डी-कंपनी की अवैध इमारतें – 2 – मनपा की तोड़ी इमारत फिर बनाई डी-कंपनी ने
- महानगरपालिका ने तोड़ दी अवैध बनी इमारत
- फिर से बना दिया माफिया ने टूटी इमारत को
- तारिक पहवीन के कारिंदों ने बनाई है अवैध इमारत
- अवैध इमारतों पर कार्रवाई नहीं करते मनपा व पुलिस
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 11 दिसंबर 2015।
98, जकरिया स्ट्रीट। यह वही पता है, जो दाऊद गिरोह के लिए मूंछ की लड़ाई बन गया था। यह अवैध इमारत कुछ समय पहले दाऊद गिरोह के कुछ सुपहसालारों अवैध रूप से तामीर की थी। यह वही इमारत है, जो एक बार तो महानगरपालिका द्वारा तोड़ी गई थी, वह फिर बन कर तैयार है।
पता चला है कि इस इमारत में न केवल अब लोग रहने आ गए हैं बल्कि पूरी शान से तन कर यह फिर खड़ी हो गई है। कुछ फ्लैट अभी तक खाली ही हैं।
यह भी सूचना मिली है कि जब यह इमारत बन रही थी, तब इस में छह से सात हजार रुपए वर्ग फुट के भाव पर फ्लैट बिके थे। अब चूंकि यह यह बन कर पूरी तरह तैयार है, इसके चलते इमारत का भाव 8 से 10 हजार रुपए प्रति वर्ग फुट के बीच वसूला जा रहा है।
बता दें कि इस इलाके में अगर वैध इमारत बनती है तो कम से कम 20 हजार रुपए प्रति वर्ग फुट का भाव मिलता है।
यह इमारत डी-कंपनी के पुराने वफादार और अग्रणी पंक्ति के सिपहसालार तारिक परवीन के कारिंदों ने तैयार की है। मनपा अधिकारियों का इस इमारत को खुला समर्थन हासिल है। यही कारण है कि इस इमारत को महज थोड़ा सा नुकसान अंदर के ही हिस्से में पहुंचा कर तोड़ने की कार्रवाई की बस खानापूर्ती कर दी थी। इस मामले में पुलिस से लेकर मनपा तक कई लोगों ने शिकायतें की हैं लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।
पता चला है कि पुलिस और मनपा अधिकारियों की मिलीभगत के कारण ये संगठित अपराधी गिरोह के सिपहसालार और प्यादे अदालतों की शरण में जाते हैं। अदालत में वे यह दिखाते और साबित करते हैं कि पहले से ही इमारत 10 या 12 या 15 मंजिला थी। उसे मनपा अधिकारी अवैध रूप से गिराने की कोशिश कर रहे हैं। वे तो बस यहां कुछ मरम्मत करना चाहते हैं।
इस खेल का एक मजेदार पहलू यह है कि जब अदालत मनपा अधिकारियों से कहती है कि वे दस्तावेज पेश करें तो पहले से रिश्वत लेकर बैठे अधिकारी फाईल गुम होने का रोना रोने लगते हैं। इसके बाद अदालत डी-कंपनी के कारिंदों को स्थगनादेश और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दे देती है।
अदालत का यह आदेश हासिल होने के बाद बाद डी-कंपनी के सिपहसालार और प्यादे अपना काम पूरी तेजी और मुस्तैदी से करते हैं। वे तमाम फ्लैट बेच कर अपनी थैली में करोड़ों रुपए भर कर अगली अवैध इमारत तामीर करने के लिए निकल जाते हैं।