CYBER SLAVES 001: कंबोडिया के चीनी साईबर गुलाम केंद्रों की भयावह दास्तां
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 07 अप्रैल 2024
बेहतर नौकरी और जिंदगी का का लालच देकर देश के आईटी पेशेवरों को कुछ देशों में चीनी गिरोह ले जा रहे हैं। वहां से इन फंसाए आईटी पेशेवरों कंबोडिया ये गिरोह ले जाते हैं। यहां इन आईटी पेशेवरों को जेलों से भी बदतर हालात में रखा जाता है। ये असल में साईबर स्लेव याने साईबर गुलामों की मानिंद रखे जाते हैं। पूरी दुनिया के लिए नई परेशानी बन चली है। इन आईटी पेशेवरों को सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल और तस्वीरों के साथ महिलाओं के रूप में खुद को पेश करके पश्चिमी देशों के नागरिकों को ठगने और अवैध वसूली के लिए मजबूर किया जाता रहा है।
क्या है साइबर गुलामी?
साइबर गुलामी कोई वर्चुअल टर्म नहीं है बल्कि शातिर माफिया का इंसानों को अपने जाल में फंसा कर म्यांमार में गुलामी केंद्रों में रख कर तमाम देशों में ठगी करने-करवाने का खेल है।
साइबर गुलाम या साइबर स्लेव को सिंगापुर, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, थाईलैंड, म्यांमार जैसे देशों से आकर्षक नौकरी के ऑफर मिलते हैं।
इन देशों में आकर्षक नौकरी के नाम पर चीनी साईबर माफिया और हैकर भारतीय उपमहाद्वीप के आईटी पेशेवरों को साइबर गुलाम बना रहे हैं।
चीनी माफिया का नियंत्रण
साइबर गुलामों की जिंदगी चीन के हैकरों का गैंग नियंत्रित करता है। चीनी साईबर माफिया की शातिराना करतूत के शिकार सिर्फ भारतीय ही नहीं हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, कुछ अफ्रीकी देशों के नागरिक भी बन रहे हैं।
हाल ही में अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि म्यांमार दुनिया का सबसे बड़ा साईबर फ्रॉड का अड्डा बन गया है। यह कहा जा सकता है दुनिया का जामताड़ा कंबोडिया और म्यामांर हैं।
थाईलैंड सीमा पर म्यांमार के साइबर माफिया दुनिया के तमाम देशों के नागरिकों की गाढ़ी कमाई पल भर में उड़ा ले जाते हैं। इसमें अमेरिका, यूरोप, जपान, ब्रिटेन जैसे देशों के नागरिक हैं।
कंबोडियाई साईबर गुलामी का खुलासा
इस साईबर गुलामी अपराध के बारे में पुलिस को 2023 के अंत में तब पता चला, जब केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने दावा किया कि उनसे 67 लाख रुपए से अधिक की धोखाधड़ी हुई है। इस बारे में जब उक्त अधिकारी ने शिकायत दर्ज कराई, तो गहन छानबीन में यह मामला सामने आया बताते हैं।
इसके बाद ओडिशा की राऊरकेला पुलिस ने 30 दिसंबर 2023 को एक साइबर अपराध सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया। राऊरकेला पुलिस ने आईटी पेशेवरों को मटे वेतन और बढ़िया सुविधाओं के नाम पर बहका कर कंबोडिया ले जाने के आरोप में आठ लोगों को गिरफ्तार किया।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक देश के विभिन्न हिस्सों से आठ लोगों को गिरफ्तार किया। इस अपराध में शामिल कई लोगों के खिलाफ प्राथमिक सबूत भी मिले हैं।
पुलिस ने कुल 16 लोगों के खिलाफ लुकआईट सर्कुलर जारी किए। उसके कारण आव्रजन ब्यूरो ने हरीश कुरापति और नागा वेंकट सौजन्या कुरापति को दबोचने में सफलता हासिल की और पुलिस को अधिक जांच के लिए सौंप दिया।
सच क्या है
सच तो यह है कि साईबर गुलामी केंद्रों की पहली जानकारी सन 2022 में तब आई थी, जब कुछ आईटी पेशेवरों ने अपने साथ हुए अपराध की जानकारी परिवारों को सबूतों के साथ साझा की।
इन आईटी पेशेवरों के परिवारों ने महीनों देश की एजंसियों के चक्कर लगाए लेकिन सुनवाई नहीं हो रही थी। एक दिन गुलामी की बेड़ी में जकड़े एक आईटी पेशेवर ने एक अखबार के पत्रकार को खोज कर फोन से संपर्क किया। उसे कुछ तस्वीरें और वीडियो भेजे।
जब ये खबर छपी तो कहीं जाकर कानों में तेल डाले सो रहे अफसरान की नींद टूटी। अब जाकर उन्होंने अपनी खाल बचाने के लिए काम करना शुरू किया। उन्होंने कंबोडिया सरकार के सामने मुद्दा उठाया। उसके बाद कथित ठगी केंद्र पर कंबोडियाई सेना और पुलिस ने पहली बार छापा मारा। यहां से कुछ भारतीय पेशेवरों को मुक्त करके भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया। इस तरह वे आईटी पेशेवर तो भारत लौट आए लेकिन पीछे सैंकड़ों भारतीय आईटी पेशेवर फंसे रह गए।
हजारों आईटी पेशेवर बंधक
देश में तेजी से बढ़ते साइबर फ्रॉड (Cyber fraud) की घटनाओं के बीच साईबर गुलामी और ठगी बेहद चौंकाने वाली घटनाएं बन कर उभरी हैं।
एक अनुमान है कि कंबोडिया में तकरीबन 5,000 भारतीयों को चीनी गिरोहों ने बंधक बना कर रखा है। इन आईटी पेशेवरों से साइबर फ्रॉड करवाए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार का अनुमान है कि लगभग विगत छह माह में ही इन चीनी गिरोहों ने लगभग 500 करोड़ रुपए की उगाही की है।
विदेश मंत्रालय ने 6 अप्रैल 2024 को जारी एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार इस सिलसिले में कंबोडियाई अधिकारियों के साथ समन्वय कर रही है। कंबोडिया से लगभग 250 भारतीयों को ‘‘बचाया और स्वदेश वापस लाया गया है।”
विदेश मंत्रालय का बयान
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 250 भारतीय आईटी पेशेवरों में 75 की पिछले तीन महीने में वापसी हुई है।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमने कंबोडिया में फंसे भारतीय नागरिकों पर मीडिया रिपोर्ट देखी हैं। कंबोडिया में भारतीय दूतावास इन भारतीय नागरिकों की शिकायतों पर तुरंत प्रतिक्रिया दे रहा है, जिन्हें रोजगार के अवसरों का लालच दिया था, लेकिन अवैध साइबर कार्य के लिए मजबूर किया।”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि, ‘‘कंबोडियाई अधिकारियों के साथ मिल कर काम करते हुए लगभग 250 भारतीयों को बचा कर वापस लाए हैं। इनमें से 75 पिछले तीन महीनों में वापस आए हैं।”
कंबोडिया में 5000 भारतीय गुलाम
दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश कंबोडिया में 5000 से अधिक भारतीय आईटी पेशेवरों को गुलाम और बंधक बना कर रखा हुआ है। उनसे साईबर ठगी करवाई जा रही है।
जब इस बारे में अखबारों में खबरें छपने लगीं, तो जाकर भारत सरकार इन बंधक आईटी पेशेवरों को बचाने की योजना बनाई।
कंबोडिया में भारतीय आईटी पेशेवरों को उनकी इच्छा के विरुद्ध रखा है। उन्हें चीनी गिरोहों ने साइबर ठगी के लिए मजबूर किया है। हैरानी तो इसकी है कि इन भारतीय आईटी पेशेवरों को भारतीय नागरिकों को ही ठगने का टारगेट दिया जाता है।
विदेशी नौकरी चाहने वालों सावधान
विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को कंबोडिया, थाईलैंड, वियतनाम वगैरह में आकर्षक नौकरी के अवसरों का वादा करने वाले मानव तस्करों का शिकार बनने के प्रति आगाह किया है।
मंत्रालय ने परामर्श जारी कर दक्षिण-पूर्व एशियाई देश में नौकरी के अवसर तलाश रहे भारतीयों से नियोक्ता की पृष्ठभूमि की पूरी जांच करने की अपील की है।
इस परामर्श में कहा है, ‘ऐसा पता चला है कि कंबोडिया में आकर्षक नौकरी के अवसरों के फर्जी वादों से आकर्षित होकर भारतीय नागरिक मानव तस्करों के जाल में फंस रहे हैं।’
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