CrimeDrugsMafia

Drugs Mafia: एमडी तस्करी में क्या डी-कंपनी लिप्त है?

डी-कंपनी की नाक के नीचे बिक रहा है नशा
• एमडी के सौदागर की गिरफ्तारी पाकमोड़िया स्ट्रीट से
• 23 लाख का जानलेवा नशा हुआ बरामद
• खतरनाक नशे की चपेट में आ रहे हैं किशोर व युवा
• संगठित गिरोह व किसी खुफिया एजंसी के हाथ का संदेह
• चीन और पाकिस्तान से तस्करी का शक

विवेक अग्रवाल

मुंबई, 15 फरवरी 2015

मुंबई पुलिस के अधिकारी अब मानने लगे हैं कि एमडी या म्याऊं-म्याऊं या मेफेड्रॉन या एम-कैट नशे की मुंबई, ठाणे व नवी मुंबई इलाकों में इस कदर बिक्री और तस्करी के पीछे किसी संगठित गिरोह का हाथ जरूर है। पिछले सप्ताह बुधवार की शाम अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (दक्षिण) कृष्ण प्रकाश के एक खास दस्ते ने गिरोह सरगना दाऊद इब्राहिम के पुराने निवास स्थल पाकमोड़िया स्ट्रीट पर महजबीन मेंशन के ठीक सामने ही एक युवक को गिरफ्तार कर 23 लाख रुपए की एमडी बरामद की है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक 31 साल के गिरफ्तार नशा विक्रेता का नाम शाकिर जमील अहमद शेख है। उसे पुलिस ने जाल बिछा कर ठीक तभी गिरफ्तार किया, जब वह एक युवक को एमडी बेचने की कोशिश कर रहा था। उसके पास से पुलिस ने कुल 291 ग्राम नशा बरामद किया और उसके खिलाफ जेजे मार्ग पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 328 के तहत एक रपट (क्र, 51/15) दर्ज की गई है।

पुलिस अधिकारियों का मानना है कि एमडी का इस तरह से विस्तार होना, वह भी महज छह माह के छोटे से ही वक्फे में, किसी संगठित गिरोह या खुफिया एजंसी की सोची-समझी साजिश है। इस नशे के जाल में फंस कर हर दिन तकरीबन 10 बच्चे अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। कई बच्चों की इसके कारण मौत की खबरें आ रही हैं लेकिन पुष्टि नहीं हो रही है।

डी-कंपनी पर शक

जहां से शाकिर को गिरफ्तार किया है, वह इलाका भेंडी बाजार में पाकमोड़िया स्ट्रीट पर दूसरी कॉपर लेन पर शमशेर कंपाऊंड इलाका आज भी डी-कंपनी के लिए सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है। जहां से शाकिर की गिरफ्तारी हुई है, वह जगह महजबीन मेंशन से महज 20 फुट के ही फासले पर है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस इलाके में बिना डी-कंपनी के सिपहसालारों और प्यादों की मर्जी के कोई भी अवैध काम नहीं हो सकता है। इसका सीधा सा मतलब यही निकलता है कि नशे के इस नरक की तामीर में किसी न किसी तौर पर डी-कंपनी का हाथ जरूर होगा।

सूत्रों के मुताबिक शाकिर का पिता जमील शेख उर्फ जमील हटेला इसी इमारत के पास ही खाली जमीन पर कब्जा करके झोंपड़ा बना कर रहता है। पता चला है कि जमील का सीधा संबंध कुछ ऐसे सरमायादारों से है और उनके लिए वह रात में चौकीदारी का काम करता है, जिसके कारण पुलिस अधिकारियों को अब यह शक हो रहा है कि हो न हो, इस मामले में किसी संगठित गिरोह का हाथ है।

पता चला है कि शाकिर के खिलाफ चेन स्नैचिग, हत्या की कोशिश, डकैती के मामले पहले से ही दर्ज हैं। इसे कहां से एमडी मिला है, उसके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है। 

वह जगह जहां से पुलिस ने शाकिर को गिरफ्तार किया है, इसके ठीक पीछे ही दाऊद इब्राहिम का पुराना ठिकाना महजबीन इमारत है।

कहां से आ रहा है एमडी

सूत्रों का कहना है कि यह एमडी दो रास्तों से भारत भूमि पर पहुंच रहा है। कुछ सूत्रों का यह कहना है कि गुजरात के समुद्रतटीय इलाके कच्छ से एमडी आ रहा है। एक सूत्र के मुताबिक यह माल असल में मच्छीमार नौकाओं और वहान या ढऊ के जरिए पाकिस्तान से भेजा रहा है।

एक अन्य जानकार सूत्र का कहना है कि बजरिए चीन ये नशा कंटेनरों में आ रहा है। कंटेनरों में यह नशा रसायनों या दवाओं के नाम पर आ रहा है। यह संभावना भी जताई जा रही है कि इसे स्वादवर्धक रसायन अजीनोमोटो के नाम पर भी भारत लाया जा रहा है।

प्लास्टिक के पारदर्शी लंबे दानों जैसा दिखने के कारण इस नशे की तस्करी प्लास्टिक के रूप में भी होने की शंका इस सूत्र ने जाहिर की है। उसका कहना है कि चूंकि मुंबई की किसी भी गोदी पर एमडी नशे की पहचान और पकड़ के लायक न तो खोजी कुत्ते हैं, न ही उनके पास वैपर स्कैनर हैं, जिनसे कि एमडी की जानकारी हासिल हो सके।

क्या है एमडी

एमडी यानी मैफीड्रॉन या मिथाइलफेनीडेट का इस्तेमाल बतौर कीटनाशक होता हैं। एमडी बनाने के चार कारखाने मुंबई में होने की जानकारी है। इसका लाईसेंस लेना होता है। यह दवा किसानों को ही बेचने की इजाजत है, लेकिन नशा सौदागर और तस्कर इसे पावडर के रूप में 100 से 800 रुपए प्रति ग्राम तक बेच रहे हैं।

पान मसाला से चॉकलेट तक में एमडी

पान मसाले से लेकर चॉकलेट तक में एमडी मिला कर नशा सौदागर बच्चों को बेच रहे हैं। युवा नशेड़ी इसका पावडर सूंघ कर भी नशा करते हैं। यह भी पता चला है कि गुलाबी रंग की एक कास किस्म की आईस्क्रीम में भी एमडी की आपूर्ती बच्चों को हो रही है जिसे ये नशा विक्रेता स्ट्रॉबेरी के नाम से पुकारते हैं।

एमडी का विस्तार

ठाणे, कलवा, मुंब्रा और कल्याण इलाकों में तो एमडी का ऐसा विस्तार हो गया है कि लोगों में दहशत सी बैठ गई है। मुंबई में कांदीवली और मालाड उपनगरों के मालवणी और पठानवाडी में बच्चों और युवाओं में यह तेजी से फैल रहा है। इसके अलावा दक्षिण मुंबई के मुसलिणबहुल इलाकों में भी इसका विस्तार तेजी से हुआ है।

कई मुल्कों में एमडी को नशीली दवाओं की सूची में रखने के कराण वहां तो यह नहीं बेची जा रही है लेकिन भारत में इस सूची से बाहर होने के कारण धड़ल्ले से यह खतरनाक नशा बेचा जा रहा है। इजरायल में एमडी पर 2008 से प्रतिबंध लागू है तो यूरोप में 2010 से। स्वीडन, चीन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व अमेरिका ने भी इसे अवैध करार दिया है।

एमडी को प्रतिबंधित सूची में शामिल करने के लिए दिसंबर 2013 में कई संगठनों और विभागों की ओर से सरकार को पत्र भेजे जा चुके हैं। यह भी पता चला है कि एमडी के सेवन से भायखला में दो युवकों की मौत के बाद महाराष्ट्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने केंद्र सरकार को पत्र लिखे हैं और एमडी को प्रतिबंधित नशीली दवाओं की सूची में डालने का अनुरोध किया है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने भी ऐसी ही सिफारिश की है। अभी तक इस दिशा में ठोस कदम न तो केंद्र सरकार ने उठाए हैं, न ही राज्य सरकार की ओर से कोई पहल हुई है। इसके चलते एमडी का कहर दिनों-दिन बढता ही जा रहा है।

भारत सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने मुंबई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहित शाह की अदालत में यह जानकारी पेश की थी कि केंद्र सरकार मेफेड्रोन या एमडी ड्रग को एनडीपीएस कानून के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है ताकि बच्चों व युवाओं को इससे बचाया जा सके।

डॉक्टर युसु‌फ मर्चेंट ने मुंबई हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर एमडी पर रोक लगाने और उसे एनडीपीएस कानून के तहत प्रतिबंधित दवाओं की सूची में तुरंत लाने की मांग रखी थी। उन्होंने यह अपनी याचिका में यह भी बताया है कि महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेज कर एमडी को एमडीपीएस कानून के दायरे में लाने की सिफारिश की तो है लेकिन इस पर केंद्र सरकार अमल नहीं कर रही है। इसके लिए एक प्रस्ताव महाराष्ट्र सरकार ने सन 2014 के नागपुर अधिवेशन में पारित किया था। 

वह जगह जहां से पुलिस ने शाकिर को गिरफ्तार किया है, इसके ठीक पीछे ही दाऊद इब्राहिम का पुराना ठिकाना महजबीन इमारत है।

कमजोर कानून से बढ़ा एमडी

इसके साथ गिरफ्तार नशा सौदागरों को महज आईपीसी की धारा 328 के तहत गिरफ्तार किया जाता है। नशा विरोधी कानून के कड़े प्रावधानों में इनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाती है। इसके चलते अगले ही दिन जमानत हासिल कर ये नशा सौदागर छूट जाते हैं; और फिर यह नशा बेचने निकल पड़ते हैं।

दक्षिण मुंबई के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश ने पिछले दिनों मीडिया से बात करते हुए कहा था कि एमडी का मामला इतना गंभीर हो चुका है कि मुंबई पुलिस आयुक्त राकेश मारिया ने एमडी बेचने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 328 के तहत मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं। इसके तहत किसी को जहरखुरानी करने का आरोप लगता है। इस धारा के तहत दोषी पाए आरोपी को 10 साल की कैद का प्रावधान है।

नई पीढ़ी बर्बाद कर रहा है एमडी

अब तक नशा तस्करों के निशाने पर युवा पीढ़ी ही होती थी, अब उनकी जद में बच्चे और किशोर पीढ़ी भी आ चुकि है। ये नसा सौदागर देश के भविष्य को तबाह करने पर आमादा दिख रहे हैं।

नशे के सौदागरों ने छात्रों को इस सस्ते और खतरनाक जानलेवा नशे का आदी बनाने के लिए उनके ही ठिकानों पर जाकर माल बेचना शुरू कर दिया है। नशे की छोटी-छोटी मात्राएं बड़ी आसानी से स्कूलों और कॉलेजों के बाहर बिक रही हैं। इतना ही नहीं मंदिरों और मसजिदों-दरगाहों के बाहर भी एमडी बेचने वाले लड़कों की जमात मिल रही हैं।

पता चला है कि नशा सौदागरों ने स्कूलों के आसपास एमडी बेचने का पूरा तंत्र विकसित कर दिया है। बच्चों को पहले मुफ्त में एमडी की कुछ खुराक दी जाती हैं। एक बार वे इश नशे के लती बन जाते हैं तो फिर उनसे एक ग्राम के लिए 20 या 50 रुपए लिए जाते हैं। जब वे इस नशे के बिना रह ही नहीं पाते हैं तो उनसे 100 रुपए प्रति ग्राम कीमत वसूली जाने लगती है।

कोकीन और हेरोइन जैसे महंगे नशे के मुकाबले काफी सस्ता होने लेकिन उतना ही तीखा नशा देने के कारण यह तेजी से बच्चों और युवाओं के बीच फैल गया है।

चिकित्सकों के मुताबिक एमडी बबुत तेजी से बच्चों को अपनी गिरफ्त में लेता है। इसके बारे में पता चलने में इसलिए भी देर होती है क्योंकि इसकी न तो कोई गंध होती है, न ही इसे लेने की कोई खास विधी होती है। इसके कारण अभिभावकों या पालकों को बच्चों के एमडी के लती होने तक पता ही नहीं चल पाता है।

कुछ परिवार तो बच्चों के एमडी के लगी होने की जानकारी मिलने पर उन्हें स्कूलों से निकाल कर पहले नशा मुक्ति केंद्रों या चिकित्सा सलाहकारों के पास नशा मुक्ती के लिए भी ले गए हैं।

ऐसे ही एक परिवार ने बताया कि उनके किशोर उम्र लड़के को स्कूल के बाहर ही एक लड़ने नशे की यह बुरी लत लगाई थी, जिसका पता तब जाकर चला था जब घर में पैसों की चोरियां होने लगी थीं। घर का ही बच्चा नशा हासिल करने के लिए पैसे चुराने लगा था। अब उसका इलाज चल रहा है और वह पिछले चार माह में काफी हद तक सुधार पर है।

नशे की जानकारी रखने वाले कहते हैं कि एमडी का हर रोज अगर कोई बच्चा सेवन करता है तो उसकी छह माह में मौत भी हो सकती है।

एमडी का असर

एमडी सूंघते ही महज चंद मिनटों में असर दिखाता है। यह किसी चीज के साथ खाने पर तकरीबन 30 मिनट से अधिक का समय नशा देने में लगाता है।

चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों का एमडी की गिरफ्त में आना बेहद खतरनाक है। बच्चों का मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। उनकी सोचने-समझने की क्षमता कुंद हो जाती है। शारीरिक शक्तियां क्षीण पड़ने लगती हैं। एमडी लेने पर दिमाग में खुमारी छा जाती है। नींद-भूख खत्म हो जाती है। एमडी का नशा करने वाले का बरताव काफी बदलता है। ये बेहद चिड़चिड़े हो जाते हैं। उन्हें बात-बात पर और अचानक गुस्सा आने लगता है। इसके लती होने के बाद याददाश्त कमजोर हो जाती है। उनमें खासी घबराहट होने लगती है। कई बार यह भी देखा गया है कि एमडी के लती बच्चे या युवा की नाक से खून निकलने लगता है। एमडी की अधिक मात्रा स्नायुतंत्र पर बुरा प्रभाव असर करती है।

एमडी लेने वालों को पहले तो असीम आनंद, उत्‍साह, आत्‍मविश्‍वास, मानसिक और शारीरिक उत्‍तेजना की अनुभूति होती है। बाद में यह लतियों के हाथों से किसी वस्तु को छूने और अन्‍य संवेदनाएं भी खत्म करने लगता है। इसके अधिक सेवन से सेक्स क्षमता भी नष्ट हो जाती है।

एमडी के लगातार सेवन के कारण भूख मर जाने, मांसपेशियों में खिंचाव, शरीर कांपना, सिरदर्द, घबराट, उच्च रक्तचाप, पेशाब करने में कठिनाई, शरीर के तापमान में बदलाव और हाथ नीले पड़ने जैसे दुष्‍प्रभाव दिखने लगते हैं। अधिक मात्रा में सेवन से लती मानसिक तनाव का शिकार हो जाता है।

इसका सेवन करने वाले बच्चों की आंखें हर वक्त फैली हुई रहती हैं, ठीक वैसे ही, जैसी बिल्लियों की होती हैं। इसके चलते ही एमडी को अमरीका में म्यांऊ-म्यांऊ कहना शुरू हुआ था। यह नाम धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गया। एमडी का नियमित सेवन मौत का कारण बनता है।

++++
TAGS
4-Methylephedrone, 4-Methylmethcathinone, 4-MMC, Drugs, MCAT, MD, Mephedrone, Narcotics, Vivek Agrawal, एम-कैट, एमडी, नशा, विवेक अग्रवाल, मादक पदार्थ, ड्रग्स, नशीली दवाएं, मेफेड्रोन, मिथाईल एफेड्रोन, मुंबई, भारत, Mumbai, India,
++++

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Web Design BangladeshBangladesh Online Market