हमने क्या पा लिया हिंदू या मुसलमां होकर, क्यों न इंसां से मुहब्बत करें इंसां होकर – नक़्श लायलपुरी
पलट कर देख लेना जब सदा दिल की सुनाई दे मेरी आवाज़ में शायद मेरा चेहरा दिखाई दे हिंदुस्तानी सिनेमा
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Read Moreग़मे-हस्ती का असद किससे हो जुज़ मर्ग़ इलाज शम्अ हर रंग में जलती है सहर होने तक असद यानी मिर्ज़ा
Read Moreइस समय पूरा देश निठल्लेपन की पराकाष्ठा के दौर से गुजर रहा है। यह दौर लंबा खिंचने के आसार हैं।
Read Moreरात भी, नींद भी, कहानी भी हाय, क्या चीज़ है जवानी भी मरहूम शायर ज़फ़र गोरखपुरी ने एक गपशप में
Read Moreग़ज़ल दूसरों की ज़मीन पर अपनी खेती है। बतौर शायर आप भले ही दावा करें कि आपने नई ज़मीन ईजाद
Read Moreचाह नहीं, मैं पनीर के, पकौड़ों से तौला जाऊं चाह नहीं मैं सय्याजी के, बुफे के लालच से ललचाऊँ चाह
Read Moreहे भगवान, जब-जब पृथ्वी पर विकट संकट आया है, तब-तब आपने अवतार धारण किया। वर्तमान में कोरोना महामारी से मानवता
Read Moreअगले दिन भवानी लौटा। आज दत्तात्रय लॉज में रात बिताने नहीं आया है। उसने चुपचाप तानसेन उठाया। बाबू भाई के
Read Moreअफसोस कि इतने जबरदस्त शायर को फिल्म इंडस्ट्री स्वीकार करने के लिए कतई तैयार नहीं। मुंबईया हिंदी फिल्म उद्योग के
Read Moreविशेष संवाददाता मुंबई, 29 जुलाई 2018। महानगर में आज साहित्य व फिल्मोद्योग में अनूठा प्रयोग पूर्ण हुआ, जिसका नाम है,
Read More‘अदृश्य’ फिल्म के पटकथा-संवाद लेखक विवेक अग्रवाल एवं अलका अग्रवाल सिग्तिया ने एक अनूठा प्रयोग साहित्य तथा फिल्म संसार में
Read Moreविवेक अग्रवाल की मुंबई के डांस बारों में काम करने वाली बारबालाओं की जिंदगी में झांकने के बाद लिखी पुस्तक
Read More(कहानी के जरिए मुंबई अंडरवर्ल्ड पर साहित्यिक दृष्टि) लेखक – विवेक अग्रवाल “तुम आज भी जाने वाले हो क्या?” सलमा
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