छोटा शकील के साले ने बनाई अवैध इमारत
- दो मंजिला इमारत बना दी 12 मंजिलों की
- चार करोड़ के खर्च से होगी कमाई 15 करोड़
- लोड बेयरिंग पर बना दी है अवैध इमारत
- फर्जी किराएदार और फ्लैट मालिक दिखाए
- म्हाडा को भी लगा दिया गिरोहबाज के साले ने चूना
विशेष संवाददाता
मुंबई, 17 अक्तूबर 2015।
गिरोह सरगना छोटा शकील के साले ने पायधुनी में महानगरपालिका, म्हाडा और पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से एक छोटी सी दो मंजिला पुरानी इमारत को लोहे के टी-एंगल लगा कर 12 मंजिलों की बना दिया है। महज 2 महीने में तन कर तैयार हो गई यह इमारत कुल 14 मंजिलों की बनेगी।
विश्वसनीय सूत्रों और हासिल दस्तावेजों के मुताबिक 316, इब्राहिम रहमतुल्लाह रोड, पायधुनी, मुंबई 400003 के पते पर पहले एक छोटी सी पुरानी इमारत थी। इसमें पहले कुल 10 ही किराएदार या निवासी थे। निचली या तल मंजिल पर तमाम दुकानें बनी हुई थीं, पहली मंजिल पर कुछ निवासी फ्लैट थे।
यह पता चला है कि दो महीने में ही इस इमारत को गिरा कर 12 मंजिलों की तैयार किया जा चुका है। इस इमारत को बनाने के लिए न तो महानगरपालिका से कोई इजाजत ली है, न ही उसका नक्शा पास करवाया है, न ही उसका आरसीसी कंसल्टेंट है, न ही वह इमारत का भूकंपरोधी होने को लेकर कोई सावधानी बरती गई है। म्हाडा से भी इसके लिए जरूरी इजाजत हासिल नहीं की है।
कौन है शाहिद कुरैशी उर्फ छोटा शाहिद
सूत्रों के मुताबिक इस इमारत के निर्माण में छोटा शकील के साले शाहिद कुरैशी उर्फ छोटा शाहिद का हाथ है। वह इस इमारत को बनाने में निवेश कर रहा है। वह नलबाजार में रहता है। कहा जाता है कि वह अब तक दक्षिण मुंबई इलाके में ही कम से कम 70 अवैध इमारतें तामीर करवा चुका है। उसे लोड बियरिंग की इमारतें बनाने में महारत हासिल है। वह दो से तीन महीने में ही एक इमारत बना देता है और मोटी कमाई करता है।
अवैध इमारत का अर्थशास्त्र
हमें मिली सूचनाओं के मुताबिक अब तक कुल 4 करोड़ रुपए तो खर्च भी हो चुके हैं। यह खर्च असल में इमारत के निर्माण से लेकर मनपा, म्हाडा, पुलिस, फर्जी पत्रकारों, नकली आरटीआई एक्टिविस्ट, हफ्ताखोर किस्म के शिकायतकर्ताओं को मुंह बंद रखने की कीमत है। यह इमारत बड़े आराम से कुल 20 करोड़ रुपए तक में बिक जाएगी और इस तरह से अवैध इमारत बनाने वाले महज 3 माह के छोटे से वक्फे में कुल 15 करोड़ रुपए की मोटी कमाई करेंगे।
एक मुखबिर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यहां पर जो अवैध या लोड बीयरिंग की इमारतें बनती हैं, उसके लिए सी वॉर्ड के अधिकारियों को प्रति वर्ग फुट 2,000 से 3,000 रुपए बतौर रिश्वत दी जाती है। इसमें वॉर्ड के तमाम अधिकारियों का हिस्सा होता है।
यह मुखबिर बताता है कि इसी तरह म्हाडा अधिकारियों को 1,500 रुपए प्रति वर्ग फुट के हिसाब से रिश्वत दी जाती है। पुलिस को हर हर इमारत के निर्माण के लिए एकमुश्त रकम 5 लाख रुपए दी जाती है। यह भी सुना जाता है कि फर्जी पत्रकारों, नकली आरटीआई एक्टिविस्ट, हफ्ताखोर किस्म के शिकायतकर्ताओं के मामले में मुंह देख कर तिलक करने वाली कहावत लागू होती है। उन्हें दो हजार से दो लाख रुपए तक की रकम उनकी औकात के हिसाब से दी जाती है। इस इलाके में कम से कम 600 इस तरह के फर्जी पत्रकार, नकली आरटीआई एक्टिविस्ट, हफ्ताखोर किस्म के शिकायतकर्ता हैं।
इस इमारत में निवासी फ्लैट का भाव प्रति फुट 10 हजार रुपए तो मिल ही जाएगा, जबकि दुकानों या गोदामों के लिए यही भाव लगभग 25 हजार रुपए प्रति वर्ग फुट तक मिल जाएगा।
लोड बेयरिंग पर बनी अवैध इमारत
लोहे के स्तंभों या लोड बियरिंग पर तैयार हुई इस इमारत के साथ सबसे बड़ा खतरा यह है कि यह कभी भी भूकंप से गिर सकती है। यदि इस इमारत में आग लगती है तो ये लोहे के एंगल पिघल जाएंगे और पूरी इमारत धराशाई हो जाएगी, जिससे जानो-माल का खासा नुकसान हो सकता है।
फर्जी किराएदार और म्हाडा को चूना
सूत्रों के मुताबिक इस इमारत को बड़ा करके बनाने के ललिए पास की ही एक इमारत के फोटो और दस्तावेज लगा कर यह दिखाया है कि वह तो 14 मंजिला इमारत पर ही काम कर रहे हैं। इस इमारत में फर्जी किराएदार और फ्लैट मालिक दिखाने के लिए सबसे फर्जी दस्तावेज और शपथ पत्र तैयार करवाए हैं। ये तमाम दस्तावेज लगा कर इमारत की मरम्मत के नाम पर म्हाडा से लाखों रुपे स्वीकृत करवा लिए हैं। इस तरह से म्हाडा को भी गिरोहबाज के साले ने चूना लगा दिया है।
अवैध इमारत मामले में गिरफ्तारियां
359, डंकन रोड की एक इमारत को लेकर पहले खासा हंगामा हो चुका है। जिस तरह ये पायधुनी की इमारत अवैध रुपए से लोड बियरिंग पर तैयार हो रही है, उसी तरह से डंकन रोड की यह इमारत भी बनी थी। इस इमारत का निर्माण म्हाडा के एक ठेकेदार अब्दुल्ला ने किया था। उसने म्हाडा और मनपा के अधिकारियों को रिश्वत देकर ये इमारत बनाई थी।
पता चला है कि अब्दुल्ला ने इस खेल में म्हाडा से 50 लाख रुपए बतौर पुर्ननिर्माण राशी भी हासिल कर ली थी। इस मामले में जब म्हाडा अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें हुईँ तो वरिष्ठ अधिकारियों ने पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई।
इस मामले में जब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो कुछ लोगों ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर दी। इस याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं तो पुलिस को आदेश दिया कि मामले में पुख्ता जांच करे और दोषियों को गिरफ्तार करे।
इसके बाद ही पुलिस ने अब्दुल्ला के साथ मम्मू नामक एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया। मम्मू एक सेटलर कहलाता है। वह पुलिस, म्हाडा, मनपा अधिकारियों को ‘काम करवाने के लिए तैयार करने और उनकी रकम पहुंचाने’ का खिलाड़ी माना जाता है। पिछले कई माह से वे दोनों ही आर्थर रोड जेल में बंद हैं, उन्हें जमानत भी नहीं मिल रही है।
मुंबई मित्र में 19 अक्तूबर 2015 को प्रकाशित