सावधान: बैंक से परेशान हैं तो बैंकिंग लोकपाल में करें शिकायत
विवेक अग्रवाल
बैंक के अधिकारी और कर्मचारी यदि आपकी शिकायत पर ध्यान न दें, आपकी बात अनसुनी करें, उचित शिकायत पर भी कार्रवाई न करें तो बैंकिंग लोकपाल का दरवाजा खटखटाएं।
बैंकिंग कामकाज में कई मुश्किलात सामने आती हैं। सामान्य बचत खाते से क्रेडिट कार्ड या कई और भी समस्याएं लेकर आप बैंक कर्मचारी के पास जाते हैं तो वे आपको टोल फ्री नंबर देकर जिम्मेदारी से बच निकलते हैं।
जब आप कॉल सेंटर पर फोन करते हैं तो या तो आपकी समस्या हल नहीं करते या आपकी शाखा में जाने की सलाह देकर पल्ला झाड़ लेते हैं। जब आप फिर बैंक में जाते हैं तो भी सुनवाई नहीं होती, आप नाहक परेशान होते रहते हैं।
बैंक अधिकारी या कर्मचारी अपनी गलतियों के होने पर पल्ला झाड़ने में जरा भी देर नहीं करते हैं। उन्हें लगता है कि आप उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकते हैं।
यह सच भी है। उचित व्यवस्था की जानकारी न होने के कारण आप उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाते हैं।
आपको पता नहीं है कि बैंकिंग लोकपाल नामक एक ऐसा मजबूत अधिकार आपके पास है, जिसके जरिए आप न केवल बैंकों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं बल्कि न्याय भी हासिल कर सकते हैं।
बैंक अगर आपकी कोई शिकायत लगातार अनसुना कर रहे हैं तो आप बैंकिंग लोकपाल का दरवाजा खटखटाएं।
कौन है बैंकिंग लोकपाल
बैंकिंग लोकपाल एक वरिष्ठ अधिकारी है, जिसे बैंकिंग सेक्टर से जुड़ी उपभोक्ता शिकायतों के निवारण हेतु आरबीआई नियुक्त करता है।
फिलहाल 15 बैंकिंग लोकपाल नियुक्त हैं, जिनके दफ्तर अधिकांश राज्यों की राजधानी में हैं। इसके अंतर्गत सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रमीण बैंक व अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंक शामिल हैं।
आप खुद या आपका कोई अधिकृत प्रतिनिधि या वकील भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
बैंकिंग लोकपाल शिकायत हल करने के लिए कोई शुल्क नहीं लेता है।
बैंकिंग लोकपाल योजना
बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 या Banking Ombudsman Scheme 2006 भारतीय बैंकों के ग्राहकों की शिकायतें और समस्याएं सुलझाने के लिए शुरू हुई थी। यह योजना 1 जनवरी 2006 से लागू है।
बैंकिंग सेवाओं में कमियों के बारे में शिकायतों के समाधान के लिए तेज गति और कम खर्च वाला मंच ग्राहकों को देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर भी लागू किया है। इसके लिए जरूरी संशोधित हो चुके हैं।
इसके अन्तर्गत ‘बैंकिंग लोकपाल’ की नियुक्ति होती है, जो अर्ध-न्यायिक प्राधिकारी है।
असल में बैंकिंग लोकपाल योजना 1995 में लागू हुई थी।
सन 2002 और 2006 में इसका दायरा बढ़ाते हुए संशोधन किए ताकी तमाम बैंक स्वच्छ, पारदर्शी, भेदभावरहित और जिम्मेदारीपूर्ण बैंकिंग सेवाएं प्रदान करें।
यह स्वशासी स्वतंत्र संस्था है, जो बैंकों की सेवाओं की निगरानी रखती है।
आप किसी भी बैंक अधिकारी व कर्मचारी की शिकायत व समय से सेवाएं न मिलने पर बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इस शिकायत का निस्तारण 30 दिन में होता है।
बैंकिंग लोकपाल को विचार-विमर्श के माध्यम से शिकायतों का समाधान सुविधाजनक बनाने के लिए बैंक व ग्राहक को बुलाने का अधिकार है।
बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 के तहत शिकायतें ऑनलाइन की जा सकती हैं। लोकपाल के आदेश के खिलाफ ‘अपीलीय प्राधिकार’ में बैंक या शिकायकर्ता दोनों ही अपील कर सकते हैं।
बैंकिंग लोकपाल भारत में खाता रखने वाले अनिवासी भारतीयों से विदेश से उनके द्वारा भेजी रकम और बैंक- संबंधी तमाम मामलों मिली शिकायतों पर भी विचार कर सकता है।
सन 2006 से पहले की लंबित शिकायतें या आदेश का पालन पुरानी बैंकिंग लोकपाल योजनाएं 1995 और 2002 के तहत लागू होते हैं।
रिज़र्व बैंक की भूमिका
- बैंकिंग लोकपाल का गठन ग्राहकों को तेज गति से शिकायत हल करने की व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने किया है।
- यह बैंकिंग शिकायतों के समाधान के लिए संस्थागत और कानूनी ढांचा मुहैय्या कराता है।
- यह भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1949 की धारा 35-क के तहत लागू है।
- रिज़र्व बैंक वरिष्ठ अधिकारियों को बैंकिंग लोकपाल के रुप में नियुक्ति करता है।
- इसे बेहतर प्रभाव के लिए पर्याप्त धन देता है।
कब करें शिकायत लोकपाल में
- किसी भी तरह के भुगतान या चेक, ड्राफ्ट, बिल कलेक्शन में देरी या न होने के हालात में।
- आरबीआई निर्देशों में निर्धारित शुल्क से ज्यादा वसूलने के बारे में।
- बैंक द्वारा की लापारवाही या किसी वजह से चेक भुगतान में देरी।
- बैंक खाता खोलने या बंद करने में आनाकानी।
- आरबीआई निर्देशानुसार ब्याज दरें न देने या तय सीमा से ज्यादा लेना।
- आरबीआई द्वारा क्रेडिट या डेबिट कार्ड संबंधी निर्देशों का उल्लंघन।
- बैंक किसी भी सेवा के लिए मना करे।
- बैंक कर भुगतान लेने से मना करे।
- बैंक बिना कारण खाता खोलने से मना करे।
- बैंक बिना पूर्व सूचना उपभोक्ता से ज्यादा शुल्क ले।
- बिना पर्याप्त या पूर्व सूचना एवं वाजिब कारण के खाता जबरन बंद कर दे।
- आपका खाता बंद करने में देरी या मना करे।
- बैंकों पारदर्शी प्रक्रिया कोड का पालन न करे
- बैंकिंग व अन्य सेवाओं पर आरबीआई के निर्देशों का उल्लंधन हो
- काम के निर्धारित समय का पालन न करे
- लिखित निर्देशों के बावजूद बैंक किसी सेवा या कर्ज मुहैया करने में नाकाम या देरी करे।
- ड्राफ्ट, भुगतान आदेश और बैंकर्स चेक जारी करने में देरी या जारी न करे।
- बिना पर्याप्त कारण सिक्के स्वीकार न करें या कमीशन मांगे।
- किसी भी कारण से कम मूल्य वर्ग के नोट बिना पर्याप्त कारण के स्वीकार न करना या कमीशन वसूलना।
- बैंक या उसके बिक्री एजंटों द्वारा लिखित रूप में दी बैंकिंग सुविधाएं (कर्ज व एडवांस के अलावा) देने में देरी करना।
- बैंक द्वारा बचत, चालू या अन्य खाते में रकम पर लागू ब्याज रिज़र्व बैंक के निर्देशों के बावजूद जमा न करना।
- खातों में जमाराशियों का भुगतान न करना या खातों मे आय जमा न करना या देरी करना।
- निर्यातकों के लिए एक्सपोर्ट रीसीट मिलने, एक्सपोर्ट बिलों पर कारवाई, बिलों की वसूली वदैरह में देरी करना।
- किसी वैध कारण के बिना जमा खाता खोलने हेतु इकांर करना।
- ग्राहक को पर्याप्त पूर्व सूचना दिए बिना किसी भी किस्म का प्रभार लगाना।
- एटीएम / डेबिट कार्ड परिचालन या क्रेडिट कार्ड परिचालन पर रिज़र्व बैंक के आदेशों का बैंक अथवा उनकी शाखाओं द्वारा पालन न करना।
- पेंशन देने में देरी या करना। इसमें कुछ हद तक ऐसी शिकायतों के लिए संबंधित बैंक की कारवाई पर बैंक को जिम्मेदार माना जा सकता है लेकिन यदि उसी के कर्मचारियों का मामला हो तो यह इसमें शामिल नहीं होता है।
- रिज़र्व बैंक / सरकार की अपेक्षा के मुताबिक टैक्स भुगतान स्वीकार करने में देरी अथवा इंकार करना।
- सरकारी बांड देने से इंकार अथवा देरी करना या उनसे संबंधित सेवा देने में कोताही बरतना, असमर्थता जताना।
- बैंक द्वारा बेहतर व्यवहार संहिता का पालन न करना।
- इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं में कमी।
- बैंक वसूली एजंटों की सेवाएँ लेता है और बताए निर्देशों का पालन नहीं करे।
कैसे करें शिकायत
- बैंकिंग लोकपाल के पास जाने के पहले अपने बैंक में शिकायत दर्ज करें।
- बैंकिंग लोकपाल में शिकायत कार्रवाई शुरू होने के बाद एक वर्ष के अंदर हो।
- एक महीने के अंदर बैंक से जवाब न मिले या जवाब से संतुष्ट न हों या बैंक बिना कारण शिकायत खारिज कर दे तो बैंकिंग लोकपाल में जाएंरें।
- बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत तब नहीं कर सकते हैं, जब अदालत या मध्यस्थ या अन्य मंच पर लंबित हो, आदेश आ चुका हो।
- वही शिकायत लोकपाल के पास दुबारा नहीं ले जा सकते, जो पहले किसी लोकपाल ने निपटा दी हो।
- शिकायत पोस्ट या फैक्स से लिखित में कर सकते हैं।
- ई-मेल से ऑनलाइन शिकायतें भी कर सकते हैं।
- सादे कागज पर बैंकिंग लोकपाल को शिकायत दे सकते हैं।
- www.bankingombudsman.rbi.org.in पर ऑनलाइन या ईमेल से शिकायत भेज सकते हैं।
- शिकायत के लिए फॉर्म है, जो सभी बैंक शाखाओं में मिलता हैं।
- जरूरी नहीं कि इसी फॉर्म का उपयोग करें।
शिकायत में क्या जरूरी है
- अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर, ई-मेल आईडी
- बैंक के खिलाफ शिकायत हो, उसका पूरा नाम
- बैंक का नाम, शाखा, पूरा पता
- शिकायत का कारण
- नुकसान की प्रकृति एवं संदर्भ
- क्या राहत या कार्रवाई चाहते हैं
बैंक समझौता करे तो?
- बैंक द्वारा पेश समझौते की शर्तें आपको पूरी तरह व बतौर अंतिम समझौता स्वीकार हैं तो बैंकिंग लोकपाल आदेश देगा।
- यह आदेश बैंक व आप पर बाध्यकारी होगा।
- किसी समझौते से एक महीने में शिकायत न निपटे तो बैंकिंग लोकपाल आदेश देगा।
- आदेश देने से पहले बैंकिंग लोकपाल आपको व बैंक को पक्ष रखने के पूरे मौके देगा।
- आदेश की प्रति आपको व बैंक को भेजते हैं।
- आपके पास विकल्प है कि ये आदेश मानें या न ठुकरा दें।
- आपको आदेश स्वीकार है तो सहमती पत्र 15 दिनों में संबंधित बैंक को भेजें।
- आप चाहें तो कारण देकर और समय की मांग बैंकिंग लोकपाल से कर सकते हैं।
- बैंकिंग लोकपाल को कारण ठीक लगे तो वह 15 दिन तक का समय दे सकता है।
- आप बैंकिंग लोकपाल के आदेश के खिलाफ अन्य उपाय या समाधान हेतु अदालत, उपभोक्ता फोरम या अन्य कानूनी विकल्प चुन सकते हैं।
आदेश के खिलाफ अपील
- आप बैंकिंग लोकपाल के आदेश से संतुष्ट नहीं हैं तो अपीलीय अधिकारी के पास जा सकते हैं।
- बैंक भी ऐसा ही कर सकता है।
- अपीलीय अधिकारी भारतीय रिज़र्व बैंक में उप गवर्नर होता है।
- आदेश मिलने की तारीख से 30 दिनों के भीतर अपीलीय प्राधिाकारी के सामने अपील कर सकते है।
- अपीलीय अधिकारी आपको पर्याप्त कारणों के आधार पर 30 दिनों का अतिरिक्त समय दे सकता है।
- बैंक अपने अध्यक्ष की गैरहाजिरी में प्रबंध निदेशक या कार्यपालक निदेशक या मुख्य कार्यपालक अधिकारी या समान श्रेणी के किसी अधिकारी की पूर्व सहमति से अपील कर सकते हैं।
- अपीलीय अधिकारी आपकी या बैंक की अपील खारिज कर सकता है या स्वीकार कर सकता और आदेश अलग रख कर सुनवाई करेगा।
- अपीलीय अधिकारी नए सिरे से सुनवाई के लिए बैंकिंग लोकपाल को भेज सकता है; या आदेश सुधार सकता है, या नया व उचित आदेश दे सकता है।
क्या शिकायत खारिज हो सकती है?
- बैंकिंग लोकपाल किसी भी स्तर पर आपकी या बैंक की शिकायत खारीज या रद्द कर सकता है।
- जब उसे लगे कि शिकायत ओछे, परेशान करने वाले, दुर्भावनापूर्ण या बिना पर्याप्त कारण की है।
- जब शिकायत विवेकपूर्ण तरीके से नहीं की है।
- जब आपको या बैंक को कोई हानि या असुविधा नहीं हुई है।
- जब बैंकिंग लोकपाल के क्षेत्राधिकार के बाहर हो।
- जब बैंकिंग लोकपाल की राय में शिकायत जटिल स्वरूप की हो, काफी सारे दस्तावेजी या मौखिक साक्ष्य पर विचार करना पड़े, ऐसी शिकायत न्यायिक आदेश के लिए ठीक न हो।
बैंकिंग लोकपाल के 15 दफ्तर
- अहमदाबाद
- कानपुर
- कोलकाता
- गुवाहाटी
- चंडीगढ़
- चेन्नई
- जयपुर
- तिरूअनंतपुरम
- नई दिल्ली
- पटना
- बेंगलुरू
- भुवनेश्वर
- भोपाल
- मुंबई
- हैदराबाद
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साभार: rbi.org.in
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