CrimeExclusiveMafia

डी-कंपनी की अवैध इमारतें – 8 – सलीम और फराज की दो इमारतें हो रही हैं तैयार

  • सलीम फ्रूट के पैसों से बन रही है इमारत
  • रिजवान सर की है यह अवैध इमारत
  • 9 मंजिल तक बनेगी अवैध इमारत
  • 9 हजार रुपए वर्ग फुट का चल रहा है भाव

विवेक अग्रवाल

मुंबई, 17 दिसंबर 2015।

37/41, रहमान मंजिल, तांडेल स्ट्रीट, एम सारंग मार्ग, मुंबई 3। बाबा गली में स्थित यह इमारत भी अवैध रूप से तैयार हो रही है। यह इमारत भी रिजवान सर बना रहा है। इसके बारे में जो जानकारी सामने आई है, वह ये है कि चार मंजिला यह इमारत सलीम फ्रूट के पैसों से बन रही है।

 

सूत्रों के मुताबिक पहले यह इमारत तल मंजिल के ऊपर दो और मंजिलों वाली थी। यह लगभग 2,000 वर्ग फुट की है। इसका काम अभी चल रहा है। इसकी चार मंजिलें बन चुकी हैं। बताया जा रहा है कि यह इमारत कम से कम 9 मंजिल तक तो बनेगी ही।

 

पता चला है कि यहां का भाव कम से कम 8 से 9 हजार रुपए प्रति वर्ग फुट तो इमारत बनाने वालों को मिल ही जाएगा। ढेरों गरीबों के खून-पसीने की कमाई इस इमारत में लगी है। यदि मनपा का हथौड़ा पड़ा तो सबसे अधिक नुकसान इन गरीबों का ही होगा।

 

इमारत क्रमांक 37 के पास, धोबी गली, मुंबई 3, फराज सुपारीवाला बना रहा है। मुखबिरों के मुताबिक यहां का काम अभी जारी है। पहले यह इमारत तल मंजिल के साथ ऊपर एक मंजिल की थी। यह चकला मार्केट के पास है, जो कपड़ों का बेहद व्यस्त बाजार है। यहां संपत्तियों के भाव आसमान छू रहे हैं।

 

सूत्रो के मुताबिक इसी कारण इस अवैध इमारत को भी अच्छी कीमत मिलेगी। कहा जा रहा है कि इस इमारत के लिए कम से कम 30 हजार रुपए प्रति वर्ग फुट का भाव आसानी से मिल जाएगा। लोग यहां पर अपनी दुकानें और माल रखने के लिए गोदाम बनाने के लिहाज से 100 से 250 वर्ग फुट तक के फ्लैट आराम से खरीद लेंगे। यह इमारत 8 मंजिल तक बनने की संभावना है।

 

फराद के बारे में कहा जाता है कि वो विदेश काफी आता-जाता है। उसके एक गिरोह विशेष से गहरे संपर्कों की जानकारी से भी इंकार नहीं किया जाता है। पता चला है कि फराज चार या पांच करोड़ रुपए तक की हकीर कीमत में पुरानी जर्जर इमारत खरीदता है। इसे लोड बीयरिंग की बना कर 15 से 20 करोड़ में बेच कर अच्छी कमाई करता है।

 

पता चला है कि ये अवैध इमारत बनाने वाले पहले तो किसी तरह से अवैध इमारत खड़ी कर लेते हैं, उसके बाद अदालत में कोई न कोई मसला डाल कर उस पर स्थगनादेश ले आते हैं। इस काम में उनकी मदद खुद महानगरपालिका और पुलिस के अधिकारी व कर्मचारी ही करते हैं। उसके बाद अगर कभी शिकायत होती भी है तो इस स्थगनादेश की प्रतियां दिखा कर तोड़ने से रोक देते हैं। उसके बाद अदालत में बरसों तक मामला चलता रहता है, इमारत में लोग मजे से रहते हैं, मनपा उन्हें तोड़ती नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Web Design BangladeshBangladesh Online Market