CYBER SLAVES 005: कंबोडियाई साईबर गुलाम केंद्रों से बचाव के उपाय
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 11 अप्रैल 2024
कंबोडियाई साईबर गुलाम केंद्रों में कार्यरत चीनी साईबर माफिया के चंगुल से भारतीय पेशेवरों को बचाने के लिए कुछ सुझावों पर यदि भारत सरकार और नागरिक अमल करते हैं, तो निश्चित ही फायदा होगा। समस्या बता देना ही काफी नहीं है बल्कि उसका निदान क्या हो, यह भी सामने रखना जरूरी है।
क्या होना चाहिए?
भारत में मौके: सबसे पहली बात तो यह कि देश में प्रशिक्षित आईटी पेशेवरों के लिए रोजगार के प्रचुर मौके उपलब्ध किए जाने चाहिएं।
भारत में समान लाभ: भारत में इन आईटी पेशेवरों को विदेशों में मिल रहे वेतन के बराबर आमदनी मिलने लगे, तो कोई भी बाहर का रुख नहीं करेगा।
आईटी पेशेवरों के जांच: हर आईटी पेशेवर के विदेश में किसी भी कंपनी में काम करने के लिए जाने की जांच युद्ध स्तर पर करने के लिए एक एजंसी की तैनाती की जाए।
संदेहास्पद कंपनियों का डाटाबेस: संदेहास्पद एजंसियों और कंपनियों के बारे में एक पोर्टल पर तमाम आंकड़े रीयल टाईम में पूरे देश से अपडेट किए जाएं। आईटी पेशेवर किसी भी देश जाने के पहले अपनी नियोक्ता कंपनी या व्यक्ति के बारे में इस पोर्टल से सूचना हासिल कर पाएंगे।
लोन एप्स पर प्रतिबंध: तमाम लोन एप्स पर फौरन प्रतिबंध लगाया जाए। आरबीआई द्वारा हासिल लाईसेंस के बिना कोई भी लोन ऐप को भारत में काम करने की इजाजत न हो। उनके लिए कॉल सेंटर और डाटा सर्वर भारत में ही रखना जरूरी हो। हर ऐप पर शिकायत निवारण की व्यवस्था हो। यह कॉल सेंटर और ईमेल से होनी चाहिए ताकि इनका रिकॉर्ड ग्राहक के पास भी बने।
जुआ-सट्टा-गेमिंग एप पाबंदी: तमाम जुए-सट्टे-गेमिंग एप्स पर भी फौरन प्रतिबंध लगे। जब तक भारतीय साईबर टीम द्वारा इन एप्स को लाईसेंस हासिल नहीं हो, तक कोई भी जुआ-सट्टा-गेमिंग ऐप को भारत में संचालित करने की इजाजत न हो। इनके कॉल सेंटर और डाटा सर्वर भारत में रखना जरूरी होना चाहिए। इतना ही नहीं हर ऐप पर शिकायत निवारण की व्यवस्था भी होनी चाहिए। यह व्यवस्था सीधे कॉल सेंटर और ईमेल के माध्यम से होनी चाहिए ताकि उनका रिकॉर्ड ग्राहक के पास भी रहे।
भारतीय बैंक का इस्तेमाल: किसी भी एप्स को भारतीय बैंकों के अलावा किसी और माध्यम से रकम लेने या देने का अधिकार नहीं होना चाहिए।
वॉलेट और डिजीटल करंसी पर रोक: किसी ऐप या कंपनी द्वारा बिटकॉईन समेत किसी डिजीटल करंसी का इस्तेमाल न केवल अवैध हो बल्कि गैरजमानती अपराध घोषित किया जाए।
एजंसी बने: इन एप्स के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की व्यवस्था भी सरकार को एक अलग एजंसी के जरिए करनी चाहिए।
व्यापक जनसंपर्क: सरकार और मीडिया को इस तरह के मामलों की जानकारी देने के लिए व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाना चाहिए ताकि आईटी पेशेवरों को साईबर गुलामी से आगाह किया जा सके।
बैंकों की जिम्मेदारी: जिस बैंक द्वारा फर्जी एप्स और कंपनियों के लिए अवैध लेन-देन के लिए रूप से खाते खोले जाएं, उसे भी जिम्मेदार माना जाए। उनके संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों को जब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, तब तक ये ठगी का कारोबार इसी तरह चलता रहेगा।
मनी म्यूल पर नकेल: मनी म्यूल्स याने ठगों के लिए बैंक खाते खोल कर देने या मोटी रकम के एवज में अपने ही खातों का इस्तेमाल करने के लिए देने वालों पर भी नकेल कसनी होगी। इनके खातों की एक बार जानकारी मिलने पर, मनी म्यूल्स के एक से अधिक बैंक खाते खोलने पर पाबंदी होनी चाहिए। यहां तक कि इन्हें मनी वॉलेट बनाने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। उनकी तस्वीरें और बायोमेट्रिक्स रीयल टाईम में अपलोड की जानी चाहिए। हर बैंक और वॉलेट कंपनी के लिए जरूरी हो कि इस डाटाबेस से जानकारी लिए बिना कोई बैंक खाता या वॉलेट न खोला जाए।
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