खेल खल्लास: गोपाल शेट्टी उर्फ येड़ा गोपाल : काली दुनिया का पागल
खतरनाक पागलों सी हरकतों करने वाले गिरोहबाज येड़ा गोपाल से सभी खौफ खाते थे। वह अचानक रोने, अचानक हंसने लगता। एक बार झपट पड़े तो शिकार का बचना नामुमकिन था।
उसके पागलपन के दर्जनों किस्से खूंरेजी के बाजार में सुनाई देते हैं। यही कारण है वह येड़ा गोपाल नाम से पहचाना जाता है। उसकी सनक और पागलपन के पूरे किस्से लिखने बैठें तो महाग्रंथ तैयार हो जाएगा।
मुंबई के सबसे खतरनाक सनकी गुंडे का नाम अपराध शाखा अफसरों से पूछें तो येड़ा गोपाल ही बताएंगे। होटलवालों से हफ्तावसूली हो तो गोपाल बिल्कुल ‘येड़ा’ नहीं लगता था।
येड़ा गोपाल, तस्कर महेश ढोलकिया का कार चालक था। तीन ढोलकिया भाईयों में से दो गिरोह युद्ध में मारे जा चुके हैं।
येड़ा गोपाल का नाम अंधियाले संसार में तब चमका, जब सुभाष सिंह ठाकुर के साथियों समेत विरोधी सरगना अरुण गवली के मुख्यालय दगड़ी चाल पर एके-47 रायफलों से 1988 में हमला किया था।
फिर एक पागल का दारुण अंत होता है…
फिर एक साए का विलोप अंधियारे में होता है…
फिर एक गुंडे की कहानी अचानक खत्म हो जाती है…
यही हुआ येड़ा गोपाल के साथ भी… याने खेल खल्लास।
इं. प्रदीप सूर्यवंशी ने येड़ा गोपाल को मुठभेड़ में मार गिराया। उसका नाम मानवता के खिलाफ अपराधों के इतिहास में दर्ज होकर रह गया। सबका गेम करते-करते हो गया येड़ा गोपाल का भी खेल खल्लास।