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Political Satta: गुजरात चुनाव पर सट्टा खुला छह महीने पहले, सट्टाबाजार का रिकॉर्ड टूटा

विवेक अग्रवाल

मुंबई, 30 मई 2022।

सट्टाबाजार के इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी राज्य अथवा राष्ट्रीय स्तर के चुनाव की तारीखें घोषित होने के छह महीने पहले ही सटोरियों ने सट्टे के भाव खोल दिए हों। गुजरात राज्य में चुनाव की आहट अभी सुनाई भर दी है, पार्टियों ने अभी तक खम ठोंकना भी शुरू नहीं किया है, लेकिन सट्टाबाजार ताल ठोंक कर मैदान में उतर भी कर गया है।

गुजरात में 182 सीट पर चुनाव होने वाले हैं, जिसके लिए सट्टाबाजार ने अभी से भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल होते हुए दिखा दिया है। भाजपा के सामने कांग्रेस को बेहद लचर स्थिति में सट्टाबाजार दिखा रहा है। इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी का तो खाता खोलना भी नहीं दिखाया जा रहा है।

सीटों के भाव

भाजपा की जीत के लिए 100 सीट पर 22 पैसे, 110 सीट पर 42 पैसे, 120 सीट पर 82 पैसे और 130 सीट पर जीत के लिए 1 रुपए 50 पैसे का भाव खुला है।

कांग्रेस की जीत के लिए 25 सीट पर 25 पैसे, 30 सीट पर 42 पैसे, 35 सीट पर एक रुपए और 40 सीट पर 2 रुपए का भाव खोला गया है।

एक बुकी के मुताबिक आम आदमी पार्टी को गुजरात चुनाव में कोई लाभ नहीं होने जा रहा है।

राजनीतिक दबाव!

बुकी से जब पूछा कि क्या समय से इतना पहले चुनाव सट्टा खोलना किसी राजनीतिक दबाव का नतीजा है? इसका जवाब देने से बुकी आनाकानी करने लगा। उसने सीधे तौर पर तो नहीं कहा लेकिन एक तरह से यही जlलाने की कोशिश करता रहा कि यह चुनाव की पूर्व पीठिका ही है। इसे भाजपा का ‘छद्म प्रचार अभियान’  का एक हिस्सा मान लें तो गलत नहीं होगा।

सरकार का भाव

सट्टाबाजार के मुताबिक भाजपा की गुजरात में सरकार बनने का भाव पांच पैसे है। कांग्रेस की सरकार बनने का भाव 25 रुपए है। आम आदमी पार्टी के लिए कोई भाव नहीं खोला गया है।

छह महीने पहले क्यों?

किसी राज्य के चुनाव पर जब सट्टा खोला जाता था, तो एक सीजन में लगभग 50 हजार करोड़ रुपए तक एक महीने में सट्टा लगता था। इस बार लेकिन छह महीने का लंबा अंतराल होगा, जिसमें कितना सट्टा लगेगा, कितनी रकम का सट्टा लगेगा, यह विचारणीय तथ्य बना हुआ है।

गुजरात में दुविधा

सट्टाबाजार का कहना है कि गुजरात के कुबेर और खोडल धाम के ट्रस्टी नरेश पटेल इस दिनों खासी दुविधा में है कि कॉन्ग्रेस में जाएं या नहीं। सट्टाबाजार सूत्रों के मुताबिक उन्हें कांग्रेस में उच्च पद पर आसीन होने का प्रस्ताव मिला है। पटेल समाज का वोट बैंक मोड़ने की ताकत भी उनमें है लेकिन वे वर्तमान केंद्र सरकार और उसके ताकतवर नेताओं से पंगा लेंगे या नहीं, यह अभी समझ नहीं आ रहा है।

सट्टाबाजार का मानना है कि वे राजनीतिक लाभ के लिए अपना आर्थिक साम्राज्य खत्म करना नहीं चाहेंगे।

बुकियों के मुताबिक शिवसेना समेत जिस पार्टी या व्यक्ति ने भाजपा के वर्तमान नेतृत्व से विवाद किए या पंगा लिया है, उन्हें नेस्तनाबूद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। यही हाल महाराष्ट्र में शिवसेना का भी किया जा रहा है। इसे देखते हुए सब सावधानी बरत रह हैं।

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