केपी के कारनामे – भाग 2 – पिता की मौत का बदला लेने तक केपी ने नहीं पहनी चप्पल
- पिता की हत्या का बदला लेने के लिए बना डॉन
- पिता की मौत का बदला लेने तक चप्पल नहीं पहनी
- अमर नाईक से जुड़ा था कुमार पिल्लै
- पिता थे वरदराजन मुदलियार के खास साथी
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 30 जून 2016।
कुमार पिल्लै उर्फ केपी के बारे में यह तथ्य भी है कि अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए ही गिरोहबाज बना था। इसी चक्कर में वह अमर नाईक उर्फ रावण के साथ जुड़ा था।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके, केपी ने वरदराजन मुदलियार के करीबी दोस्त और तस्कर कृष्णा पिल्लै की उनके ही दफ्तर में गोली मार हत्या का बदला लेने के लिए जरायम की दुनिया में पांव रखा था। कृष्णा पिल्लै को दाऊद इब्राहिम ने गोलियां मरवाई थीं। दाऊद ने कृष्णा को मारने की सुपारी सुभाष माकड़ावाला को दी थी।
सुभाष माकड़वाला उस जमाने में डी-कंपनी का बड़ा ही दुर्दांत सुपारी हत्यारा था। उसने कई लोगों की हत्याएं की थीं। वह सीधे लोगों के घर या दफ्तर में घुस कर अंधाधुंध गोलाबारी करके हत्याएं करने में माहिर था।
इस हत्याकांड में जो लोग शामिल थे, उन्हें सबक सिखाने के लिए ही केपी ने अमर नाईक से हाथ मिलाया था। जब वह जेल में रहा था, तब अमर नाईक भी आर्थर रोड जेल में रह चुका है।
केपी ने कसम उठाई थी कि जब तक वह अपने पिता के हत्यारों को मार नहीं देगा, तब तक पांव में
जूते या चप्पल नहीं पहनेगा।
कौन था कृष्णा पिल्लै
एक सूत्र का दावा है कि कृष्णा पिल्लै भी वरदा दादा के साथ मिल कर तस्करी करता था। उसका भांडूप खाड़ी पर राज था। वहां की तमाम तस्करी और लैंडिंग गतिविधियां कृष्णा पिल्लै की कमान में ही चलती रही हैं।
कृष्णा पिल्लै की हत्या सुभाष माकड़वाला ने की थी। इस खेल में विधायक लाल सिंह चव्हाण का हाथ भी माना जाता है।
कृष्णा पिल्लै का एक क्लब भी था। कहा तो यह भी जाता है कि यह सोशल क्लब स्थानीय पार्षद ने खरीदने की कोशिश की थी। जब कृष्णा पिल्लै ने बेचने से मना कर दिया तो उससे दुश्मनी हो गई थी। उसी ने दाऊद को कह कर कृष्णा पिल्लै की हत्या करवा दी थी।
पहले भी हुआ हमला कृष्णा पिल्लै पर
सुभाष सिंह ठाकुर ने होटल सन एंड सेंड में लाल भाई पर गोलीबारी की थी। तब वहां कृष्णा पिल्लै भी साथ बैठा था। इस हत्याकांड में न केवल लाल भाई की मौत हुई थी, उनका जवान भतीजा भी मारा गया था।
इस हमले में कृष्णा पिल्लै के हाथ में एक गोली लगी थी। इस हमले के एक माह बाद ही कृष्णा पिल्लै को उनके स्कूल के सामने ही बने दफ्तर में घुस कर सुभाष माकड़वाला ने गोलियों से भून दिया था।
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