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अमृतधारा : सौ रोग पर भारी एक दवा

अमृतधारा दुनिया को आयुर्वेद का अनुपम उपहार है। इसका हर घर में होना बहुत लाभकारी है। दर्जनों रोगों में यह एक दवा काम आती है।

बाजार की मंहगी अमृतधारा न खरीदें, घर में बनाएं। सौ रूपए में इतनी अमृतधारा बनेगी कि खुद के अलावा पड़ोसियों के भी काम आएगी।

अमृतधारा की सामग्री

देसी कपूर, अजवाइन सत, पुदीना सत समान मात्रा में लाएं।

अमृतधारा बनाएं

अमृतधारा घर पर बनाना बहुत आसान है। इसकी सभी सामग्री किसी आयुर्वेदिक दवाएं बेचने वाली दुकान से लाएं।

कांच की अच्छे से बंद होने वाली रंगीन शीशी लें। शीशी गर्म पानी में धोकर अच्छे से सुखाएं।

शीशी में समान मात्रा में अजवाइन का सत, देसी कपूर, पुदिने का सत डाल दें। अब बाद शीशी अच्छे से बंद करके हिलाएं। कुछ ही देर में तीनों सामान द्रवित हो जाएंगे। पानी की तरह रंगहीन तरल में बदल जाएंगे। अमृतधारा तैयार है।

इसे कांच की शीशी में बंद करके रखें क्योंकि अमृतधारा हवा के संपर्क में आकर बहुत जल्दी उड़ती है।  

कैसे रखें

शीशी हमेशा पूरी तरह बंद करके रखें।

इसे सीधे धूप व रोशनी से बचा कर ठंडी सूखी जगह पर रखें।

जब इस्तेमाल करना हो, तो बताई मात्रा में ही करें।

अमृतधारा के फायदे

अपच – कांच के गिलास में आधा पानी भरें, चार बूंद डाल कर पिएं।

उल्टी – एक कप पानी या कांच के गिलास में आधा पानी भरें, चार बूंद अमृतधारा डाल कर पिएं।।

कमजोरी – दस ग्राम गाय के मक्खन, पाँच ग्राम शहद में तीन बूंद अमृतधारा मिला कर रोज चाटें, कमजोरी में फायदा होगा।

कमर या पीठ दर्द – चार बूंद अमृतधारा एक चम्मच वैसलीन में मिलाएं, दर्द वाली जगह पर लगाएं।

कीड़ा काटे – बर्र (ततैया), मधुमक्खी, बिच्छू, भंवरे जैसे जहरीला कीड़े काट लें, तत्काल दवा न मिले, तो काटी जगह पर अमृतधारा लगाएं। यदि त्वचा में छेद हो गया है तो न लगाएं।

खांसी – चार बूंद अमृतधारा हलके गर्म पानी में डाल कर सुबह-शाम कुछ दिन पिएं, श्वास, खांसी, दमा, क्षय रोग में फायदेमंद है।

खुजली – दस ग्राम नीम तेल में पाँच बूंद अमृतधारा मिलाएं, मालिश करें, हर खुजली में फायदा होगा।

गैस्ट्रिक – कांच के गिलास में आधा पानी भरें, चार बूंद डाल कर पिएं।

चक्कर आना – एक कप पानी में चार बूंद अमृतधारा डाल कर पिएं, चक्कर आना बंद होगा।

चर्म रोग – त्वचा रोग या Skin Diseases में कारगर दवा है। शरीर के जिस हिस्से में फोड़े-फुंसी हों, वहां अमृतधारा लगाएं। बिना दर्द तुरंत राहत मिलेगी।

छाती दर्द – मीठे तेल में अमृतधारा मिला कर छाती पर मालिश करें, छाती का दर्द ठीक होगा।

छाले – चार-पांच बूंद कुछ पानी में मिला कर कुल्ले करें, राहत मिलेगी। ध्यान रखें कि छाले फूटे हों तो इसका इस्तेमाल न करें।

जुकाम – रुमाल चार बूंद डाल कर सूंघें, साँस खुल कर आएगी, जुकाम ठीक होगा। चाहें तो बाजार से एक इन्हेलर खरीद लाएं, उसे पीछे से खोल लें, अंदर की रुई निकाल कर थोड़ी सी रुई भर कर चार बूंद डाल कर पीछे का ढक्कन बंद कर लें। इन्हेलर की तरह ही सूंघें, यह अधिक प्रभावी और बेहतर ईलाज है। बाजार में मिलने वाले इन्हेलर में सफेदा या नीलगिरी का तेल (टर्पेंटाईन ऑईल) होता है, जो फेफड़ों के बहुत नुकसानदेह है।

दर्द – जोड़ों, मांसपेशियों, सिर दर्द में वैसलीन के साथ लगाने से दर्द कम होता है।

दस्त – अदरक के एक चम्मच रस में चार बूंद डाल कर सेवन करें, दस्त बंद होंगे। बताशे या एक चम्मच शक्कर पर चार बूंद डाल कर चूसने से भी दस्त बंद होंगे।

दांत दर्द – दांत दर्द में अमृतधारा का फाहा रख कर दबाएं, राहत मिलेगी।

पिंपल्स – उतने ही हिस्से पर लगाएं जहां पिंपल्स हैं, उसके आसपास न फैलाएं।

पेट दर्द – एक कप पानी में चार बूंद अमृतधारा डाल कर पिएं। बताशे, खांड या शक्कर में चार बूंद अमृतधारा डाल कर खाएं, पेट दर्द दूर होगा।

फटे होंठ – चार बूंद अमृतधारा, एक चम्मच या दस ग्राम वैसलीन में मिलाएं, फटी एड़ियों पर लगाएं। फटी चमड़ी जुड़ जाएगी।

फोड़ा – डॉक्टर फोड़े को सर्जरी करके इलाज करते हैं लेकिन फोड़े पर अमृतधारा लगाने से कुछ दिन में खुद बैठ जाएगा।

बदहजमी – एक कप पानी में चार बूंद अमृतधारा डाल कर पिएं, बदहजमी दूर होगी।

बिवाई या फटी एड़ियां – चार बूंद अमृतधारा, एक चम्मच या दस ग्राम वैसलीन में मिलाएं, फटी एड़ियों पर लगाएं। फायदा होगा। फटी चमड़ी जुड़ जाएगी।

मंदाग्नि या भूख न लगना – दोनों भोजन के बाद ठंडे पानी में दो बूंद अमृतधारा डाल कर पिएं, मंदाग्नि, अजीर्ण, बादी, बदहजमी, गैस ठीक होंगे।

यकृत वृद्धि – चार बूंद अमृतधारा को सरसों के चौगुने तेल की मात्रा में मिला कर जिगर – तिल्ली पर मालिश करें, यकृत वृद्धि दूर होगी।

लू लगना – अमृतधारा की चार बूंद ठंडे पानी में पिलाएं, जिससे लू ठीक होती है। पुदीने की ठंडक तत्काल राहत देती है। प्रभावित व्यक्ति को ठंडी जगह पर ले जाएं, ठंडे पानी से नहलाएं, या ठंडी गीली चादरों से ढकें।

वात या गैस – कांच के गिलास में आधा पानी भरें, चार बूंद डाल कर पिएं।

सर्दी, जुकाम, टॉन्सिल – चीनी में चार बूंद डाल कर जूस लें। रूमाल में कुछ बूंदे डाल कर सूंघें।

सिर दर्द – अमृतधारा की दो बूंद ललाट और कान के आसपास हल्के हाथ से लगाएं, फायदा होगा। मालिश नहीं करें। ध्यान रखें कि अमृतधारा आंखों से दूर रखें।

सूजन – ठंड से हाथ-पैर की उंगलियों में सूजन हो, या शरीर के किसी हिस्से में सूजन हो (आंखों छोड़ कर) तो उस हिस्से पर अमृतधारा लगा कर सो जाएं। सुबह तक राहत मिल जाएगी।

हिचकी – अमृतधारा की एक-दो बूंद जीभ पर रख कर, मुँह बंद कर लें, उसे सूंघें, दो मिनट में फायदा होगा।

हृदय रोग – आँवले के मुरब्बे में चार बूंद अमृतधारा डाल कर खाएं, दिल के रोग में राहत मिलेगी।

हैजा – प्याज के एक चम्मच रस में दो बूंद अमृतधारा डाल कर पीने से फायदा होगा।

पसीना बहना – शरीर से अधिक पसीना निकलने पर अमृतधारा  की चार बूंदे, एक पिसी इलायची को आधा गिलास पानी में डाल कर लें। लाभ होगा।

जोड़ों का दर्द – एक कटोरी तिल के तेल में पांच-छः  बूंद अमृतधारा मिलाएं। यह तेल जोड़ों के दर्द व सूजन वाली जगह लगाएं, आराम मिलेगा।

मच्छर से बचाव – नारियल के तेल में अमृतधारा की चंद बूंदे मिला कर त्वचा पर लगाएं, मच्छर नहीं काटेंगे।

सावधानियां

बच्चों के पहुंच से दूर रखें। आंख-नाक के सीधे संपर्क से जलन व सूजन हो सकती है।

छोटे बच्चो को एक बूंद से अधिक न दें।

नवजात शिशु व एक साल से छोटे बच्चों को न दें।

सर्जरी के तुरंत पहले या बाद चिकित्सक परामर्श के बिना न लें।

आंख, नाक, कान में न डालें।

दवा दो साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को देने से पहले वैद्य से सलाह लें।

अधिकता या इस्तेमाल में लापरवाही से नुकसान संभव है।

चर्म रोगों (Skin Diseases) के लिए अच्छी दवा है, लेकिन आंख बंद कर हर तरह के चर्म रोग पर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

न्यूरोलॉजिकल सिस्टम को अमृतधारा में यूकलिप्टस अर्क होने पर नुकसान हो सकता है।

अधिक मात्रा या सेवन से पेटदर्द, चक्कर, मांसपेशियों की कमजोरी, सांस लेने में असहजता, अनिद्रा, भ्रम जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

अमृतधारा में लौंग तेल हो तो सामान्य सर्दी-खांसी के सूंघने पर कभी-कभी सांस लेने में दिक्कत होती है। नाक-गले में जलन, उल्टी, दस्त हो सकते हैं। यह फेफड़ों के संक्रमण का कारण भी बन सकता है।

अमृतधारा बहुत तेज है इसलिए इस्तेमाल के पहले थोड़ी सी जगह पर थोड़ा सा इस्तेमाल करके देखें, यदि सही असर है, तो ही बाकी जगहों पर लगाएं।

किसी जानकार – अनुभवी वैद्य या डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

जलने के घाव पर अमृतधारा न लगाएं।

कटे पर अमृतधारा न लगाएं।

गलन से हाथ-पैर खराब हों, तो अमृतधारा न लगाएं।

सर्दी या एलर्जी के जुकाम में जल्दी राहत के लिए सीधे नाक पर न लगाएं। काफी जलन होगी।

आंख में किसी भी हालत में अमृतधारा न लगने दें।

अमृतधारा के नुकसान (दुष्प्रभाव)

अधिक मात्रा में लेने पर दस्त लग सकते हैं।

इसके उपयोग से कुछ लोगों को चक्कर आ सकते हैं।

अभिनव प्रयोग

होमियोपैथी वाली शक्कर की गोलियां 50 ग्राम लाएं। छोटी शीशियों में गोलियां भरें। उनमें 10 से 12 बूंद अमृतधारा डालें। जब बाहर जाएं, साथ रखें, बहुत काम आएंगीं। उल्टी, पेटदर्द, जी मिचलाने, गैस, खट्टी डकारें आने पर चार गोली चूसें, लाभ होगा। सादे पानी में चार गोली घोल कर पिएं, फायदा होगा।

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