CrimeDrugsExclusiveMafia

Drugs: साजी मोहन और डी-कंपनी की हेरोईन!

विवेक अग्रवाल,

मुंबई, 31 जनवरी 2009

एनसीबी के जोनल डायरेक्टर साजी मोहन को जब एटीएस ने गिरफ्तार करके हेरोईन बरामद की, तो उसके पैकेटों पर पीरजादा 2004, 555-2004, बी52, 6666 और के98 मार्किंग मिलीं।

ये सभी मार्किंग साफ तौर पर बताती है कि सारा माल व्हाईट डेथ श्रेणी की हेरोईन है, जो सबसे शुद्ध मानी जाती है।

यह हेरोईन पूरी तरह सफेद रंग की होती है। इसकी मांग सारी दुनिया के नशेड़ियों और तस्करों में काफी अधिक है। यह हेरोईन अफगान-पाक फ्रंटियर पर बनाई जाती है।

डी-कंपनी से जुड़ाव

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) सूत्रों के मुताबिक इन मार्कों की हेरोईन की तस्करी डी-कंपनी भी अफगानिस्तान के जरिए रूस से होकर करवाती है।

एनसीबी सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के जरिए इन मार्कों की हेरोईन को बरास्ते भारत भी कई युरोपीय और अमरीकी देशों में डी-कंपनी भेजती है।

एनसीबी सूत्रों ने बताया कि डी-कंपनी इन मार्कों की हेरोईन को पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल सीमाओं से सड़क मार्गों के जरिए और बरास्ते समंदर भी भारत तक भेजता है। यहां से ही हेरोईन की खेप अन्य देशों को भेजी जाती हैं।

इन मार्कों की हेरोईन की बरामदगी चूंकि साजी और उसके गुर्गों से हुई इसलिए एनसीबी और मुंबई एटीएस को शक है कि साजी और उसके साथियों के संबंध दाऊद गिरोह से भी हो सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक एनसीबी अब साजी और उसके साथियों के दाऊद गिरोह से संबंधों को लेकर छानबीन कर रही है।

साजी की अय्याशियां

एटीएस अधिकारियों को कुछ ऐसे गवाह मिले हैं जो कि साजी के मुंबई के बीयर बारों में पैसे लुटाने के प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं। उनके मुताबिक साजी हजारों रुपए एक रात में ही बार बालाओं पर उड़ाया करता था।

साजी की अय्याशी के बारे में भी कुछ जानकारियां एटीएस अधिकारियों को हासिल हुई हैं। एटीएस को पता चला है कि कुछ बारबालाएं साजी को करीब से जानती हैं। एटीएस यह जानकारी हासिल करने में लगी है कि कहीं कुछ बारबालाएं भी तो साजी के लिए काम नहीं करती थीं।

एटीएस अधिकारी बताते हैं कि साजी को शहरों की लेट नाईट पार्टियों में अपने विश्वसनीय साथियों समेत मस्ती करते हुए हमेशा देखा जाता था। कुछ का कहना यही है कि वह इन दावतों में बस मजे करने के लिए ही जाता था। हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि वह अपने लोगों को लेकर इन दावतों में इसलिए जाता था ताकि ड्रग्स पैडलरों या नशा विक्रेताओं के बारे में जानकारियां हासिल कर सके। उन नशा विक्रेताओं के जरिए वह बड़े नशा बेचने वालों और तस्करों तक पहुंचा करता था।

कैसे पकड़ा गया साजी

साजी का साथी गिरफ्तार हुआ। उसके मोबाईल फोन पर भी साजी की बातचीत के ब्यौरे थे।

उसने पूछताछ में साजी के बारे में बताया तो पहली दफा तो किसी को विश्वास ही नहीं हुआ कि ऐसा शानदार रिकार्ड रखने वाला आईपीएस ऐसे काम में शामिल हो सकता है।

वह चूंकि एक महत्वपूर्ण ओहदे पर इस समय आसीन मुंबई के ही एक आईपीएस का बैचमेट भी है, उसे यह गुमान था कि उसका मुंबई में तो कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेगा।

उसके बारे में जब एटीएस के अधिकारियों ने अपने मुखिया केपी रघुवंशी को बताया तो उन्होंने कहा कि अपराधी कोई भी उसे नहीं बख्शना है। जब एटीएस ने सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल को नहीं छोड़ा तो इस आईपीएस को कैसे छोड़ सकते हैं।

उनके कहने पर साजी के दोनों फोन नंबरों को चुपचाप रिकार्डिंग पर एटीएस अधिकारियों ने लगा दिया।

साजी ने अपने लोगों से जो बातें कीं, वे सुन कर तो एटीएस के भी अधिकारियों के कानों से धुंआ निकलने लगा था।

उसके मुंबई में बड़ी मात्रा में हेरोईन लेकर आने की बातें सुनने के बाद में तो एटीएस अधिकारी और भी सतर्क हो गए और उसके इर्द-गिर्द जाल बिछाना शुरू कर दिया था।

साजी के दो फोन ही थे, जिनके कारण वह फंस गया था। उसकी हर हरकत और मूवमेंट के बारे में एटीएस अधिकारियों को लगातार पता चलता रहा था।

इस तरह से साजी के सेल फोन ने ही उनकी चुगली कर दी और वे एटीएस के जाल में खुद ही आ फंसा।

साजी केस के और खुलासे

17 जनवरी 2009 को राकेश कुमार नामक हरियाणा पुलिस के पूर्व कांस्टेबल को 1.7 किलो हेरोईन के साथ में ओशिवारा इलाके से गिरफ्तार किया था। उसने पूछताछ में साजी का नाम बताया था।

25 जनवरी 2009 को साजी को सूचना के आधार पर अंधेरी पश्चिम के ओशिवारा इलाके में स्थित क्लासिक क्लब से 12.8 किलोग्राम हेरोईन के साथ एटीएस अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था।

26 जनवरी 2009 को साजी से पूछताछ के बाद नायगांव के नालंदा अपार्टमेंट्स नामक इमारत के एक फ्लैट से 25 किलो हेरोईन और बरामद की गई। यह घर विक्की ओबराय के नाम पर किराए पर लिया गया था। इसमें विक्की का सौतेला बेटा वैभव रहता था। विक्की असल में केकड़ा पालन उद्योग में है। वह अपने कारोबार के सिलसिले में लगातार दिल्ली और गुड़गांव आता-जाता रहता है। वहीं पर उसकी मुलाकात राजेश शर्मा से हुई थी।

एनसीबी चंडीगढ़ के सुपरिटेंडेंट बलविंदर सिंह भी एटीएस की निगाह में आए हैं। वे साजी के मातहत कार्यरत रहे हैं। एटीएस ने उनका बयान हासिल करने के लिए बुलाया है ताकि साजी की कारस्तानियों के बारे में और खुलासे हो सकें।

एटीएस ने साजी के दो अंगरक्षकों नवीन कुमार और देवेंद्र पाल को भी पूछताछ के लिए बुलाया है। वे दोनों जम्मू कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल थे। चंडीगढ़ में तैनाती के दौरान भी वे दोनों ही बतौर अंगरक्षक साजी के साथ थे। एटीएस का मानना है कि वे दोनों काफी सारी बातें साजी और उसके गिरोह के बारे में जानते हैं।

एटीएस के मुताबिक जम्मू-कश्मीर का एक नशा तस्कर साजी को पाकिस्तान से आए माल की सप्लाई करता था। उसे एटीएस पकड़ पाती, उसके पहले ही सारी खबर बाहर आ गई और अब वह गायब हो चुका है।

राजेश के जरिए साजी का नेटवर्क दिल्ली और विक्की के जरिए मुंबई में नशा नेटवर्क स्थापित होने की जानकारी एटीएस द्वारा दी गई।

विक्की के संबंध मुंबई की अमीर और फिल्मी हस्तियों में काफी गहरे तक थे। एटीएस का दावा है कि उनके जरिए ही साजी के माल की खपत बड़े लोगों के बीच पहुंचा करती थी।

एटीएस का दावा है कि पूछताछ में साजी ने 10 किलो और भी हेरोईन बेचना स्वीकार किया है।

एटीएस अधिकारियों का यह भी कहना है कि साजी ने माहिम और विलेपार्ले के के भी दो बड़े नशा तस्करों से माल की खरीद फरोख्त के लिए संपर्क किया था।

साजी की कारस्तानियां

एनसीबी का कहना है कि एनसीबी की सीआर नंबर 12/04 दिनांक 30 दिसंबर 2004 के तहत बरामद हुए 13 लाख 81 हजार 250 रुपए मालखाने में जमा थे। साजी ने यह रकम स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के अपने निजी खाते में जमा करवाने की बात कहते हुए इसकी एक रसीद भी पेश की थी लेकिन बैंक का कहना है कि साजी के खाते में यह रकम कभी जमा हुई ही नहीं। इस पर चंडीगढ़ एनसीबी ने आर्थिक अपराध शाखा में साजी के खिलाफ 29 जनवरी 2009 को सरकारी पैसों के गबन की एक रपट दर्ज करवाई है।

साजी पर सन 2001 में एक नाबालिग छात्रा के साथ में प्रेम प्रसंग को लेकर भी खासा विवाद हुआ था। वह तब रामबन में एसपी था। स्थानीय नागरिकों का आरोप था कि साजी ने इस लड़की को अपने जाल में फंसा रखा था। वह 10 वीं कक्षा की छात्रा आज एयर होस्टेस की ट्रेनिंग ले रही है।

दिल्ली में भी उसका तगड़ा नेटवर्क है। उसके नशा नेटवर्क में दिल्ली के काफी सारे लोग हैं जिनकी जानकारी एटीएस को मिली है और उनके बारे में भी जानकारियां हासिल की जा रही हैं। साजी ने दिल्ली के जिन नंबरों पर लंबी और काफी अधिक बार बातें की हैं, उन नंबर के मालिकों पर अब निगरानी रखी जा रही है। एटीएस अधिकारियों का मानना है कि साजी के गिरोह में ये लोग शामिल होंगे।

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा जम्मू-कश्मीर या पंजाब में जो हेरोईन पकड़ी जाती थी, वह साजी के पास ही भेजी जाती थी। चूंकि यह माल बीएसएफ द्वारा भेजा जाता था, उसकी मात्रा इत्यादि पहले से ही बीएसएफ के रिकार्ड में होती थी, इसके कारण साजी और उसके गुर्गे इस जब्त माल में कुछ गायब नहीं कर पाते थे। उसमें से कुछ माल गायब करने के लिए साजी ने मिÏक्सग का तरीका अपनाया था। साजी के इशारे पर उसके गुर्गे आधा माल निकाल कर उसमें चूना या पाऊडर मिला दिया करते थे।

एटीएस का मानना है कि साजी ने अपने और परिवार के नाम पर संपत्ति नहीं बनाई है। उसने बेनामी संपत्ति बनाई है और उसकी अभी शिनाख्त करके जब्ती करना बाकी है।

एनसीबी अधिकारियों के मुताबिक वह जब भी तस्करों से माल जब्त करता था तो उनके पास से कागजों में जब्ती कम दिखाता था। कुछ हिस्सा वह बचा कर रख लेता था और उसे भी बाजार में बिकवा देता था।

एटीएस का दावा है कि एनसीबी के ईस्ट ज़ोन के गोदाम या मालखाने में सन 2008 में पकड़ी गई हेरोईन की एक बड़ी खेप रखी हुई थी। एटीएस अधिकारियों के मुताबिक इसका एक बड़ा हिस्सा गायब करके साजी ने तस्करों के हाथों में फिर से पहुंचा दी थी।

खुफिया एजंसियों का अब यह दावा सामने आ रहा है कि साजी को जो हेरोईन नष्ट करने के लिए दी जाती थी, वह हेरोईन के बदले में चूना या पाऊडर रख कर सबके सामने जला देता था। असली हेरोईन को बाजार में बिकवा देता था। इसके बारे में किसी को कानों कान खबर तक नहीं लग पाती थी।

साजी की नौकरी

साजी 1995 बैच का आईपीएस अधिकारी है। उसने हैदराबाद आईपीएस एकेडमी से ट्रेनिंग हासिल की थी और अपने बैच का सबसे होनहार और प्रतिभावान युवक माना जाता था।

2007 फरवरी से 2008 दिसंबर तक साजी चंडीगढ़ में एनसीबी का जोनल डायरेक्टर रहा है। उसके पास जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और पंजाब का अतिरिक्त प्रभार भी था।

साजी श्रीनगर, डोडा में ही पदस्थ रहा है। वह जम्मू-कश्मीर में एक दशक तक रहा है।

2006 में साजी एंटी नारकोटिक्स ट्रेनिंग के लिए जापान के ओसाका शहर में हुई एक वर्कशॉप के लिए भी भारत सरकार द्वारा भेजा गया था।

2009 जनवरी से साजी कोच्ची में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में तैनात किया गया था।

डोडा में जब साजी बतौर एसपी तैनात था, तब उसे एक दिन सूचना मिली कि एक परिवार को बंधक बना कर दो आतंकी उनके ही मकान में छुपे हुए हैं। साजी ने अपने एक डीएसपी और एक कांस्टेबल के साथ ही उस घर में घुस कर दोनों आतंकियों को मार गिराया था। इस बहादुरी के लिए तीनों अधिकारियों को राष्ट्रपति पुलिस मेडल से नवाजा गया था।

साजी ने पंजाब में रहते हुए कुख्यात नशा तस्कर हरपाल सिंह उर्फ राजू को चंडीगढ़ में गिरफ्तार कर दिखाया था। इसके कारण वे एक प्रकार से हीरो ही बन गए थे।

उसी की बराबरी का एक और कुख्यात नशा तस्कर परमजीत सिंह भी अमृतसर के अटारी इलाके में साजी के खुफिया जाल में आ फंसा था। उसे भी सलाखों के पीछे जब साजी ने पहुंचा दिया तो उनकी बड़ी वाहवाही हुई थी।

साजी की गिरफ्तारी ठीक ऐसे वक्त पर हुई, जब उसकी पदोन्नति होने ही वाली थी। आगामी कुछ दिनों में ही वह डीआईजी बनने वाला था।

साजी का निजी जीवन

केरल के पाठनामट्टिया जिले के कलनजूर गांव का मूल निवासी है।

साजी की पढ़ाई बंगलूर के आर्मी स्कूल में हुई थी।

साजी अपने स्कूल के वक्त से ही एक अच्छा एथलिट रहा है।

इसके बाद साजी ने जबलपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल सबसे अव्वल रह कर की थी।

साजी ने 1993 में सिविल सर्विसेज परीक्षा पास की। उसने आईपीएस को चुना।

साजी की पत्नी दीपा अपने दोनों बच्चों के साथ में केरल में ही रहती हैं।

कोच्ची में पदस्थापना होने के पहले साजी ने अपना तबादला केरल करवाने के लिए कोशिश की थी क्योंकि उसे अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ उनकी देखभाल करने के लिए रहने की इच्छा थी।

साजी है निर्दोष

साजी से पिता रिटायर्ड सूबेदार मेजर वर्गीज और उनके परिवार का दावा है कि साजी को फंसाया गया है। उनके पीछे कुछ ऐसे अधिकारी हैं जो उनसे जलते हैं। कुछ ऐसे भी अधिकारी हैं जिन्हें पहले साजी ने बरखास्त करवाया था। वे अब वापस नौकरी पर लौट आए हैं और साजी को फंसा रहे हैं।

परिवार का दावा है कि साजी आज भी वही मारुति जेन कार इस्तेमाल करता है, जो उसने शादी के वक्त खरीदी थी।

परिवार के मुताबिक साजी ने कोच्ची में पिछले दिनों जो फ्लैट खरीदा, वह असल में भारी कर्ज पर है। उसमें भी काफी सारा पैसा उनके पिता ने पैतृक संपत्ति बेच कर चुकाया है।

(यह खबर सबसे पहले इंडिया टीवी में प्रकाशित / प्रसारित हुई।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Web Design BangladeshBangladesh Online Market