Drugs: मौत की म्यांऊ-म्यांऊ – 6 – म्यांऊ-म्यांऊ कर रही हैं लड़कियां
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 8 मई 2015
लड़कियों का इस्तेमाल एमडी की तस्करी और खरीद-बिक्री में जम कर हो रहा है। सूचना मिली है कि लड़कियों को इस काम में उतारने वाले उनके ही परिवार के लोग हैं, जो खुद इस कारोबार में लगे हैं।
एमडी की तस्करी और खरीद-फरोख्त करने वाली महिलाओं में सबसे बड़ा नाम इन दिनों शशिकला रमेश पाटनकर उर्फ बेबी का ही चल रहा है, लेकिन जब इस खेल की और जानकारी जुटाई तो पता चला कि न केवल जवान और खूबसूरत लड़कियों को एमडी की तस्करी में लगाया है बल्कि उनके जरिए माल बिकवाया भी जा रहा है।
सुंदर लड़कियों को मोटी रकम का लालच देकर एमडी की तस्करी करवाई जा रही है। इन लड़कियों को आमतौर पर अकेले ही माल लेकर दूसरे शहर भेजा जा रहा है।
पता चला है कि एक किलोग्राम एमडी की खेप के सुरक्षित पहुंचने पर लड़कियों को लगभग 10 से 20 हजार रुपए की आमदनी हो जाती है। साथ ही उन्हें ट्रेन में आराम से सफर करने के लिए एसी थ्री या एसी टू का टिकट दिया जाता है। वे खुद को मॉल या टीवी अभिनेत्री बताती हैं।
बाहरी लड़कियों के अलावा बड़े पैमाने पर परिवार की महिलाओं का भी इस्तेमाल एमडी के तस्कर और विक्रेता कर रहे हैं। इसके कारण न केवल उनका राज फाश होने से बचा रहता है, जो खर्च बाहरी लड़कियों को देना होता है, वह भी बच जाता है।
नशा तस्कर हवलदार की साथी 2 महिला
मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन के हवलदार धर्मराज बाबूराज कालोखे के खिलाफ एनडीपीएस कानून के तह जब मामला बना और जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि कालोखे से जुड़ी वरली और कुर्ला की दो महिला नशी तस्करों के साथ उसके प्रगाढ़ संबंध हैं। उनमें से एक तो शशिकला उर्फ बेबी निकली। कालोखे की सहयोगी एक और महिला नशा तस्कर की गिरफ्तारी होना अभी बाकी है।
शशिकला उर्फ बेबी का महिला दस्ता
शशिकला रमेश पाटनकर उर्फ बेबी वरली इलाके से एमडी की तस्करी और बेचने का कारोबार करती है। उसके गिरोह में कई लड़कियां हैं, जो कि उसके लिए नशा पहुंचाने का काम करती हैं। बेबी का तरीका ही निराला रहा है। वह हमेशा मोटी और अंधी कमाई के इच्छुक पुलिस अधिकारियों को फंसा कर उनसे नशा तस्करी और खरी-बिक्री करवाती है।
शशिकला का पति रमेश भी नशे के कारोबार में ही था। उसकी मौत के बाद ही शशिकला ने यह कारोबार अपना लिया था। फरवरी 2015 में उसके वरली निवास पर एनसीबी ने छापामारी की थी।
इस छापामारी के बाद से ही शशीकला ने डर कर अपना तमाम माल सस्ती कीमत पर ही ठिकाने लगाना शुरू कर दिया था। इसके साथ ही उसने अपना माल सुरक्षित ठिकानों पर भी पहुंचाने की कवायद शुरू की थी। वह सन 2001 में ब्राईन शुगर बेचते हुए रंगे हाथों एनसीबी द्वारा गिरफ्तार भी की जा चुकी है।
एनसीबी अधिकारियों के मुताबिक बेबी की सूचना पर ही डीवायएसपी अशोक धवले को सन 2011 में 1.5 किलो हेरोईन के वरली से गिरफ्तार किया था। बता दें कि डीवायएसपी अशोक धवले ने भी यह माल बेबी के लिए किसी से खरीदा था लेकिन उसे देने के पहले ही पकड़े गए क्योंकि बेबी ने उनसे धोखा किया था। वह पुलिस व एनसीबी अधिकारियों को खुश करना चाहती थी ताकी वे उसके साथ नरमी बरतें।
पत्नी को बनाया नशा विक्रेता
जाकिर नामक एक युवक को पुलिस ने कुछ दिनों पहले पकड़ा था, जिसकी पत्नी सायरा भी इसी कारोबार में पूरी तरह से उतर चुकी बताते हैं।
जाकिर से पुलिस ने 3 किलो एमडी ओशिवारा से बरामद किया था। उसका भाई साकिर भी 2 किलो एमडी के साथ गिरफ्तार हो चुका है।
जाकिर का नशे के काले कारोबार में भागीदार हैदराबाद में रहता है।
मंगेतर को भी फंसा दिया
ठाणे नाकोटिक्स सेल ने भी एमडी के साथ में मुंब्रा निवासी एक लड़की को माल के साथ रंगे हाथों कुछ समय पहले गिरफ्तार किया था। वह असल में एक स्थानीय नशा विक्रेता की मंगेतर थी।
मालवणी में भी एक लड़की 50 ग्राम एमडी के साथ गिरफ्तार हो चुकि है। इस लड़की के बारे में पुलिस ने होंठ सिल रखे हैं। वे कुछ भी यह कह कर बताने से इंकार कर देते हैं कि मामले में अभी जांच जारी है।
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