खेल खल्लास: अनवर गनी शेख उर्फ मामा : एबी कंपनी का ‘कल्लू मामा’
अंडरवर्ल्ड में रक्तपात सदा चलता है। अनवर भी इसका हिस्सा था। वह अली बुदेश गिरोह का मैनेजर था ही, खुद भी मैटर बजाने सड़कों पर उतरता था। साथी क्यों उसे ‘मामा’ कहते थे, कैसे काले संसार का हिस्सा बना, पूरी दास्तां अजब है।
अली बुदेश गिरोह के लिए सुपारी हत्याएं, हफ्तावसूली, अपहरण करने में माहिर अनवर दर्जन भर गुंडों के साथ सालों तक रक्त की होली खेलता रहा। उसका काम था डर परोसना – डर बेचना।
अनवर और उसके दोस्तों ने बड़े चाव से ‘सत्या’ फिल्म देखी। सबको लगा कि सत्या के ‘मामा’ जैसा एक ‘मैनेजर’ उनके साथ भी है। उसी तरह काम करता है। बस, वे भी अनवर को ‘मामा’ कहने लगे। अनवर साथियों को ‘मामा’ की तरह भाषण भी पेलने लगा। वो कहता था, ‘जो भी बनाएगा, खुद का काम बनाएगा।’
पूर्व डीजीपी डी. शिवानंदन के मुताबिक अनवर मानता न था कि वह बुदेश गिरोह से है। उन्हें याद आया कि अनवर का एक दांत नकली है। जब अनवर के नकली दांत निकलवाए, तो वह टूट गया। अब तो अनवर दनादन सच उगलने लगा।
22 दिसंबर 2001 को अपराध शाखा के दस्ते ने अंधेरी (प) में नवरंग टॉकीज के पास देर रात अनवर को सदा के लिए सुला दिया। इसके लिए उसे एक गोली दी, जो पीतल- जस्ते से बनी थी। गुंडों का इलाज मुंबई पुलिस इसी गोली से करती है। हर गोली का हिसाब जानने के लिए पढ़ें – खेल खल्लास।