दहशतगर्दों की दौलत
इंडिया क्राईम डाटा डेस्क
मुंबई, 7 जून 2020
आतंकियों के पास दौलत आती कहां से है?
अपहरण, फिरौती, मानव तस्करी, हथियारों, नशा कारोबार से अथाह दौलत कमाई
‘दि रिचेस्ट डॉट कॉम’ की सूची में आईएसआईएसपहले, दूसरे व तीसरे स्थान पर अफगान तालिबान और आयरिश रिपब्लिकन आर्मी हैं
- आईएसआईएस विश्व का सबसे धनी आतंकी गिरोह है ‘फॉरेन पॉलिसी डॉट कॉम’ के मुताबिक। फिरौती व अवैध तेल कारोबार से 10 से 30 लाख डॉलर याने 61 करोड़ से 1.83 अरब रुपए रोज कमाई। आईआईएस की कुल कमाई 12 मिलियन डॉलर (लगभग 7.33 अरब रुपए) महीने है।
- तालिबान को विदेशों से मदद मिलती है, नशीले पदार्थों की तस्करी से कमाता है। सालाना आय 40 करोड़ डॉलर याने लगभग 2,400 करोड़ रुपए है।
- अल कायदा की सीआईए के मुताबिक कुछ सालों पहले तक कमाई लगभग 30 मिलियन डॉलर सालाना थी जो बढ़ कर लगभग 100 मिलियन डॉलर हुई। आमदनी का स्रोत चंदा है।
- बोको हराम फिरौती के जरिए हर साल खूब कमाता। ‘दी रिचेस्ट डॉट कॉम’ के मुताबिक बोको हराम 7वें नंबर पर। 2006 से 2011 के बीच 70 मिलियन डॉलर (4.27 अरब रुपए) कमाए
- लश्करे-तैय्यबा की सालाना कमाई 100 मिलियन डॉलर (लगभग 61 अरब रुपए) के आसपास दौलतमंद आतंकी संगठनों की सूची में 6ठें स्थान पर है। अधिकांश हिस्सा चंदे से आता है।
- हमास की कमाई 5 अरब रुपए महीना है। वॉशिंगटन इंस्टीट्यूट डॉट ओआरजी के मुताबिक हमास की सालाना कमाई 800 मिलियन डॉलर यानी तकरीबन 53 अरब रुपए है।
- रिवोल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेज ऑफ कोलंबिया (एफएआरसी) 5वें नंबर पर है। कोलंबिया में सक्रिय। मार्क्सवादी विचारों पर आधारित गुरिल्ला संगठन है। सैन्य दस्ते को जनसेना नाम दिया है। संगठन की सालाना आमदनी 100 से 350 मिलियन डॉलर है। ‘दी रिचेस्ट डॉट कॉम’ की सूची में 5वें पायदान पर है। आमदनी का मुख्य स्रोत फिरौती व नशे की तस्करी।
- अल-शबाब सोमालिया का आतंकी गिरोह है, सालाना आय 600 करोड़ रुपए है। आय का मुख्य जरिया फिरौती, अपहरण, अवैध कारोबार, तस्करी, उगाही, विदेशों से मिलने वाली आर्थिक व लूटपाट है।