NSCI Scam Game: नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया में 58 करोड़ घोटाले के आरोप: मुंबई पुलिस की जांच जारी
इंडिया क्राईम संवाददाता
मुंबई, 23 मार्च 2023
नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया, जो वर्ली क्लब के नाम से भी मशहूर है, भारत का सबसे अमीर क्लब माना जाता है। देश के सबसे बड़े खेल प्रशाल और 5,000 लोगों के बैठने की क्षमता वाले सरदार वल्लभभाई पटेल इंडोर स्टेडियम का मैजबान है। अब अलग ही खेल के लिए नाम कमा रहा है।
58 करोड़ के घोटाले का आरोप
ईओडब्ल्यू ने नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया के पूर्व पदाधिकारियों द्वारा 58 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की जांच मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा की जा रही है। आरोप है कि क्लब के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व सचिव, तीन इंटीरियर डिजाइनरों के खिलाफ बढ़ा-चढ़ा कर कोटेशन, फर्जी बिल, फर्जी तरीके से निविदाएं जारी की थीं।
नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया (NSCI) ने अपने पूर्व अध्यक्ष, पूर्व सचिव और ठेकेदारों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। एफआईआर के मुताबिक क्लब को कथित तौर पर लगभग 58 करोड़ रुपये का चूना लगाया है।
एफआईआर में आरोप
क्लब के सदस्य अश्विन खुराना ने एक शिकायत मुंबई पुलिस के ताड़देव थाने में दर्ज करवाई थी। इस एफआईआर के अनुसार NSCI के संयुक्त सीईओ व पूर्व अध्यक्ष जयंतीलाल शाह और पूर्व सचिव राकेश मल्होत्रा पर 2013 से 2018 तक धोखाधड़ी का संदेह है।
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, आपराधिक साजिश, सामान्य इरादे और जालसाजी से संबंधित भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
दो साल से जांच जारी
पता चला है कि केपीएमजी इंटरनेशनल के ऑडिट के बाद 11 दिसंबर 2020 को एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें खुलासा हुआ था कि क्लब की पिछली समिति ने फर्जी बिल बनाए, बढ़े हुए कोटेशन को मंजूरी दी, कुछ खास ठेकेदारों को ठेके दिए और फर्जी तरीके से निविदाएं जारी कीं।
एनएससीआई के सदस्यों को फंड से संबंधित गड़बड़ी का संदेह था। इस बारे में सदस्यों ने क्षेत्रीय समिति के अध्यक्ष कमलेश तलरेजा को लिखा था। इसके बाद केपीएमजी को 1 अप्रैल 2013 से 32 मार्च 2018 तक क्लब के खाते का ऑडिट करने के लिए नियुक्त किया।
एफआईआर में जयंतीलाल शाह, जो आठ साल तक अध्यक्ष रहे, राकेश मल्होत्रा, जो 12 साल तक सचिव रहे और राकेश वंजानी, भीष्म शाजवानी और सेबस्टियन पॉल, सभी इंटीरियर डिजाइनर के नाम हैं।
फोरेंसिक ऑडिट की रपट
इन आरोपों की पुष्टि के लिए नई समिती ने फोरेंसिक ऑडिटर नियुक्त किया। पुरान समिति के कार्यकाल के खातों की जांच करने के लिए अनुरोध किया। यही बात एफआईआर में भी लिखी गई है।
ऑडिट रिपोर्ट में कहा है कि न केवल तीन ठेकेदारों, राकेश वंजानी, भीष्म सहजवानी और सेबेस्टियन पॉल, समेत तमाम इंटीरियर डिजाइनरों को बढ़ी हुई दरों पर काम दिया, बल्कि बार-बार इन्हीं लोगों ठेके भी दिए। आरोप तो है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि पसंदीदा ठेकेदार हर बार जीते, अन्य कंपनियों से नकली उच्च कोटेशन निविदाएं डाली जाती थीं।
खुराना की शिकायत के मुताबिक कई मौकों पर, इंटीरियर डिजाइनरों को अनुबंधों में निर्धारित रकम से अधिक भुगतान किया है। इसे छुपाने के लिए क्लब रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई। रपट के मुताबिक पिछले प्रबंधन ने 14 लोगों को सदस्यता देने से एनएससीआई को भारी नुकसान हुआ, जो न मानदंड पूरा करते थे, न इसके लिए प्रवेश शुल्क 50 लाख रुपए का भुगतान किया था।
पता चला है कि क्लब में अनियमितताओं के कारण 500 से अधिक सदस्यों ने फोरेंसिक ऑडिट के लिए हस्ताक्षर किए। पिछले प्रबंधन ने केपीएमजी को 2012 के ऑडिट के लिए नियुक्त किया।
यह भी आरोप लगे कि तत्कालीन अध्यक्ष और सचिव ने रिपोर्ट दबाने का भरपूर प्रयास किया। मौजूदा प्रबंधन ने आखिरकार ईओडब्ल्यू से शिकायत की। हमें उम्मीद है कि जिम्मेदार लोगों को सजा मिलेगी।
रपट के मुताबिक रेस्तरां और बार जैसी व्यावसायिक गतिविधियों और सरदार वल्लभभाई पटेल इंडोर स्टेडियम आदि में विभिन्न कार्यों से संबंधित निविदाओं में गड़बड़ी मिली थीं।
आरोपों का खंडन
आठ साल तक बतौर क्लब अध्यक्ष काम कर चुके जयंती लाल शाह आरोपों का खंडन पहले भी कई बार मीडिया में कर चुके हैं।
उनका दावा है कि मौजूदा प्रबंधन सदस्यों समेत पूरी प्रबंध समिति तमाम निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में शामिल थी।
उनका यह भी कहा था कि एक-दो व्यक्तियों के खिलाफ शिकायत कैसे हो सकती है, जब समिति के तमाम सदस्य फैसलों में शामिल हैं। किसी ने मुझे बदनाम करने के लिए गलत सूचनाएं दी हैं।
राकेश मल्होत्रा 12 वर्षों तक क्लब के सचिव रहै हैं। उन्होंने प्राथमिकी को घटिया राजनीति का परिणाम बताया था। उनके मुताबिक तमाम निर्णय प्रबंध समिति की सहमति से हुए थे, किसी एक व्यक्ति की सनक में नहीं थे। अदालत नियुक्त प्रशासक सभी अनुबंधों की निगरानी करता था। ये आरोप निराधार हैं।
ठेकेदार राजेश वंजानी ने कहा कि पूर्व और वर्तमान प्रबंध समितियों की लड़ाई में उनके समेत तमाम ठेकेदारों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। हमने जो काम किया, उस पर निगरानी थी, तय शर्तों पर काम किया है। हमने पुलिस में बयान दे दिए हैं, जांच में सहयोग किया है।
ठेकेदार भीष्म सहजवानी भी आरोपों को झूठा करार दिया। उन्होंने ऑडिट रिपोर्ट का सत्यापन करने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि हमने कुछ गलत नहीं किया। प्रशासक ने सभी कामों को मंजूरी दी, सत्यापन के बाद बिल पास हुए, अपनी प्रामाणिकता मैं साबित कर सकता हूं।
पुलिस कथन
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक इस हेराफेरी से क्लब को 58 करोड़ रुपये का नुकसान होने का संदेह है। हम ऑडिट रिपोर्ट का परीक्षण कर रहे हैं। आरोपों की पुष्टि की जा रही है।
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