की गई, तो मंदिर में सुबह 5 बजे से रात्रि 9 बजे तक ही दर्शन किए जा सकते हैं. श्रावण पक्ष को छोड़कर जो भस्मार्ती प्रतिदिन अलसुबह 4.30 बजे आरम्भ होती है, उसमें तो किसी भी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश ही प्रतिबंधित किया गया है. श्रावण पक्ष में मंदिर के पट प्रातः 3 बजे खोले जाने की परिपाटी है, ताकि पुजारीगण व्यवस्थित तरीके से 4.30 बजे तक भस्मार्ती सम्पादित कर सकें!
नागपंचमी को उभरा विवाद ये था कि महाकाल मंदिर के अजय पुजारी ने आरोप लगाया कि भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, उनके विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय और विधायक रमेश मेंदोला (सभी इंदौर) को दर्शन कराने के लिए शुक्रवार सुबह मंदिर के गेट चारों तरफ से बंद कर दिए गए थे. इस कारण वे खुद गर्भगृह में भस्मार्ती सम्पादित करने हेतु तय समय से आधा घंटे देरी से पहुंच पाए. पुजारी ने यह भी आरोप लगाया कि उस समय मंदिर के कैमरे बंद कर दिए गए थे. जो वीडियो फुटेज एक भक्त के सौजन्य से पब्लिक डोमेन में आया उसमें अजय पुजारी कैलाश विजयवर्गीय से सवाल पूछ रहे हैं और वह चुपचाप चले जा रहे हैं. सवालों की बौछारों से घबराए मेंदोला तो मुंह पर गमछा डालकर भागते नजर आ रहे हैं. बताया जाता है कि यह वीडियो कोटितीर्थ कुंड के पास सूर्यमुखी हनुमान मंदिर के ऊपर से लिया गया.
सुबह 3 बजे से चल रहे इस बवाल पर सफाई देने में प्रशासन को 12 घंटे लग गए. कलेक्टर आशीष सिंह की तरफ से जो सफाई मीडिया को भेजी गई, इसमें गर्भगृह के सीसीटीवी फुटेज के हवाले से दावा किया गया कि 12 और 13 अगस्त को मंदिर के पट तड़के 3 बजे खोले गए. 12 अगस्त को सुबह 4 बजकर 31 मिनट और 13 अगस्त को 4 बजकर 20 मिनट पर भस्म चढ़ाई गई. कलेक्टर तो ये भी बोल गए कि कतिपय मीडिया में इस प्रकार की खबर चल रही है कि 13 अगस्त को भस्मार्ती आधा घंटा देरी से प्रारंभ हुई, जो असत्य एवं भ्रामक सूचना है.
2020 में आज ही के दिन यानी नागपंचमी पर कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला आदि ने कुछ इसी तरह महाकालेश्वर की भस्मार्ती में जल चढ़ाया था और और उसी दौरान वर्ष में एक बार दर्शनों के लिए खुलने वाले नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन-पूजन-अभिषेक आदि किए थे. उस समय भी नागचंद्रेश्वर मंदिर तथा भस्मार्ती में किसी भी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित था. उस दौरान भी कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते इन महामहिमों की तस्वीरें खूब वायरल हुईं थीं.
समाज जीवन में हो रही कटु आलोचनाओं के चलते इन्हीं कलेक्टर आशीष सिंह ने उक्त सभी उल्लंघनकर्ताओं के विरुद्ध भारतीय दंड विधान, महामारी एक्ट वगैरह में तुरंत प्रकरण दर्ज कराने के लिखित निर्देश सर्व-संबंधितों को दिए थे. नतीजा सिफर ही रहा: पुलिस भी सब-कुछ गोल-मोल कर गई और कलेक्टर साहब को क्या पड़ी थी जो वो अन्य कोई जोखिम लेते! इस बार भी वह विजयवर्गीय के मंदिर प्रवेश के सवाल को टालते दिखे!
अनुत्तरित प्रश्न:
(1) विजयवर्गीय को किस हैसियत से और किसने तड़के 2-3 बजे के बीच मंदिर में प्रवेश कराया?
(2) प्रशासन ने भस्मार्ती के वीडियो फुटेज तो जारी कर दिए लेकिन वह भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के मंदिर से लौटने वाले वीडियो पर क्यों चुप्पी साधे बैठा है?
(3) मंदिर में सोला पहनकर विजयवर्गीय क्या कर रहे थे? उनके साथ इतने सारे लोग कौन थे और यह सभी मंदिर में सुबह 2-3 बजे के बीच कैसे घुस आए? इन्हें रोकने की कोशिश क्यों नहीं की गई?
(4) उक्त अवधि में प्रशासनिक अधिकारी क्या कर रहे थे? अगर निचले स्तर के अमले ने मंदिर में विजयवर्गीय को प्रवेश दिया तो उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
(5) पूरे घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनकी राज्य सरकार और भाजपा के मौन के पीछे क्या रहस्य है?
जरा गौर फरमायें:
(1) श्रावण मास में बाबा महाकाल के दर्शन/पूजन/अभिषेक के लिए हर दिन हजारों श्रद्धालु उज्जैन पहुंच रहे हैं.
(2) राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री, भाजपा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, सांसद-विधायक, न्यायाधिपति वगैरह का भी लगातार आवागमन जारी है.
(3) इन किसी भी विशिष्ट व्यक्ति ने आज दिनांक तक भस्मार्ती के दर्शन नहीं किए हैं। प्रोटोकॉल होने पर भी उक्त लोगों ने नंदी हॉल के पीछे से आम श्रद्धालू की तरह पूजन व अभिषेक किया.
लेखक उज्जैन के वरिष्ठ पत्रकार हैं। विगत तीन दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। संप्रति – ब्यूरो प्रमुख, फ्री प्रेस जर्नल, उज्जैन
(उक्त लेख में प्रकट विचार लेखक के हैं। संपादक मंडल का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।)