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कोरोना वाईरस की ऑनलाइन ठगी की महामारी, हो जाएं सावधान – गनतंत्र की बात

विवेक अग्रवाल

मुंबई, 08 अप्रैल 2020

साईबर जालसाज डब्‍लूएचओ, यूएन, यूनीसेफ, आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) जैसे संगठनों के नाम की ईमेल भेज कर लोगों को कोरोना वाईरस के हमलों के बीच ठग रहे हैं।

  • लोगों को छूट और मुफ्त सेवाओं का लालच देकर फंसाया जा रहा है।
  • कोविड-19 के कारण सारे संसार में अराजकता फैली है।
  • कोरोना वायरस तो वर्चुअल वर्ल्‍ड में भी कहर बरपाने लगा है।
  • साईबर ठग और घोटालेबाज नागरिकों को ठगने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
  • साईबर ठगों ने डब्‍लूएचओ, यूएन, यूनीसेफ, आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के नाम से भी फर्जी ईमेल भेज रहे हैं।
  • ये वेबसाइट या पोर्टल, मैसेज और एप के जरिए महत्वपूर्ण सूचनाएं चुरा रहे हैं।
  • जनवरी के आरंभ से कोरोनोवायरस संबंधी लगभग 16,000 डोमेन बुक हुईं। यह संख्‍या तेजी से बढ़ रही है।
  • इन डोमेन का बड़ा हिस्सा गलत इरादों के लिए भी इस्तेमाल हो रहा है।
  • कोरोनो वायरस संबंधी 50 फीसदी तक डोमेन फर्जी या साईबर अपराधियों के औजार हो सकते हैं।
  • लगभग 19 फीसदी या 2,200 से अधिक वेबसाइटों पर सुरक्षा एजंसियों को संदेह हैं।

क्‍यों बढ़ा खतरा?

  • लोग इन दिनों घर से काम कर रहे हैं या मोबाइल-टेबलेट पर अधिक समय बिता रहे हैं।
  • उस दौर में घोटाल बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि आपकी डिवाइस सुरक्षित नहीं हैं।
  • घर से काम सुरक्षा टीमों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। साईबर ठगों और हमलावरों के लिए घर में काम कर रहे कर्मरियों के कंप्यूटर हैक करना आसान होत है।
  • साईबर ठग लोगों में पसरे भय, जिज्ञासा और कोरोना वाईरस की ऑनलाइन खोज को मुख्य रूप से निशाना बना रहे हैं।

कैसे जारी है ठगी

  • साईबर ठग लोगों को छूट और मुफ्त सेवाओं का लालच दे रहे हैं।
  • नकली मेडिकल उत्पाद जैसे मास्क, वैक्सीन, कोविड-19 परीक्षण किट खरीदने या घर से नौकरी के ऑफर भी मेल से आ रहे हैं।
  • ईमेल या सोशल मिडिया पोस्ट में जानकारी सच लगे, साईबर ठग वायरस के खिलाफ सुरक्षा उपाय भी बताते हैं।
  • साईबर ठग कोरोना संक्रमित रोगियों के नाम पर धन उगाहने के लिए भी अपील कर रहे हैं।
  • ऐसी कंपनियों में निवेश करने के लिए कहा जा रहा है, जो वायरस से लड़ रही हैं।

मुफ्त नेटफ्लिक्स सब्‍सक्रिप्‍शन ठगी

  • पिछले कुछ दिनों से लोगों को लॉकडाउन में मुफ्त नेटफ्लिक्स सब्‍सक्रिप्‍शन का फायदा उठाने का लुभावना ई-मेल और सोशल मीडिया पर संदेश मिल रहा है।
  • इस आफर का फायदा उठाने के लिए एक लिंक पर क्लिक करने के बाद एक ‘सर्वे’ फॉर्म भरने के लिए कहा जा रहा है।
  • यह लिंक 10 व्हाट्सएप यूजर को भेजने के लिए कहा गया।
  • जिन्होंने ऐसा कर दिया, वे अब पछता रहे हैं।
  • यह एक घोटाला निकला।
  • यह फिशिंग यानी फर्जी ई-मेल निकली, जो उनकी निजी जानकारी चुराने कर बैंक खाते खाली करने में सक्षम है।

क्‍या है तरीका?

  • सूचना चोरी का तौर-तरीका बेहद सरल है।
  • लोगों को जो मेल मिलती हैं, उनके अटैचमेंट और लिंक से डिवाइस में मैलवेयर भेजते हैं।
  • मोबाइल एप के रूप में रैनसमवेयर भी भेजे जाते हैं।
  • यह मैलवेयर आपके मेल या बैंकिंग लॉग-इन व पासवर्ड के अलावा क्रेडिट-डेबिट कार्ड की जानकारी साईबर ठगों को देती हैं।
  • ये मैलवेयर की-लॉगर याने आपके कीबोर्ड पर टाइपिंग भी पकड़ लेता है। इससे महत्वपूर्ण जानकारी साईबर ठगों तक पहुंचती है।
  • कंप्यूटर या मोबाइल मैलवेयर संक्रमित होने पर आपकी तमाम गोपनीय जानकारी साईबर ठगों को पहुंचाता है। आपकी रकम भी चोरी करने में मदद करता है।
  • कई एप कोरोनो वायरस पर जानकारी देने का दिखावा करते हैं लेकिन एप खोलते ही ये फोन लॉक करते हैं। साईबर ठग एप अनलॉक करने के लिए फिरौती मांगते हैं।

फर्जी ई-मेल पहचानें

आपके सिस्‍टम में मैलवेयर आने से रोकने के लिए आपको क्या सुरक्षा रखनी है, उसके बारे में बताते हैं।

  • डब्ल्यूएचओ, आईसीएमआर, यूएन, यूनीसेफ या सरकारी विभागों-मंत्रालयों जैसे मान्यता प्राप्त वैश्विक या राष्ट्रीय स्वास्थ्य विभागों-संस्थानों के मिलते-जुलते नाम वाले फर्जी ईमेल से फि‍शिंग ई-मेल आते हैं।
  • आपकी कंपनी या विभाग के एचआर विभाग जैसे फि‍शिंग ई-मेल भी आ सकते हैं।
  • फि‍शिंग ई-मेल में कंपनियों और सरकारी विभागों जैसे डोमेन नेम, प्रारूप और लोगो होते हैं।
  • एक अटैचमेंट या लिंक हो सकता है, जिस पर क्लिक करने के लिए कहा जाता है।
  • फि‍शिंग ई-मेल में चिकित्सा सूचना, चेतावनी या सावधानी बरतने के लिए कहा जाता है.
  • कोरोना या कोविड-19 वाईरस के टेस्‍ट किट, दवाओं वगैरह की बिक्री सस्ते में करने की बात होती है।

बचाव क्या है?

लॉकडाउन के कठिन हालात में आप साईबर ठगी के शिकार हुए तो पुलिस सहायता हासिल करना मुश्किल होगा। तुरंत साइबर कार्रवाई भी संभव नहीं। ऐसे में सीबर ठगी से सावधानी ही सबसे अच्छा तरीका है।

  • अनचाही ई-मेल न खोलें।
  • केवल ज्ञात और विश्वसनीय स्रोत से आई ईमेल के ही लिंक खोलें या क्लिक करें।
  • शक हो तो मेल के किसी लिंक और अटैचमेंट पर क्लिक न करें या न खोलें।
  • वित्तीय लेन-देन में भुगतान से पहले प्राप्तकर्ता के बारे में पक्का कर लें कि वह सही व्यक्ति हो।
  • ऐसे एप न डाऊनलोड करें, जिन पर भरोसा न हो।
  • एप डाईनलोड करते समय विशेष सावधानी बरतें, क्योंकि उनसे रैनसमवेयर या मैलवेयर आ रहे हैं।
  • घर से काम के दौरान कॉर्पोरेट नेटवर्क का सुरक्षित वीपीएन कनेक्शन हासिल करें।
  • फाइलें डाउनलोड करते समय केवल विश्वसनीय और वैध फाइल एक्सटेंशन चुनें।
  • फाइल में .avi, .mkv या mp4 एक्सटेंशन हों।
  • किसी अटैचमेंट में .Exe एक्सटेंशन हो, तो फाइल डाउनलोड न करें। यह आपके लिए घातक साबित होगा।
  • कोरोना संबंधी जानकारी वाले वर्ड और पीडीएफ फाईल से भी मैलवेयर भेजे जा रहे हैं, ये न खोलें।

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