दाऊद की 93 बमकांड की सक्सेस पार्टी की तस्वीर आई सामने: इंडिया क्राईम का महाखुलासा
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 29 जून 2021।
मुंबई अंडरवर्ल्ड के बेताज बादशाह दाऊद इब्राहिम कासकर के बारे में आज भी रहस्य खुलने का सिलसिला जारी है।
दाऊद इब्राहिम के मुंबई में 12 मार्च 1993 को हुए श्रृंखलाबद्ध बमकांड में शरीक होने का दावा तो मुंबई पुलिस और सीबीआई खूब बढ़-चढ़ कर करते आए हैं लेकिन सबूत पेश करने में पीछे रहे हैं। दाऊद के इस भयानक बमकांड में शरीक होने का एक सबूत इंडिया क्राईम को हासिल हुआ है।
आज तक सबने यही सुना था कि दाउद ने बमकांड के बाद जोरदार ‘सक्सेस पार्टी’ दी थी लेकिन उसका कोई सबूत किसी के पास नहीं था। इस सक्सेस पार्टी का सबूत इंडिया क्राईम को हासिल हुआ है।
आज तक सबने यही सुना और पढ़ा था कि डी-कंपनी का सेनापति एजाज़ पठान बमकांड की साजिश से मूर्त रूप देने में छोटा शकील के कारण दूर रखा गया था। इसे झूठलाने वाला सबूत इंडिया क्राईम के हाथ लगा है।
आज तक सबने यही सुना या जाना है कि बमकांड के पहले ही दाऊद इब्राहिम सपरिवार कराची चला गया था। उसके सेनापति, सिपहसालार, किलेदार, जत्थेदार, सूबेदार वगैरह, जो गिनती में 150 से अधिक थे, कराची चले गए थे। उस झूठ को बेनकाब करने वाला सच इंडिया क्राईम के हाथ लगा है।
सच दिखाती तस्वीर
ये है एक तस्वीर, जिसमें दाऊद इब्राहिम अपने हाथों से एक बंदे को मिठाई खिला रहा है। दोनों बेहद खुश दिख रहे हैं। बड़ा खुशनुमा माहौल है। उनकी खुशी में शामिल तीसरा बंदा भी खाना भरी प्लेट लिए पास खड़ा है।
दाऊद जिसे मिठाई खिला रहा है, वो कोई और नहीं उसका सेनापति एजाज पठान है।
ये दावत मार्च 1993 के अंतिम सप्ताह में दुबई में हुई बताई जाती है। इसमें डी-कंपनी के तमाम गिरोहबाज और सदस्य शामिल थे। इतना ही नहीं, कुछ ऐसे लोग भी शामिल हुए, जिनका अंडरवर्ल्ड से सीधा रिश्ता तो नहीं लेकिन दाऊद इब्राहिम से है।
जो तीसरा बंदा खाने की प्लेट लिए दाऊद के करीब खड़ा है, वो दक्षिण मुंबई में रहने वाला दाऊद का करीबी रिश्तेदार बताया जाता है। इसके खिलाफ गैंगवार संबंधी आपराधिक मामले दर्ज नहीं हैं। सूत्रों का कहना है कि ये शख्श दाऊद के आसपास कई बार देखा जाता रहा है।
तस्वीर के मायने क्या हैं?
इस तस्वीर पर कोई तारीख नहीं है लेकिन सूत्रों का दावा है कि बमकांड के बाद हुई दावत में ही इसे खींचा है।
बमकांड से जुड़ी इस तस्वीर को मुंबई अंडरवर्ल्ड का जीवंत दस्तावेज माना जा सकता है। इतने बरसों बाद इस तस्वीर के बाहर आने के कई मायने हैं।
इस तस्वीर से एक बार फिर साबित होता है कि एजाज पठान की भूमिका भी बमकांड में रही है। बमकांड के तुरंत बाद यही खबर अखबारों को दी गईं कि एजाज की 93 बमकांड में शिरकत नहीं रही थी। यहां तक कि उसने दाऊद को मुंबई में बमकांड ना करने की सलाह भी दी थी। इसके चलते शकील ने दाऊद के सामने एजाज को लेकर शंका जताई थी। इसका नतीजा निकला कि एजाज को बमकांड की साजिश से अलग रखा गया था।
इस सूचना पर बरसों तमाम क्राईम रिपोर्टर और संपादक भरोसा करते रहे हैं। अब लेकिन इस तस्वीर के साथ बमकांड पर छाई रहस्य की धुंध भी छंट गाई है। एजाज के इस दावत में खुश होकर दाऊद को मिठाई खिलाने से ये साबित होता है कि बमकांड में एजाज की भूमिका पर मुंबई पुलिस और सीबीआई का दावा सच है।
दाऊद का अनजाना रिश्तेदार
दाऊद के इस अनजान रिश्तेदार के बारे में सूत्रों का कहना है कि वह जब दुबई जाता है, अनीस इब्राहिम के बंगले में रहा करता था।
इसके कराची आने-जाने की सूचना भी मिलती है। यह भी बताया जाता है कि यह अनजान रिश्तेदार कराची में दाऊद इब्राहिम के घर पर ही रहता है।
साजिश की बैठक
सूत्रों के मुताबिक दुबई में 12 मार्च 1993 के सिलसिलेवार बम धमाकों की साजिश के लिए आईएसआई के एजंटों के साथ दाऊद इब्राहिम की बैठक हुई, तो उसमें अहमदाबाद का गैंगस्टर अब्दुल लतीफ भी शामिल था।
इस बैठक में छोटा राजन और शरद शेट्टी को शरीक नहीं किया था।
इस बैठक में अब्दुल लतीफ ने दंगों से उपजे हालात पर बातें कीं। उसने कहा कि हमें जवाब देना चाहिए।
इस पर दाऊद ने कहा कि सबर करो।
यह सुन कर अब्दुल लतीफ खड़ा हो गया। दाऊद ने उसे कहा कि बैठ जाओ।
दाऊद से विवाद न हो इसके लिए मन मार कर लतीफ बैठ तो गया लेकिन वह चुप लगा गया। लतीफ इसके बाद पूरी बैठक में खामोश ही रहा।
इसी बैठक में पाक तस्कर औऔर गिरोहबाज तौफीक जलियांवाला भी मौजूद था।
दाऊद इब्राहिम ने उसी समय पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री को फोन लगाया और अपनी मंशा बताई। इस पर पाक विदेश मंत्री ने कहा कि उसे जो मदद चाहिए, पाकिस्तान से मिलेगी।
शकील क्यों नहीं आया मुंबई
सूत्रों ने यह भी दावा किया कि पाक मंत्री से बात होने के बाद में दाऊद ने शकील से कहा कि तुम मुंबई जाकर यह काम अंजाम दो।
शकील ने दाऊद से तबीयत खराब होने की बात कही। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद दाऊद इब्राहिम ने बमकांड की साजिश रचने और उसे अमली जामा पहनाने का काम एजाज पठान और टाइगर मेमन को सौंप दिया।
एजाज ने ये तमाम बातें एक गिरोह सरगना अली बुदेश से फोन पर साझा कीं।
अली बुदेश ने उसे इस पचड़े से दूर ही रहने के लिए कहा लेकिन एजाज ने कहा कि वह हामी भर चुका है। इससे अब बाहर नहीं जा सकता है। वह दाऊद को इनकार करने की स्थिति में नहीं है।
कराची पलायन
बमकांड के बाद क्या हुआ था, उसकी धुंधली तस्वीर भी कुछ साफ हुई है। बमकांड के बाद दाऊद और उसके तमाम सिपहसालार दल-बल के साथ कराची पहुंचे थे।
पता चला है कि टाइगर सपरिवार दुबई से बहरीन गया, वहां से कराची पहुंचा। उसे कराची हवाई अड्डे पर लेने तौफीक जलियांवाला पहुंचा था।
अली बुदेश कनेक्शन
सूत्रों के मुताबिक अली बुदेश 1993 बमकांड के बाद कराची गया था। वहां उसने बमकांड के तमाम आरोपियों को दाऊद और शकील के आसपास पाया था।
गुजरात का कुख्यात गुंडा और लैंडिंग एजेंट बापू भी कराची में मौजूद था। उसने 12 मार्च 1993 के बमकांड के लिए विस्फोटक, हथियार और चांदी की खेप उतारने में मदद की थी।
युसूफ खान उर्फ जॉनी और मुन्ना इत्यादि एजाज पठान के शूटर भी मौजूद थे। मुन्ना के बारे में बताया जाता है कि गिरोह सरगना दिलीप अजीज के बेटे हमीद की हत्या में शामिल था।
एजाज-शकील विवाद की वजह
मुंबई में भाजपा के कद्दावर विधायक प्रेम कुमार शर्मा और भाजपा के मुंबई कोषाध्यक्ष रामदास नायक हत्याकांडों में भले ही दाऊद और शकील के नाम सामने आते हैं लेकिन इनमें एजाज के साथियों का इस्तेमाल हुआ था।
उन दिनों एजाज पठान बहरीन में रहता था। वह भी दुबई से कराची गया था।
एक गुजराती शख्श माधव भाई डोंगरी में रहता था। वह एजाज के संपर्क वाला था। उसकी हत्या शकील के गुंडों ने की थी। इसके अलावा शुक्लाजी स्ट्रीट निवासी मुखबिर ‘बनिया’ की 93 में शकील ने हत्या करवाई थी।
शकील को इन दोनों पर पुलिस मुखबिर होने का शक था। ये दोनों एजाज पठान के संपर्क में थे। इन्हें मारने के लिए दाऊद ने शकील को आदेश दिया था।
दाऊद ने शकील से कहा कि दुबई में रह कर ही यह काम करे। इस दौरान उसने एजाज के गुंडों का इस्तेमाल इन हत्याकांडों में किया।
इसके अलावा एजाज के कई लड़कों को शकील ने तोड़ा। एजाज ने इन गतिविधियों का विरोध किया, जिससे शकील के साथ उसकी बुरी तरह ठन गई।
जेजे अस्पताल में पुलिसकर्मियों पर गोलीबारी करके फिरोज कोंकणी फरार हुआ, जिसके कारण पुलिस ने शकील के कई प्यादों को मार गिराया। इससे शकील नाराज हो रखा था। बता दें कि फिरोज कोंकणी भी एजाज पठान के लिए काम करता था।
इन कारणों से एजाज और शकील में विवाद गहराता चला गया। सूत्रों का कहना है कि एजाज पठान अपनी जगह सही था, इसके बावजूद दाऊद ने शकील का साथ दिया।
सूत्रों के मुताबिक शकील को अनीस और इकबाल नापसंद करते हैं लेकिन दाऊद उसे अपने से अलग नहीं करना चाहता है।
दाऊद जानता है कि एजाज की मौत के बाद शकील ही ऐसा डी-कंपनी में ऐसा व्यक्ति बचा है, जो गिरोह का संचालन कर सकता है। यह क्षमता अनीस और इकबाल में नहीं है। इसी कारण दाऊद कभी छोटा शकील को अपने से जुदा नहीं होने देता है।