3 लाख करोड़ का कर्ज पैकेज छोटे-मझोले उद्योंगों को कर्ज की गर्त में डाल देगा
यह तीन लाख करोड़ के MSME को लोन गारंटी योजना पैकेज सरकारी विभाग, PSU, तथा निजी छेत्र के बड़े उद्योगों के लिए MSME का गला घोंट कर संजीवनी देना है।
इस कदम से MSME के ऊपर कर्ज का बोझ बढ़ेगा व देश के भ्रस्टाचार व करप्शन अपने चरम पर होगा।
लॉकडाउन के कारण MSME पर पड़ने वाले अतरिक्त मासिक बोझ की गणना कुछ इस तरह है-
- ब्याज 1%
- लेबर पेमेंट 1%
- मिनिमम बिजली बिल 1%
- किराया, सरकारी फीस,पानी का बिल, प्रोफेसनल फीस व अन्य दीगर खर्च 1%
- करीब 4% प्रति माह का खर्च का बोझ MSME पर बिना उत्पादन के लॉकडाउन के कारण बढ़ा है ।
क्या हो?
सरकारी विभाग, PSU के साथ-साथ निजी क्षेत्र के बडे उद्योग (सभी लिस्टेड कंपनियां) MSME को समय पर भुगतान क्यों नहीं करतीं जबकि बैंक उन्हें लोन देने के लिये तत्पर दिखाई देते हैं।
आज भी MSME तथा कॉट्रेक्टरों, वेंडरों व सप्लायरों के ड्यू पेमेंट इन उद्योंगों पर तकरीबन ₹20 लाख करोड़ बकाया है।
इन सभी को 15 दिन की समय सीमा में तत्काल पेमेंट रिलीज करने के सरकारी आदेश देने की बजाय, सभी MSME को पुनः कर्ज के नए बोझ की ओर धकेलने की पुरजोर कोशिश की जा रही। सरकार देय पेमेंट के एवज में बैंको को गारंटी देगी। क्या इस संकट की घड़ी में यह उचित कदम है?
सरकार यदि MSME को उपरोक्त सभी उदयोग से केवल बकाया पेमेंट, जो पहले ही भुगतान हो जाना चाहिए था, करवा देती है, तो MSME को किसी अतरिक्त कर्जे की जरूरत नहीं है।
यह अतिरिक्त कर्जे की गारंटी केवल सरकार लॉकडाउन के कारण बेवज़ह MSME पर आए बोझ से सरकार के राजस्व पर कोई विपरीत असर न पड़े इसलिये दे रही है।
अतः MSME को उसका due पेमेंट तत्काल दिलाया जावे वार्ना इस अतरिक्त कर्ज़ के बोझ के तले दबकर MSME का बीमार होकर दम तोड़ना निश्चित है ।
– विजय गोयल
आर्थिक मामलों के जानकार, रायपुर