‘सड़क की चोरी’ पर मुंबई हाईकोर्ट का सख्त आदेश : सड़क के मुहाने पर बने अवैध निर्माण गिराए मनपा
विशेष संवाददाता,
मुंबई, 22 जुलाई 2016
मुंबई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए देश की सबसे बड़ी महानगरपालिका के भ्रष्ट अधिकारियों के गाल पर कस कर तमाचा जड़ा। जस्टिस शांतनु केमकर और जस्टिस मकरंद कर्णिक खंडपीठ ने महानगर मुंबई के घाटकोपर इलाके में एलबीएस रोड पर स्थित एक बड़े नाले की सफाई करने के लिए छोड़ी गई पांच मीटर चोड़ी सड़क पर ही हुए अवैध कब्जे को हटाने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि वहां सख्त कार्रवाई करके कार्य पूर्ण होने की रपट 19 अगस्त को पेश करें।
याचिका नदीम रिसायत अली कपूर के पक्ष में वकील जीके गोले और सत्यम आचार्य ने मुंबई हाईकोर्ट में बहस करते हुए और कई दस्तावेज पेश करते बताया कि इस सड़क पर कब्जा कर लेने के कारण न केवल नाले की सफाई असंभव हो जाती है बल्कि मुंबई के इस इलाके में बाढ़ जैसे हालात कभी भी बन सकते हैं। अदालत ने दस्तावेजों और पेश सबूतों के आधार पर महानगरपालिका को तुरंत सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए। वकीलों ने अदालत को यह भी बताया कि इस सिलसिले में याचिकाकर्ता ने अधिकारियों को हर स्तर पर पत्र लिख कर अवैध निर्माण तोड़ने के लिए निवेदन दिए थे लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके चलते अदालत के सामने मामला लाना पड़ा।
बता दें कि इस सड़क की मालिक मुंबई महानगरपालिका को यह पता ही नहीं चला था कि इस जगह पर अवैध कब्जा हो गया है। न उसने कभी पुलिस को बताया, न आंतरिक जांच की। सड़क किसके कब्जे में है, यह तमाम विभागों के अधिकारियों को पता है, लेकिन स्थानीय भू माफिया से टकराने से सब पीछे हट जाते हैं। इस जगह पर लगभग 175 करोड़ का घोटाला हुआ है।
सड़क की चोरी
मुंबई में अब तक हीरे,सोने, जेवरात, वाहनों, मोबाईल फोन जैसे मंहगे सामान की चोरियां होती रही हैं, लेकिन सड़क की चोरी हो जाए तो आप क्या कहेंगे? आरटीआई कार्यकर्ता और याचिकाकर्ता नदीम कपूर कहते हैं, “अदालत ने आज जता दिया कि न्याय व्यवस्था है और उसके सामने भ्रष्ट अधिकारियों और भू माफिया की नहीं चलने वाली है। असलियत यही है कि मनपा अधिकारियों की नाक के नीचे सड़क पर भू माफिया ने कब्जा किया लेकिन वे कुछ नहीं कर रहे हैं। इससे यही साबित होता है कि इस मामले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है, या फिर वे इस भू माफिया से टकराने का साहस नहीं रखते हैं।”
नदीम कपूर के मुताबिक आरटीआई से हासिल दस्तावेजों से साफ है कि घाटकोपर में एलबीएस रोड पर आर सिटी मॉल के पास बने लगभग 4.8 मीटर चौड़े पार्कसाईट मेजर नाले की सफाई के लिए बनी सड़क पर रुनवाल बिल्डर ने 5 मीटर चौड़ी सड़क मनपा के विभाग एसडब्ल्यूडी के आदेश पर एमएस का गेट, सड़क बना कर देने और रीटेनिंग वॉल बना कर सौंपी थी। रुनवाल बिल्डर की परियोजना के आधार पर सड़क एवं दीवार बना कर देने का आदेश हुआ था। सड़क व दीवार के बदले रुनवाल बिल्डर को मनपा ने उतना ही टीडीआर दिया था, जितनी सड़क छोड़ी थी। इसका मतलब यह है कि मनपा की एनओसी मिलने के बाद रूनवाल बिल्डर को एसडब्ल्यूडी का फायदा मिला था।
इस सड़क से मनपा के कचरा और गाद सफाई वाहन एवं कर्मचारी पार्कसाईट मेजर नाले के साथ–साथ आगे तक सफाई करने जा सकते हैं। उसी सड़क पर भू माफिया ने कब्जा कर लिया था। इस सड़क का मुख्य दरवाजा ताला लगा कर बंद रखा जाता है। वह दरवाजा भी गायब है। उसके बदले लगभग 10 हजार वर्ग फुट की दुकान बन गई है। यहां भू माफिया आगे भी अतिक्रमण कर रहा है। यहां अवैध रूप से फर्नीचर की दुकान चल रही है।
नदीम कपूर का कहना है कि एक जौहरी ने 3 हजार वर्ग फुट की जगह नए शोरूम के लिए खरीदना चाहा, जिसके लिए लगभग साढ़े सात करोड़ रुपए की रकम तय हुई थी। इस मामले की शिकायत पार्क साईट थाने में की थी। इसके बाद जौहरी को डर लगा कि उसका पैसा डूब जाएगा और अतिक्रमण के कारण शोरूम तोड़ा जा सकता है तो भू माफियाओं को दी अग्रिम रकम वापस लेने जुट गया था।
मनपा अधिकारियों की मिलीभगत
नदीम कपूर आरोप लगाते हैं कि सड़क चोरी और भू माफियाओं को स्थानीय मनपा अधिकारियों और राजनीतिक संरक्षण है। अतिक्रमण की शिकायतें होने या आरटीआई के तहत जानकारियां लेने के बावजूद अधिकारी वहां न सर्वेक्षण करते हैं, न पता करते हैं कि अतिक्रमण हुआ कि नहीं। सड़क बंद होने से पार्कसाईट मेजर नाले की सफाई पिछले दो साल से नहीं हो रही थी। सफाई हेतु जाने वाले कर्मचारी भी यह जानकारी रपट में करते होंगे कि वे मार्ग बंद होने से कुछ नहीं कर पा रहे हैं। अधिकारियों के पास जानकारी होगी कि सड़क पर अतिक्रमण हो चुका है। इसके बावजूद कार्रवाई न करना कई सवाल उठाता है।
मनपा के एन वॉर्ड के वॉर्ड अधिकारी, अतिक्रमण विभाग – बिल्डिंग एंड फैक्ट्री के सहायक आयुक्त और एसडब्ल्यूडी के सहायक आयुक्त को लिखित शिकायतें 19 नवंबर 2014 को, लगभग पांच माह पहले की थीं। कार्रवाई नहीं हुई तो नदीम कपूर ने अतिक्रमण विभाग – बिल्डिंग एंड फैक्ट्री के सहायक आयुक्त के पास 24 नवंबर 2014 को एक आरटीआई भेजी, जिसमें शिकायत पर की कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। आरटीआई के तहत 12 दिसंबर 2014 को जवाब मिला, कि इस कार्यालय ने किसी अतिक्रमण को इजाजत नहीं दी है। कोई नोटिस इसलिए जारी नहीं किया क्योंकि अवैध निर्माण की प्रमाणिकता एवं वैधता के दस्तावेज पेश नहीं किए हैं। कोई शिकायत ढांचे के संदर्भ में नहीं मिली है।
बता दें कि एन वॉर्ड के सहायक अभियंता – कारखाना व इमारत ने नदीम कपूर की शिकायत पर भेजे जवाबी पत्र (पत्र क्रमांक एसीएन/30854, 30855, 30856/बीएंडएफ, दिनांक 31 दिसंबर 2014) में लिखा है कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र का नहीं बल्कि सहायक आयुक्त, एसडबल्यूडी का अधिकार क्षेत्र का है। सहायक आयुक्त, एसडबल्यूडी का पता भी पत्र में दिया है। विचारणीय मुद्दा यह है कि क्यों एन वॉर्ड के सहायक अभियंता – कारखाना व इमारत ने नदीम कपूर की शिकायत सहायक आयुक्त, एसडबल्यूडी को आधिकारिक रूप से खुद नहीं भेजी? वे ऐसा करते तो सहायक आयुक्त, एसडबल्यूडी को इस पर कार्रवाई करनी ही पड़ती।
घाटकोपर में होगा 26 जुलाई जैसी बाढ़ का नजारा!
पार्कसाईट मेजर नाले में गाद, मिट्टी, कचरे, प्लास्टिक, कागज भरे पड़े हैं। नाला बारिश में तबाही ला सकता है। नाला सफाई हेतु मनपा वाहन अंदर नहीं गए, जिसके कारण सफाई मुमकिन नहीं थी। नाले में गाद, मिट्टी, कचरा, प्लास्टिक जमा होता रहा। जल्द ही सफाई नहीं हुई तो वह दिन दूर नहीं, जब नाले में कचरा फंस जाएगा। उसके बाद नाले का सारा पानी एलबीएस रोड समेत आसपास के इलाके में भर सकता है।
आसपास के निवासियों को डर सता रहा है कि इस इलाके में भी मीठी नदी जैसा विकराल रूप यह नाला न धर ले। ऐसा हुआ तो घरों में पानी भर जाएगा जिससे लोगों का नुकसान होगा, बीमारियां फैलेंगी।
सड़क गायब होने के पीछे घोटाला 175 करोड़ का!
नाला सफाई की सड़क पर अतिक्रमण के कारण सरकार को लगभग 175 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। लगभग 500 मीटर लंबाई में सड़क पर अतिक्रमण अंदरूनी तौर पर होता रहा। 500 मीटर गुणा 5 मीटर मिला कर 2,500 वर्ग मीटर याने लगभग 27 हजार वर्ग फुट भूखंड पर कब्जा और गोदाम व दुकानें बनने की संभावना है। 10 हजार फुट पर निर्माण हो चुका है। व्यावसायिक जगह का भाव लगभग 30 हजार रुपए प्रति वर्ग फुट है। इस तरह कुल 10 हजार वर्ग फुट निर्माण की कीमत 30 करोड़ रुपए आंकी जाती है। इस तरह कुल 27 हजार वर्ग फुट की बाजार में कीमत 81 करोड़ रुपए होगी।
अंदाजन रूनवाल बिल्डर को 27 हजार वर्ग फुट जमीन के सामने इतना ही व्यावसायिक टीडीआर मिला होगा। रूनवाल बिल्डर यदि मॉल या किसी व्यावसायिक इमारत में यह 27 हजार वर्ग फुट अतिरिक्त निर्माण करे तो लगभग 35 हजार रुपए प्रति वर्ग फुट का भाव मिला तो लगभग 94.50 करोड़ का फायदा होने की संभावना है। एक नजर में रुनवाल बिल्डर को फायदा हो रहा है, भू माफिया को फायदा हो रहा है, नुकसान महानगरपालिका, सरकार और घाटकोपर की जनता का है। कुल साढ़े 175 करोड़ का नुकसान तो सामने दिख रहा है।
नदीम कपूर का दावा है कि मनपा के एसडब्ल्यूडी विभाग द्वारा नाले की सड़क बनाने और सौंपने को लेकर जारी एनओसी तब तक वैध है, जब तक रूनवाल बिल्डर का प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता। उसके मॉल को ओसी नहीं मिली है। मनपा नियमानुसार ओसी मिले बगैर सड़क पर अवैध कब्जा होता है तो एनओसी रद्द हो जाती है। नदीम कपूर दावा करते हैं कि टीडीआर भी वापस होना चाहिए।