खेल खल्लास: योगेश पराडकर उर्फ परड्या : क्रिकेट का दीवाना बना हत्यारा
योगेश की कहानी पर एक मसाला फिल्म बन सकती है। वह भी ढेरों उतार-चढ़ाव और ऐसी जिंदगी के साथ अंडरवर्ल्ड में आया, जो बिल्कुल अलग है। कुछ अपराधी किरदारों से भले ही कुछ हिस्से मिलते लगें, फिर भी अलग रवानी रखती है।
क्रिकेट का योगेश पराडकर को क्रिकेट का नशा था। बल्ले से खेलने वाले हाथों ने कब बंदूक थाम ली, किसी को पता न चला। जब तक समझते, देर हो चुकी थी। वह आया, चला गया। उसका जाना, ठीक वैसा ही था, जैसा गिरोहबाजों का तय है।
क्रिकेट योगेश पराडकर की जिंदगी था। इस दीवानगी ने उसे अपराध में झोंका। लोग कहते हैं कि उसे अपराध की दुनिया में उतारने वाला कांजूर विलेज का सबसे खतरनाक गिरोह सरगना अशोक जोशी था।
योगेश पराडकर हमेशा किसी को कानों-कान खबर न पड़े, ऐसे काम करता था। वह अकेले ‘काम’ करता। शिकारों पर अकेले हमला करता। साथियों के बिना हत्याएं करता था।
योगेश के आतंक का फायदा उसकी मौत के बाद भी साथी गिरोहबाज उठाते रहे। आतंकफरोशी का खेल योगेश के नाम के साथ चलता रहा, भले योगेश का हो गया था खेल खल्लास।