Mumbai Mafia: दाऊद ने गोलियों से छलनी करवाया आजमी बेकरी वाले खालिद भाई को
इंद्रजीत गुप्ता
मुंबई, 04 मार्च 2023।
दाऊद इब्राहिम ने आज़मी बेकरी के मालिक खालिद भाई को भी गोली से उड़ा दिया था। उनकी रंजिश की कहानी बहुत अलबेली सी है।
एयरपोर्ट पर स्थित आज़मी बेकरी के मालिक खालिद भाई दाऊद ने को डोंगरी में खोजा खान कब्रिस्तान के सामने गोलियों से छलनी करवा दिया था।
खोजा खान कब्रिस्तान के पास ही एक इमारत की चौथी मंजिल पर खालिद भाई रहते थे। उनके पास लाइसेंसी पिस्तौल भी थी। इत्तेफाक ऐसा हुआ कि जब उन पर हमला हुआ, उस दिन वे पिस्तौल लेकर नीचे नहीं उतरे थे। वह शुक्रवार का दिन था। खालिद भाई नमाज पढ़ने मस्जिद जा रहे थे, जिसके कारण उन्होंने पिस्तौल नहीं रखी थी।
उनकी निगरानी दाऊद गिरोह के चार गुंडे तीन दिनों से चुपचाप चौबीसों घंटे कर रहे थे। इमारत के नीचे ही बाइक धोने का गैरेज था। वे चारों यहीं सुबह से आकर बैठ जाते थे। वे देखते रहते कि खालिद भाई कब आते-जाते हैं। वे भी नीचे ही अपनी गाड़ी धुलवाते थे।
उस दिन आखिरकार शूटरों को मौका मिल गया। उन्होंने खालिद भाई को 13 गोली मार दीं। वे संभल भी न सके कि गोलियों ने उनके जिस्म को छेद कर धर दिया। खालिद भाई की मौके पर ही मौत हो गई।
खालिद की पत्नी ऊपर बालकनी से ये नजारा देख रही थी। वह तुरंत चीखते हुए अपने बेटे से बोली कि पिस्तौल लेकर जा और अब्बू को दे। जब तक बेटा पिस्तौल लेकर नीचे आता, तब तक तो चारों हमलावर डोंगरी के चार नल होते हुए गोदी की तरफ भाग निकले।
उनकी हत्या का कारण भी अजीब था। खालिद भाई बेकरी एसोसिएशन के अध्यक्ष थे। अध्यक्ष बनने के बाद खालिद भाई ने सभी बेकरी वालों से बैठक की। उन्होंने इस बैठक में मुद्दा उठाया कि जिस कंपनी से हम आटा और मैदा खरीदते हैं, उसने भाव बहुत अधिक कर दिए हैं। अब हम इस कंपनी से आटा नहीं लेंगे बल्कि खुद का आटा बनाएंगे। एसोसिएशन के सभी बेकरी मालिकों को यह सुझाव पसंद आया क्योंकि अपना आटा बनवाने से उनका मुनाफा काफी बढ़ जाता।
बस अब क्या था, खालिद भाई सभी बेकरियों के लिए अपना ही आटा पिसवाने लगे। यह आटा सभी बकरियों में पहुंचने भी लगा।
इस धंधे में खालिद भाई को भी अच्छा मुनाफा होने लगे। आटा कंपनी को इससे भारी नुकसान होने लगा। कंपनी मालिक ने खालिद भाई से समझौता किया और माल फिर बेकरियों को पहुंचाने लगा।
खालिद भाई हर महीने इस कंपनी से सात लाख रुपए वसूलने लगे, जिससे कंपनी को घाटा होने लगा। कंपनी मालिक ने खालिद भाई को रास्ते से हटाने के लिए दाऊद इब्राहिम का सहारा लिया। उसने खालिद भाई की सुपारी डी-कंपनी को दे दी।
डी-कंपनी ने खालिद भाई को इस कंपनी के कहने पर रास्ते से हटाने के लिए कुल 13 गोलियां मारी थीं। जब यह गोलीबारी चल रही थी, सारा नजारा एक और इंसान ले रहा था। वह था दाऊद का खास सिपहसालार छोटा शकील। वह सड़क की दूसरी तरफ एक कार के अंदर बैठा था।
खालिद भाई पर हमले के एक चश्मदीद बताते हैं कि हमलावरों की गोलियां खालिद भाई अपने हाथों से रोक रहे थे। बेचारे जानते थे कि ये गोलियां उनके हाथों से रोके नहीं रुकने वाली हैं लेकिन करते भी तो क्या!
खालिद भाई की तत्कालीन पुलिस आयुक्त से बड़ी अच्छी दोस्ती थी। खालिद भाई का नाम डोंगरी में हो चला था। खालिद भाई की दाऊद के आदमियों से अक्सर झड़प हो जाती थी इसलिए दाऊद पहले से ही खालिद भाई से नाराज चल रहा था।
खालिद भाई को को उन्होंने ही पिस्तौल का लाईसेंस बी दिलवा दिया था। इससे भी दाऊद के मन में खालिद बाई के लिए काफी नाराजगी थी। इतना ही नहीं खालिद भाई ने शिवसेना पार्टी भी ज्वाइन कर ली थी। यह बात भी दाऊद को नागवार गुजरी कि एक कट्टर हिंदूवादी राजनीतिक दल में एक मुसलमान ने क्यों सदस्यता ली है। खालिद भाई ने महज शिवसेना ही नहीं तमाम दलों के नेताओं से गहरी जान-पहचान और उठना-बैठना कर लिया था।
खालिद भाई के चार हमलावरों में से दो तो पुलिस की गिरफ्त में आ गए। उनसे यह पता चला कि आटा कंपनी से खालिद भाई सात लाख रुपए हर महीना कमीशन लेते थे। जिससे आटा कंपनी मालिक नाराज हो गया और दाऊद इब्राहिम को उन्हें मारने की सुपारी दी थी।
तत्कालीन थाना प्रभारी खान के मुताबिक खालिद भाई के शिवसेना में जाने से दाऊद और छोटा शकील नाराज थे। खालिद भाई को दाऊद ने छोटा शकील से कह कर हत्या करवाई थी। हत्या के वक्त छोटा शकील के साथ गाड़ी में उसका करीबी रिश्तेदार भी बैठा था।
इस करीबी रिश्तेदार ने ही खालिद पर हत्या के दो दिन पहले ही अपन एक खास दोस्त को फोन करके इस बारे में बताया था। उसने कहा था कि हम लोग खालिद भाई को जान से मारने वाले हैं। तेरा उनसे कुछ रिश्ता हो, तो बता दे, हम लोग उसे छोड़ देंगे। नहीं तो खालिद भाई की उड़ाने की सुपारी मिल चुकि है।