उज्जैनवासियों को क्यों मिल रही है “काले पानी” की सजा?
निरुक्त भार्गव, वरिष्ठ पत्रकार, उज्जैन जैसे काले-काले बादल हर दिन आसमान पर मंडराते रहते हैं लेकिन बरसते नहीं, लगता है
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Read Moreनिरुक्त भार्गव, वरिष्ठ पत्रकार, उज्जैन हमारे घर में बड़े भाइयों को ‘दादा’ कहने की परंपरा है. एक से अधिक ज्येष्ठ
Read Moreनिरुक्त भार्गव, वरिष्ठ पत्रकार, उज्जैन आंकड़ों की बाजीगरी में जो मंत्रालय सबसे अहम् माने जाते हैं उन सभी के काबीना
Read Moreनिरुक्त भार्गव, वरिष्ठ पत्रकार, उज्जैन जैसे इन दिनों देश में किस्म~किस्म के आमों की बहार है, वैसे ही उज्जैन में
Read Moreनिरुक्त भार्गव, वरिष्ठ पत्रकार, उज्जैन एक बहुसंख्यक आबादी कोई 50 दिनों से घरों में नज़रबंदी की शिकार बनी बैठी है!
Read Moreनिरुक्त भार्गव, वरिष्ठ पत्रकार, उज्जैन महाकालजी कि कृपा से मैंने भी अपनी जीवन यात्रा के 50 बसंत देख लिए हैं,
Read Moreनिरुक्त भार्गव, वरिष्ठ पत्रकार, उज्जैन मुख्यमंत्रीजी से सखेद निवेदन है कि वो मध्य प्रदेश में अपने मातहत मंत्रियों और सरकारी
Read Moreनिरुक्त भार्गव, वरिष्ठ पत्रकार, उज्जैन उज्जैन में सोमवार को जब जिला आपदा प्रबंध समिति की बैठक हुई और उसका आधिकारिक
Read Moreनिरुक्त भार्गव, वरिष्ठ पत्रकार, उज्जैन ऐसे समय जब कोरोना महादैत्य का संक्रमण और सूर्य देवता की तपिश लगातार परवान चढ़
Read Moreअसलम को टेंशन मे देख के मैं बोला, “बंटा आज पूरा मुलुक जशन मनारेला है, और तू टेंशन मे चलरेला
Read Moreये सब नकली हैं, किसी खुदग़र्ज़ की खुदग़र्ज़ी ने इन्हें बनाये हैं, इसे अमृत वर्षा समझ कर आप जो इसमें
Read Moreवीरान हवेली की दो महीने में शूटिंग पूरी हो गई। अगले छह महीनों में एडिटिंग भी पूरी हो गई। फिल्म
Read Moreहाईवे पर पहुंचने के बाद संजय ने मुस्कुरा कर आगे बैठे टोनी पर नजर डाली, “क्या हाल है रौनक भाई…
Read Moreरज्जू भैया से आज फिर राजा भाई की बातें चल रही है। मुद्दा है वही कि कौन चुनाव जीतेगा –
Read Moreदेव कुमार अब डायरेक्टर हो गया। रहा वही मीठा और चीठा। सारे जहान को सेट पर बुला-बुला कर दिखाने लगा
Read More“मंझा सूंतने से क्या मतलब…” “मंझा किस काम का… निठल्लों का काम है पतंग उड़ाना… जब-तब मंझा उनके ही हाथ
Read More“हो रे बाबा, ये पटकन।” बाबू भाई ने शांत भाव से दांत कुरेदते हुए फोन रखा। कुर्सी से उठ कर
Read Moreलॉकडाऊन की बातें याद बनकर रह जाएंगीएक समय के बाद ये कहानियां बन जाएंगी कभी भी खाना और कभी भी
Read More“कोई काम हो तो दीजिए…” बाबू भाई ने मरी आवाज में कहा। “क्या कर सकते हैं…” गुप्ताजी सीधे मुद्दे पर
Read Moreरस्ते भर रो–रोकर पूछा हमसे पांव के छालों ने बस्ती कितनी दूर बसा ली दिल में बसने वालों ने यह
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