शैतान का मासूम कारनामा
नन्हे हामिद को बाज़ार में शैतान मिल गया।
हामिद ने कहा, “तुम बहुत बुरे हो दुनिया में फ़साद फैलाते हो…”
शैतान हौले से मुस्कुराया बोला, “लोगों ने मुझे बदनाम कर रखा है, करते ये हैं इल्ज़ाम मुझ ग़रीब पे डालते हैं, आओ दिखाता हूं…”
शैतान ने सामने हलवाई की दूकान में रखी कढ़ाई से चुटकी पे चाशनी ले कर दीवार पर लगा दी।
चाशनी पर एक मक्खी आ कर बैठी, एक छिपकली उसपर लपकी, कोने में बैठी बिल्ली उस पर झपटी, उसे देख टेबल के नीचे बैठे कुत्ते ने उस पर छलांग लगा दी।
टेबल उलटी, बिल्ली उछल कर भागी, कुत्ता पीछे दौड़ा, हलवाई की कढ़ाई पलटी और देखते देखते हलवाई की दुकान तहस-नहस।
हामिद ने आंखें फाड़े शैतान को देखा।
शैतान ने बड़ी मासूमियत से कहा, “देखा मैं तो बेचारी मक्खी को शीरा चटा रहा था…”
नन्हा हामिद अब तक हैरान है कि शैतान की इस भलाई को क्या नाम दे?
– डॉ. एम. शहबाज
व्यंग्य लेखक एवं कार्टूनिस्ट