खेल खल्लास: अनवर बादशाह : झोपड़पट्टी दादा से गिरोहबाज तक
मुंबईया झोपड़पट्टी दादा अमूमन गिरोहबाजों के संरक्षण में काम करते हैं। सरगनाओं को बदले में मोटा हफ्ता देते हैं। इसके बावजूद माफिया का काम करने से बचते हैं। अनवर बादशाह का मामला उलटा है। अनवर की जिंदगी के हर उतार-चढ़ाव की कहानी कहना बड़ा ही मुश्किल काम था।
पुलिस हिस्ट्री शीट के मुताबिक अनवर बादशाह 32 साल की उम्र में दर्जन भर हत्याओं का आरोपी बना। 2000 में पुलिस गोलियों का शिकार बनने तक शिवसेना के तीन शाखा प्रमुखों की हत्याएं कर चुका था।
अनवर को ‘बादशाह’ उर्फ नाम कई राजनीतिकों को मारने के बाद मिला। वो कहता था कि एक इलाके में एक ही ‘बादशाह’ होगा, दूसरों को हटा दो, या खत्म कर दो। अनवर ने दूसरा रास्ता चुना – ‘खत्म’ करने का।
पुलिस ने अनवर की मौत के बाद भी उसके परिवार पर नजर रखी क्योंकि वे अंडरवर्ल्ड से जुड़े रहे। वे नहीं समझे कि इस खेल में कभी किसी की जिंदगी संवरती नहीं, यहां तो होता है बस खेल खल्लास।