दाऊद का सोना तस्करी गुरु लल्लू जोगी : सोना तस्करी का अंतिम सूरमा गया
- सोना तस्करी युग के अंतिम सूरमा लल्लू जोगी का निधन
- हजारों लोग शामिल हुए लल्लू जोगी की शवयात्रा में
- मुंबई के लीलावती अस्पताल में चल रहा था इलाज
- लंबी बीमारी से हुआ निधन लल्लू जोगी का
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 16 मई 2019
अपने कारनामों से सोना तस्करी में दमन का दम दिखाने वाले और उस युग के अंतिम तस्कर लल्लू भाई जोगी भाई पटेल उर्फ लल्लू जोगी की मौत के साथ उस दौर का सब कुछ खत्म हो गया।
पता चला है कि लल्लू जोगी ने आज सुबह साढ़े नौ बजे लीलावती अस्पताल में इलाज के दौरान आखिरी सांस ली।
दोपहर दो बजे तक सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करके परिवार लल्लू जोगी का शव लेकर दमन के लिए निकले। पांच बजे से दमन में गाजे-बाजे और धूमधाम के साथ लल्लू जोगी की शव यात्रा पूरे दमन में निकली।
लल्लू जोगी के अंतिम सफर में साथ देने के लिए लगभग तीन हजार लोग आए बताते हैं। सात बजे उनकी अंत्येष्टि मरवण श्मशान भूमि पर समंदर किनारे हुई। वही समंदर लल्लू जोगी के अंत का भी गवाह बना, जो उसके उदय और जीवनकाल का गवाह रहा है।
लल्लू जोगी का परिवार
लल्लू की मौत के बाद उसके परिवार में कहने के लिए बस बेटियां और दामाद तथा उनके परिवार ही पीछे छूटे हैं। लल्लू जोगी के बड़े बेटे दिलीप (45) ने भी अवसाद में भर कर सन 2007 में एक दिन आत्महत्या कर ली थी। छोटे बेटे संदीप की लाश एक होटल में सड़ी हालत में मिली थी। छोटे बेटे संदीप ने ही अपनी मां चंपा बेन की हत्या की थी। इस मामले में बेटे की गिरफ्तारी भी हुई थी।
लल्लू जोगी की पांच बेटियां हैं, जिनका वैवाहिक जीवन ठीक है। वे सभी मजे से जीवन गुजार रही हैं। लल्लू जोगी के उदवाड़ा निवासी दामाद हंसमुख भाई भगवान भाई पटेल का परिवार ही एकाकी जीवन जी रहे इस अंतिम स्वर्ण तस्कर की देखभाल कर रहा था।
हाजी मस्तान से दोस्ती
सोना तस्करी के बादशाह माने जाने वाले मुंबई के हाजी मिर्जा मस्तान के पुराने दोस्त और साथ काम कर चुके लल्लू जोगी के बारे में कई किस्से-कहानियां आज भी दमन तथा मुंबई के तस्कर व लोग सुनाते हैं। हाजी और लल्लू के बारे में कहा जाता है कि वे एक साथ दमन के समंदर से सोना तस्करी करते रहे हैं। उनके साथ में मुजरा देखने और मौज-मस्ती करने के किस्से भी लोग दबी जुबान से सुनाते हैं।
दाऊद इब्राहिम का सरपरस्त
लल्लू जोगी के बारे में कहा जाता है कि युवा अपराधी दाऊद इब्राहिम कासकर को एक तरह से लल्लू जोगी की सरपरस्ती हासिल थी। लल्लू की तस्करी से आई सोने और चांदी की खेप मुंबई पहुंचाने का काम करते-करते शाबिर और दाऊद ने भी चमकीले सोने का काला कारोबार शुरू कर दिया था। इसमें लल्लू ने दाऊद की खासी मदद की थी।
आजादी का सिपाही था लल्लू जोगी
देश के सबसे बड़े सोना तस्करों में शूमार लल्लू जोगी के बारे में यह तथ्य लोगों को नहीं पता है कि वह दमन-दीव की आजादी की जंग लगने वाले सिपाहियों में शामिल रहा है। उसने पुर्तगालियों के खिलाफ सशस्त्र रक्तरंजित क्रांति में आगे बढ़ कर हिस्सा लिया था। उसके घर में आज भी भारत सरकार का दिया स्वतंत्रता सेनानी प्रमाण पत्र लटका हुआ दिखता है।
खौफ का दूसरा नाम रहा है लल्लू
यह सोना तस्कर पूरे इलाके में खौफ का दूसरा नाम बना रहा है। जब उसका सोना या चांदी समंदर से होकर खाड़ियों के जरिए गांव तक आता था, तब गांव के बच्चों के रोना तक मना था। पूरे इलाके के घरों में दीए-लालटेन तक बुझाने का हुक्म रहता था। जो हुक्मउदूली करता, उसे गांव में रहने का अधिकार नहीं होता था।
सोना तस्करों की दोस्ती
इसके पहले दमन के पास ही रहने वाले भाणा भाई पटेल की मौत हो चुकी है। भाणा भाई पटेल के साथ कभी भी लल्लू जोगी का कोई विवाद नहीं रहा। दोनों मिल जुल कर बड़े आराम से सोना तस्करी करते रहे हैं। उसके हाजी मस्तान से बेहद मधुर संबध थे। हाजी मस्तान कभी भाणा भाई का नाम सही उच्चारित नहीं कर पाता था। वह हमेशा उसे दाना भाई ही पुकारता था। इसी के चलते पूरी मुंबई में दाना भाई के नाम से ही वह मशहूर हो गया था। दमन निवासी सुकुर नारायण बखिया भी उतना ही बड़ा तस्कर रहा है। वह भी लल्लू जोगी का दोस्त रहा है।
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