Books: अगले जनम बेड़नी ना कीजो: पंरपरा के नाम पर वेश्यावृत्ति का कलंक झेलती औरतें
भारतीय समाज की बेड़िया जनजाति में फैली एक भयावह परंपरा, कुरीतियों, अपराधों पर आधारित किताब है – ‘अगले जनम बेड़नी ना कीजो।‘
यह किताब देश के बेड़िया समाज की सदियों पुरानी उस परंपरा पर नजर डालती है, जिसके तहत परिवार के मर्द ही अपनी बेटियों-बहनों से वेश्यावृत्ति करवाते हैं।
समाज की बनाई परंपराओं के पिंजरों में कैद ये लड़कियां उन बुलबुलों की तरह हैं, जो नाच-गा तो सकती हैं, लेकिन रो नहीं सकतीं।
इन बेड़नियों की दर्द भरी जिंदगी और हालात पर शोध आधारित पुस्तक है – अगले जनम बेड़नी ना कीजो।
बेड़िया समाज की लड़कियां इस कलंकित पेशे से बाहर निकलने के लिए छटपटा रही हैं, उसी पर लेखक ने पूरा ध्यान केंद्रित किया है। बेड़िया समाज में आ रहे परिवर्तनों को भी रेखांकित करने की कोशिश इस किताब में है।
‘Agle Janam Bedni Na Kijo’ encapsulates the grim malefactions and transgressions entrenched within Indian society.
This tome delves profoundly into the enduring practices of the Bedia community, where male kin assume the role of agents, coercing their daughters and sisters into the harrowing occupation of prostitution.
These young women find themselves ensnared within the confines of societal norms, their voices stifled, like nightingales capable of song and dance, yet denied the tears to weep.
‘Agle Janam Bedni Na Kijo’ stands as a meticulously researched chronicle, delving into the anguished lives and predicaments of these girls belonging to the Bedia community.
Striving vehemently to extricate themselves from the clutches of this tarnished vocation, the Bedia girls’ quest becomes a poignant saga of pain and resilience, as the author endeavors to illuminate their ordeal. Moreover, the narrative endeavors to underline the metamorphosis unfolding within the Bedia community itself.
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