रेसकोर्स की अवैध सट्टेबाजी जोरों पर पुलिस की नाक के नीचे
विवेक अग्रवाल
मुंबई, 26 दिसंबर 2018
- रेसकोर्स पर पुलिस छापामारी के बावजूद जारी है सट्टा
- बाहर चल रहा है करोड़ों का सट्टा
- पुलिस कर्रवाई पर उठे सवाल
- टैक्स चोरी मामले में जीएसटी-आईटी साथ क्यों नहीं
मुंबई रेसकोर्स पर लाईसेंसधारी बुकियों पर छापामारी के बावजूद कुछ अवैध बुकी धड़ल्ले से रेसकोर्स के बाहर बैठ कर घोड़ों की दौड़ का सट्टा लगा रहे हैं। इसके कारण न केवल क्लब को बल्कि सरकारी खजाने को भी हर दिन मोटी रकम की चपत लग रही है। दूसरी तरफ कुछ बुकियों के सहयोगियों ने सवाल खड़ा किया है कि जब पुलिस की मंशा टैक्स चोरी रोकने की थी तो जीएसटी और आयकर विभाग को साथ लेकर ये छापामारी क्यों नहीं की?
बाहर जारी गोरखधंधा
इस छापामारी इतना ही नहीं अवैध घुड़दौड़ बुकियों को सबसे अधिक फायदा हो रहा है। जो रकम अभी तक रिंग में लग रही थी, उसका बड़ा हिस्सा अब फोन से इन अवैध बुकियों के पास लगने लगा है।
एक सूत्र का कहना है कि राहुल नामक एक बुकी प्रेम चेंबूर नाम से बुक चलाता है, जिसके नाम पर मोटी रकम हर रेस पर लगती है।
इसके अलावा किशन का अवैध सट्टा किशन बोरीवली नाम से, आनंद का माईकल और प्रशांत का अवैध रेस सट्टा बुक रितिक नाम से चलते हैं। ये तीनों बड़े पैमाने पर पंटरों से रेस का सट्टा करते आ रहे हैं।
पुलिस की इस कार्रवाई से भले ही सरकार को लंबे समय में फायदा होगा लेकिन क्लब को बड़े पैमाने पर नुकसान होना तय है। रेसकोर्स पर पुलिस छापामारी के बावजूद इन सभी का सारा खेल जारी है।
टैक्स चोरी का शक
मुंबई पुलिस के जोन 3 के डीसीपी अविनाश कुमार का कहना है कि जितनी रकम बरामद हुई है उतनी तकरीबन हर दिन आरोपी रेस कोर्स वेटिंग में कमाते हैं लेकिन उस पर एक भी पैसा सरकार को बतौर टैक्स नहीं देते हैं यही कारण है कि पुलिस ने उन पर छापा मारा है
पुलिस का तो यह भी दावा है कि इस मामले में आरडब्ल्यू आई टी सी के भी कुछ अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है
पुलिस का दावा है कि बुकिंग अपनी बही खातों में बैटिंग की सही जानकारी दर्ज नहीं करते हैं और बड़ी मात्रा में टैक्स की चोरी करते हैं
पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण बात निकल कर आई है कि पुलिस कार्यवाई में जब मामला टैक्स चोरी का था तो भी पुलिस ने जीएसटी अथवा आयकर अधिकारियों को साथ लेना क्यों उचित नहीं समझा?
सवाल यह भी खड़ा हुआ है कि शनिवार तक आयकर अथवा जीएसटी अधिकारियों को इस बारे में कोई सूचना नहीं भेजी थी।
बुकी करेंगे लाईसेंस वापस!?
यह जानकारी भी मिल रही है कि तमाम बुकिंग अपने लाइसेंस वापस करने के बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
बता दें कि क्लब बुकियों से सालाना लगभग 28 करोड़ रुपए बतौर लाइसेंस फीस वसूलता है। जब पुलिस ने अचानक छापामारी की तो बौखलाए बुकिंयों ने क्लब की मैनेजिंग कमेटी से बात की। मैनेजिंग कमेटी ने हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने बुकियों से कहा कि इस मुसीबत से उन्हें खुद ही निपटना होगा।
कहा जा रहा है कि मैनेजिंग कमेटी के इस रवैय्ये से बुकी बुरी तरह नाराज हो उठे। उनके बीच लाइसेंस वापस कर विरोध दर्ज करवाने की बातें भी उठीं। यह पता नहीं चल पाया है कि फिलहाल उनका रुख क्या है।
रेसकोर्स का अर्थशास्त्र
एक पंटर के मुताबिक मुंबई रेसकोर्स में, नवंबर से अप्रैल माह के अंत तक कुल 45 दिन रेस होती है। इसी क्लब में आने वाले पुणे रेसकोर्स में जुलाई से अक्तूबर तक 26 दिन रेस होती है। इस तरह पुणे-मुंबई रेसकोर्स में कुल 70 रेस होती हैं।
यह पंटर बताता है कि बुकियों को एक दिन का स्टाल किराया 55 हजार रुपए देना होता है। 25 बुकी पुणे और 21 बुकी मुंबई में हैं।
इन 46 बुकियों के जरिए स्टॉल के किराए में ही क्लब को 25.30 लाख रुपए की कमाई हर दिन होती है।
कुल 70 रेस के लिए ही 17.71 करोड़ सालाना की कमाई हो जाती है। अन्य रेसकोर्स में होने वाली रेस के लिए भी स्टॉल पर बैठने वाले बुकियों से किराए के लगभग 10 करोड़ रुपए क्लब को हासिल होते हैं।
रिंग में मोबाईल ले जाने वाले बुकियों से हर दिन का किराया सात हजार रुपए और 300 रुपए प्रति दिन एक पंटर से वसूले जाते हैं। इसकी ही 7 से 8 करोड़ रुपए मोबाईल की कमाई क्लब को होती है।
सेटलिंग का क्या हुआ?
अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने लैपटॉप और बुकियों के बही-खाते जब्त कर लिए हैं, जिसके कारण सोमवार को सेटलिंग नहीं हो पाई। सेटलिंग न होने से बूटियों और पंटरों के बीच घमासान मचने की पूरी संभावना है।
टोड के पास लगे दांव
एक सूत्र ने बताया कि आगामी कुछ दिनों तक रिंग में किसी स्टॉल पर पर्चियां नहीं कटेंगी यानी दाव नहीं लगेंगें। इसका मतलब यह है कि पंटरों को क्लब टोड के पास दांव लगाने होंगे।
एक पंटर के माताबिक टोड के पास छोटी रकम के ही दांव लगाए जाते हैं। पंटरों को टोड के पास दांव लगाने के बाद जीत हासिल होने पर रकम कम मिलती है। इस पंटर के मुताबिक टोड के पास यदि 100 रुपए दांव लगाएं तो 35 रुपए कट जाते हैं। बावजूद मजबूरी है कि पंटर टोट के पास ही दांव लगाएंगे।
रविवार को रहा सन्नाटा
रविवार को सवा बजे दोपहर से हैदराबाद और दोपहर दो बजे से मुंबई में रेस हुईं। भले ही रिंग में इस दिन सन्नाटा पसरा रहा, लेकिन बाहर बड़े पैमाने पर अवैध बुकिंओं ने चांदी काटी। इस दिन पसरे सन्नाटे की एक्सक्लूसिव तस्वीर भी इंडिया क्राइम ने हासिल की है।
क्या है कारण?
पुलिस छापामारी पर कुछ अलग-अलग बातें सुनाई दे रही हैं।
एक सूत्र के मुताबिक पिछले दिनों अरुण गवली गिरोह के जिन सदस्यों ने बुकियों से हफ्तावसूली करनी चाही थी, और अपराध शाखा अधिकारियों ने यह कोशिश नाकाम कर दी थी, उन्होंने ही किसी जरिए से पुलिस को सूचना देकर बूकियों को सबक सिखाया है।
एक अंदरूनी सूत्र के मुताबिक क्लब पदाधिकारियों और बुकियों में पिछले कुछ समय से तनातनी और मनमुटाव बना हुआ है। उसी का नतीजा छापे के रूप में सामने आया है। यह सूत्र नाम ना छापने की शर्त पर बताता है कि क्लब पदाधिकारियों और बुकियों के बीच जो समस्या थी, उससे एक विशेष बुकी के बदले सभी बुकियों को निशाना बना दिया। इस रस्साकशी का दूरगामी परिणाम निकलेगा।
डर्बी पर पड़ेगा असर
एक सूत्र के मुताबिक फरवरी 2019 में मुंबई रेसकोर्स में डर्बी होनी है। यह रेस बहुत महत्वपूर्ण होती है। डर्बी में बड़े पैमाने पर मोटी रकम के दांव लगते हैं। सैकड़ों करोड़ रुपए डर्बी में दांव पर आते हैं।
यदि अचानक तमाम बुकी डर्बी के पहले ही लाइसेंस क्लब को वापस कर देंगे, तो यह बड़ा कमाई का मौका क्लब के लिए मुसीबत का बायस बन सकता है।
कैसे हुई छापमारी
मुंबई पुलिस का यह विशेष दस्ता न केवल रिंग में सादे कपड़ों में काफी देर तक तमाम स्टॉल की निगरानी करता रहा बल्कि कुछ ने उनके पास बेटिंग भी की ताकि वे पर्चियां जमा कर सकें, जिन पर कोडवर्ड में रकम और घोड़ों के बारे में लिखा होता है।
नहीं मिली जमानत
मुंबई पुलिस ने महालक्ष्मी रेस कोर्स के बुकिंग पर आईपीसी की धारा 420 और 34 लगाई है। इसके अलावा गैंबलिंग एक्ट की धारा 3 और 4 और 12 लगाई है। साथ ही मुंबई रेसकोर्स लाइसेंसिंग एक्ट की धारा 7 लगाई है।
18 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया। उन्हें अवकाशकालीन अदालत के सामने ताड़देव पुलिस ने पेश किया और 14 दिन की पुलिस हिरासत मांगी। अदालत ने सरकारी वकील और बचाव पक्ष के वकील को सुनने के बाद सभी आरोपियों को सिर्फ 2 दिन की पुलिस हिरासत में दिया।
बता दें कि पुलिस ने कुल 35 लोगों को हिरासत में लिया था लेकिन उनमें से कुल 18 की गिरफ्तारी दिखाई। 1.4 करोड़ रुपए नगद और 9 लैपटॉप की बरामदगी स्टॉल से दिखाई है।
इस छापामारी के लिए 70 पुलिसकर्मी और 20 इंस्पेक्टर नागपाड़ा, भायखला, वर्ली और आग्रीपाड़ा पुलिस थानों से डीसीपी कुमार ने बुलाए थे।
आरोपियों के नाम
बता दें कि पुलिस ने तकरीबन 130 लोगों को हिरासत में लिया था, जिसमें से अधिकांश को पूछताछ और बयान दर्ज करने के बाद शनिवार की सुबह छोड़ दिया था।
गिरफ्तार लोगों के नाम मर्जावान मेहता, अब्बास बेग, रजनीश सिंह, शेखर पवार, पौरूष ईरानी, नीतेश ठक्कर, राहुल धनेगा, अशोक राठौड़, मिलन गांधी, हाकिम खान, जयसिंह कंकाल, घनश्याम दक्षिणी, किशन मोटवानी, प्रदीप साहू, संजय कोटेचा, केतन गांधी, आनंद यादव और राजकुमार अरोरा हैं।