डी-कंपनी की अवैध इमारतें – 1 – पांच इमारतें बन रही हैं डी-कंपनी की दक्षिण मुंबई में
- डी-कंपनी की पांच अवैध इमारतों का निर्माण जोरों पर
- पुलिस व मनपा की मिलिभगत से बन रही इमारतें
- पुरानी इमारतों पर खतरनाक अवैध इमारतें बनाने का खेल
- 1 से 3 महीने में बन रही हैं 8 से 12 मंजिला इमारतें
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 10 दिसंबर 2015।
मुंबई के उस इलाके में, जहां कभी पठानों की जबरदस्त दहशत थी, आज तक जहां दाऊद गिरोह के खौफ का माहौल बना हुआ है, वहां अब इसी गिरोह के इमारत माफिया का खेल बड़े पैमाने पर जारी है। यह पूरा मायाजाल डी-कंपनी के कुछ सिपहसालारों और प्यादों द्वारा रचा गया है। पांच अवैध इमारतें किस तरह यहां ये माफिया बना रहा है, उसकी मिसाल कहीं और देखने के लिए नहीं मिलेगी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इतनी तेजी से तो झोंपड़े भी नहीं बन पाते हैं, जितनी तेजी से यहां का अवैध इमारत माफिया काम कर रहा है। इस खेल में महानगरपालिका और पुलिस अधिकारियं व कर्मचारियों का वरदहस्त होना साफ दिखता है क्योंकि इनके खिलाफ कई शिकायतें होने के बावजूद कभी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इन इमारतों के आसपास रहने वाले लोग किसी सरकारी विभाग में शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा बाते हैं क्यंकि मामला डी-कंपनी के गुंडों से जुड़ा है।
111, जकरिया स्ट्रीट।
यह इमारत 11 मंजिलों की बन कर तैयार हो चुकि है। इसके ऊपर 12 मंजिल भी आधी बन कर तैयार है। जब वहां के लिए कोई ग्राहक लगेगा तो उसे भी पूरा बना कर बेच दिया जाएगा। कुल एक माह के छोटे से वक्फे में बन कर तैयार हो गई यह इमारत पहले एक ढहा हुआ ढांचा भर था। महज एक रात में उसका मलबा हट गया, एक रात में आसपास की सड़क खोद दी ताकी मनपा और पुलिस के वाहन वहां तक न पहुंच सकें. तीसरे दिन तो सिर्फ 24 घंटों में ही इसकी नींव तैयार हो गई, उसके बाद 15 दिनों में दिन-रात एक कर लोड बियरिंग या टी-एंगल पर यह इमारत खड़ी भी हो गई। न कोई नक्शा, न कोई आर्कीटेक्ट, न कोई दस्तावेज, न कोई सरकारी आदेश, इमारत तैयार।
लगभग 3000 वर्ग फुट क्षेत्रफल वाली इस इमारत को बनाते समय बिल्डर माफिया ने यह भी ध्यान हीं रखा कि इस इमारत से पड़ोस की इमारत के बीच का फासला कितना है। दोनों इमारतों में आने-जाने के लिए अब लिफ्ट का सहारा नहीं लेना होगा, सीधे एक की खिड़की से दूसरे की खिड़की में होकर किसी के भी घर में जा सकते हैं। पूरी इमारत में कहीं भी ईंटों का इस्तेमाल नहीं हुआ है। फ्लाई ऐश और रसायनों से बनने वाली बेहद हल्की मोल्डेड ईंटे लगाई हैं, जो बेहद खतरनाक हैं।
यहां के फ्लैट 12,786 से 15,000 रुपए प्रति वर्ग फुट तक के भाव पर डी-कंपनी से जुड़े अवैध इमारत बनाने वाले नदीम पारख और फसार मिस्री ने बेचे हैं। इस इमारत के बनने से दोनों बाजू में बनी इमारतों की न केवल खिड़कियों से रोशनी आनी बंद हो गई है बल्कि उनकी हवा भी रुक गई है। इमारत बनाने वाले चूंकि दाऊद गिरोह से वास्ता रखते हैं, इसके चलते दोनों पड़ोसी इमारतों के निवासियों ने चूं तक नहीं की।
90, मेमनवाड़ा रोड के पास।
यह इमारत पहले तल मंजिल पर दो और मंजिलों वाली कुल 3 मंजिला थी। अब यहां निर्माण कार्य जोरों से जारी है। अब तक तल मंजिल समेत कुल चार मंजिलों की तामीर पूरी हो चुकी है।
शाही मसजिद के सामने
एक और इमारत है, जो पहले तल मंजिल पर तीन और मंजिलों वाली कुल 4 मंजिला इमारत थी। इसका काम भी चल रहा है। अब वहां लोड बियरिंग की तल मंजिल समेत कुल दो मंजिलों का ढांचा खड़ा हो चुका है। इसे सलीम तलवार का भाई अनीस तलवार उर्फ अनीस मिस्त्री का बेटा फरार मिस्त्री बना रहा है।
39, निशानपाड़ा, एक्स लेन, अब्दुल रहमान शाह बाबा दरगाह के पास, मुंबई-9
यह इमारत भी अवैध रूप से बन रही है। पहले तल मंजिल पर दो और मंजिलों वाली कुल 3 मंजिला इमारत थी। इसे फिलहाल तोड़ना शुरू किया है। यह इमारत तारिक परवीन बनवा रहा है।
19-22, टनटनपुरा स्ट्रीट, डोंगरी, मुंबई-9
पहले तल मंजिल पर दो और मंजिलों वाली कुल 3 मंजिला इमारत थी। इसे फिलहाल तोड़ना शुरू किया है। जल्द ही इसे बनाने की काम भी शुरू किया जाएगा। यह इमारत भी तारिक परवीन बनवा रहा है।
तारिक परवीन के बारे में सब जानते हैं कि वह कितने बड़े स्तर पर अवैध इमारतों के कारोबार में इस इलाके में लगा हुआ है। कुछ दिनों पहले तारिक परवीन की एक इमारत पर मनपा का हथौड़ा चला था। इसे लेकर कई तरह के कयास लगते रहे थे।
एक तरफ यह भी कहा गया कि अब तारिक परवीन के दिन पूरे हो गए हैं, लेकिन इस इमारत के निर्माण से यह साफ हो गया कि उसके खेल अभी भी बेखौफ जारी हैं।
(दैनिक मुंबई मित्र एवं वृत्त मित्र में प्रथम प्रकाशित)