CYBER SLAVES 004: क्या कंबोडियाई साईबर गुलाम केंद्रों से पेशेवरों का बचाव ही काफी है?
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 10 अप्रैल 2024
सवाल यह उठता है कि क्या कंबोडियाई साईबर गुलाम केंद्रों से पेशेवरों का बचाव ही काफी है? इसका एक ही जवाब है – नहीं। भारतीय आईटी पेशेवरों को इन साईबर गुलाम केंद्रों का शिकार बनन से बचाने के लिए सरकार और जनता को बहुत कुछ करने की दरकार है।
लाओस से लौटे 17 भारतीय
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 5 अप्रैल 2024 को बताया कि लाओस, कंबोडिया में धोखे से असुरक्षित और अवैध काम में एक गिरोह द्वारा फंसाए 17 भारतीय आईटी पेशेवर भारत वापसी कर रहे हैं। उन्होंने इस मामले में सफल प्रयास के लिए लाओस में भारतीय दूतावास की सराहना की। आईटी पेशेवरों की सुरक्षित वापसी में मदद के लिए लाओस के अधिकारियों का धन्यवाद भी अदा किया।
एनजीओ की मदद
कर्नाटक सरकार के अनिवासी भारतीय फोरम (एनआरआईएफके) के उपाध्यक्ष डॉ. आरती कृष्णा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कंबोडिया में फंसे कर्नाटक के तीन आईटी पेशेवरों को विदेश मंत्रालय की मदद से बचाने में सफलता हासिल हुई है।
डॉ. आरती कृष्णा ने कहा, “इन आईटी पेशेवरों के परिवारों ने हमारे संगठन से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि इन परिवारों के युवक बतौर डाटा एंट्री ऑपरेटर काम करने गए थे। उन्हें वहां पर साइबर घोटाले और ठगी के लिए उनके नियोक्ताओं ने मजबूर किया। हमारे संगठन ने उन्हें वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय और कंबोडिया में भारतीय दूतावास के साथ समन्वय किया।”
उनका कहना है कि बचाए तीन आईटी पेशेवरों ने बताया कि उनके इलाके के ही 200 से अधिक लोग कंबोडिया में अभी भी फंसे हैं।
नोएडा में पकड़ा गिरोह
3 मार्च 2024 को ग्रेटर नोएडा के थाना बिसरख क्षेत्र में साइबर ठगी गिरोह के तीन अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की।
गिरफ्तार अपराधियों में एक चीनी नागरिक शामिल है, जो बिना वीजा भारत में अवैध रूप से रह रहा था। इसके अलावा एक नेपाली नागरिक अनिल थापा और दादरी निवासी विनोद भाटी को गिरफ्तार किया।
आरोपियों से पूछताछ में कंबोडिया साइबर ठगी गिरोह के बारे में काफी जानकारी मिली। पता चला कि इस साईबर ठगी गिरोह का सरगना कंबोडिया निवासी चीनी दंपती है।
इस साईबर ठगी गिरोह का जाल 15 से ज्यादा देशों में फैला है, जिसमें अमेरिका, फ्रांस, पुर्तगाल, इटली जैसे कई देश हैं।
जिस देश के सिम कार्ड इस गिरोह को अपने आपराधिक संपर्कों के जरिए हासिल हो जाते हैं, उस देश में ये ठगी करना-करवाना शुरू कर देते हैं।
बिसरख पुलिस ने साइबर गैंग दबोचा
मार्च 2024 में कंबोडिया से दो लोग ग्रेटर नोएडा भाग कर आए, जिनके बताने पर बिसरख पुलिस ने एक साइबर गैंग को पकड़ा, जिसका कंबोडिया कनेक्शन था।
बिसरख पुलिस को बता चला कि कंबोडिया से इस गिरोह ने अब तक 100 करोड़ से ज्यादा की साइबर ठगी की है।
यह भी पता चला कि कंबोडिया में फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज, लोन एप, फर्जी कॉल सेंटर, गेमिंग एप, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, तकनीकी सहायता देने के नाम पर ठगी की जा रही है।
इन आरोपियों और भाग कर वतन लौटे शिकारों से जब पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की तो पता चला कि कंबोडिया में तकरीबन दो हजार आईटी पेशेवर फंसे हैं।
भारतीयों से फ्रॉड
राऊरकेला की पुलिस अधिकारी उपासना पाढ़ी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि आरोपी आईटी पेशेवरों या संभावित ठगों को नौकरी के बहाने कंबोडिया ले जाते हैं। वहां पहुंचने पर उन्हें ऐसी कंपनियों में भर्ती किया जाता है, जो लोगों को ठगने में शामिल हैं।
ये साईबर गैंग इन आईटी पेशेवरों के पासपोर्ट समेत तमाम दस्तावेज जब्त कर लेते हैं। इससे उनका कंबोडिया से बाहर निकलना भी दूभर हो जाता था।
उपासना पाढ़ी के मुताबिक इन आईटी पेशेवरों को दिन में 12 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। जो विरोध करते, उन्हे तरह-तरह से प्रताड़ित करते हैं। उन्हें बिजली के झटके दिए जाते हैं। हम ऐसे आईटी पेशेवरों की तलाश कर रहे हैं। ऐसे फंसे हुए आईटी पेशेवरों को इस गुमाल केंद्रों से बचा कर भारत वापस लाएंगे।
उच्चस्तरीय बैठक
मार्च 2024 के आरंभ में गृह मंत्रालय (एमएचए) ने विदेश मंत्रालय (एमईए), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) और कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में कंबोडिया में फंसे भारतीयों को बचाने के लिए रणनीति तैयार करने और उस पर अमल करने को लेकर विस्तृत चर्चा हुई थी।
द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा, “बैठक का एजेंडा संगठित रैकेट पर चर्चा करके कंबोडिया में फंसे लोगों की वापसी था। आंकड़ों से पता चला है कि पिछले छह महीनों में (कंबोडिया से होने वाली साइबर धोखाधड़ी से) भारत में 500 करोड़ रुपए की ठगी हुई है।”
केंद्रीय एजेंसियों को जांच में पता चला कि एजेंटों ने आईटी पेशेवरों को फंसा कर डाटा एंट्री की नौकरी के बहाने कंबोडिया भेजा है। इनमें अधिकांश आईटी पेशेवर दक्षिण भारत से हैं।
कंबोडिया में फंसे बंगलुरु के तीन आईटी पेशेवरों को कंबोडिया से बचा कर भारत लाया जा चुका है।
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