केपी के कारनामे – भाग 4 – केपी कंपनी के काले कारनामे
- अमर नाईक का सेनापति था केपी
- एक विधायक और गिरोहबाज की हत्या की थी
- कुमार पिल्लै का इलाका है विकरोली और भांडूप
- दुनिया भर में फैला है केपी का खेल
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 02 जुलाई 2016।
गिरोह सरगना कुमार पिल्लै उर्फ केपी का मुंबई के पूर्वी उनगगरों विकरोली और भांडूप में दबदबा बना हुआ है। केपी कंपनी के काफी सारे गुंडे इस इलाके में आज भी सक्रिय हैं। वे मांडवली, हफ्तावसूली और जमीनो पर कब्जा करने के धंधे में लगे हैं।
गोदरेज की जमीनों पर कब्जा
विकरोली में ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर गोदरेज कंपनी की खाली पड़ी जमीनों पर केपी के गुंडों कब्जे करके गोदाम बना रखे हैं। इन गोदामों को विभिन्न कारोबारियों को किराए पर देकर मोटी रकम केपी के गुंडे हर महीने वसूलते हैं। गोदरेज कंपनी ने इन अवैध कब्जेदारों से झगड़ा करने के बदले में वह जगह छोड़ कर पत्थर की दीवार बना दी है।
विधायक के भाई को धमकी
18 अगस्त 2013 की सुबह 10 बजे विधायक मंगेश सांगले के भाई अरविंद के घर में तीन गुंडे घुसे थे। उन्होंने केपी से अरविंद की बात करवाई थी। उन्होंने पुलिस में मामला दर्ज करवाया कि केपी ने 75 लाख रुपए हफ्ता मांगा और जान से मारने की धमकी दी है। 20 सितंबर 2013 को इस मामले में केपी पर मोका के तहत मामला दर्ज किया था।
इस मामले में अरविंद के घर में घुसे तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तार हुए तीन गुंडों में दो, रामदास रहाणे और धनावड़े, पहले डी-कंपनी के लिए काम करते थे। बाद मे वे केपी के साथ जुड़ गए थे। ये दोनो पहले डी-कंपनी के लिए कुछ सुपारी हत्याएं कर चुके हैं। आर्थर रोड जेल में उनकी मुलाकात विनोद डी. गोघले से हुई थी, जो नाईक कंपनी के लिए काम करता था। उसके कहने पर ही दोनों केपी के लिए काम करने लगे थे।
फरवरी 2013 में धनावड़े जमानत पर रिहा हो गया। वह रहाणे और गोघले से अदालत के बाहर पेशी के दौरान मिला तथा उन्होंने अरवंदि से हफ्तावसूली करने की योजना बनाई थी।
तीन गुंडों को मोका में सजा
केपी कंपनी के तीन गुंडों को मोका अदालत ने विकरोली के एक बिल्डर के दफ्तर में सन 2009 में गोलीबारी करने के मामले में 23 सितंबर 2015 को सजा सुनाई। बिल्डर के दफ्तर में लोगों को डराने के लिए उन्होंने गोलियां भी चलाने की कोशिश की थी। तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त अतुलचंद्र कुलकर्णी के मुताबिक विदेशी टेलीफोन नंबरों से बिल्डर को धमकियां मिल रही थीं। फोन करने वाले खुद को कुमार पिल्लै और प्रसाद पुजारी बताते थे। उन्होंने बिल्डर को 50 लाख रुपए देने के लिए कहा तो उसने इंकार कर दिया था।
9 नवंबर 2009 को एक गुंडा शाम 5.10 बजे बिल्डर के दफ्तर में घुसा और सीधे उनके केबिन में पहुंचा। वहां उसका बेटा और भागीदार भी बैठे थे। उस गुंडे ने पिस्तौल से बिल्डर पर गोली चलाना चाही लेकिन पिस्तौल जाम हो गई। सारे लोग सकते में आ गए। वह गुंडा दफ्तर के बाहरी हिस्से में आया और सभी को धमकाता हुआ वहां से भाग गया। जाते समय वह खिड़की के कांच तोड़ गया था ताकी वहां भय का मौहाल बन जाए। विकरोली थाने में मामला दर्ज हुआ था।
अपराध शाखा ने इस मामले में जांच की और संजीत शेट्टी उर्फ लफड़ा शेट्टी, महेश कलिंगन, उमेश पुजारी, संतोष शिंदे और विनोद घोघले को गिरफ्तार कर लिया। लफड़ा शेट्टी से 7.65 केलीबर की एक पिस्तौल और कुछ गोलियां बरामद कीं। कलिंगन के पास से वह गोली बरामद हुई, जो चली नहीं थी। उमेश और संतोष पर लफड़ा शेट्टी को सहयोग करने का आरोप था। विनोद ने इस मामले में पूरी व्यवस्थाएं की थीं।
इस मामले में कुल 62 गवाह अदालत में पेश हुए। लफड़ा शेट्टी, महेश और विनोद के खिलाफ सबूत सही मानते हुए सजा सुना दी। दो आरोपियों को सबूत न होने के कारण बरी कर दिया।
उत्तरप्रदेश का शूटर
अपराध शाखा की इकाई सात के अधिकारियों ने दिवेश सिंह (26) को गिरफ्तार किया, जो केपी के लिए काम करता था। वह उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ का मूल निवासी है। गिरफ्तारी के तीन साल पहले से वह गिरोह से जुड़ा था। उसे बिल्डरों से हफ्तावसूली में लगा रखा था। तत्कालीन एपीआई संतोष सावंत के मुताबिक उसेक भांडुप स्टेशन पर आने की सूचना मुखबिरों से मिलने पर हमने जाल बिछा कर गिरफ्तार किया था। उसके पास से एक रिवॉल्वर और कुछ गोलियां बरामद हुए थे।
केपी के साथी आज भी मुंबई में सक्रिय हैं और वे गाहेबगाहे चर्चा में आते रहते हैं। उनकी हरकतों के खिलाफ विकरोली के लोग सोचने भी नहीं हैं।
समाप्त
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