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वरिष्ठ पत्रकार विवेक अग्रवाल और इंद्रजीत गुप्ता की पुस्तक ‘मस्तान’ का विमोचन

मुंबई, 20 मार्च 2025

प्रेस क्लब मुंबई के ग्लास हाऊस में वरिष्ठ पत्रकार विवेक अग्रवाल और इंद्रजीत गुप्ता की लिखी पुस्तक ‘मस्तान’ का विमोचन विख्यात फिल्म निर्देशक व लेखक अपूर्व लखिया के हाथों हुआ। इस अवसर पर व्यासपीठ पर  वरिष्ठ पत्रकार हमीद सईद, फिल्मकार, गीतकार, संगीतकार, निर्देशक, लेखक पवन कुमार, वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश तिवारी मौजूद थे। मस्तान का डिजिटल विमोचन भी हुआ।

वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश तिवारी ने लेखकद्वय का परिचय दिया। अखिलेश तिवारी ने बताया कि लेखक विवेक अग्रवाल तीन दशक से अधिक समय तक पत्रकारिता में सक्रिय रहे है। 1992 में मुंबई के सीरियल ब्लास्ट कवर और भी तमाम कई एक्सक्लूसिव खबरें ब्रेक की हैं। अग्रवाल ने अब तक 35 किताबें लिखी हैं।

इस किताब के सह-लेखक इंद्रजीत गुप्ता ने विगत दो दशकों से मुंबई के पत्रकारिता जगत में सक्रिय हैं। इंडिया टीवी, मी मराठी, CNEB न्यूज, न्यूज एक्सप्रेस में काम कर चुके है। इस दौरान गुप्ता ने क्राइम जगत की कई बड़ी खबरें ब्रेक की।

इस पुस्तक में हाजी मस्तान की जीवनी है। उनके जन्म के बाद मुंबई आने से अंतिम समय तक का लगभग हर पहलू समेटा गया है। हाजी मस्तान मुंबई कब आए और किस परिस्थिति में मुंबई में रहे और किन हालातों में मस्तान से हाजी मस्तान बने, इसका पूरा विवरण किताब में है।

किताब मस्तान के लेखक विवेक अग्रवाल ने बताया कि कैसे रह उनके और इंद्रजीत गुप्ता के मन में मस्तान पर किताब लिखने का ख्याल आया। अग्रवाल ने बताया कि पहले से इच्छा थी कि हाजी मस्तान पर किताब लिखें लेकिन काफी समय तक यह सपना पूरा न हो सका। एक दिन इंद्रजीत से इस विषय पर चर्चा हुई और दोनों ने साथ मिल कर काम शुरू कर दिया। आठ महीनों के अथक परीश्रम के बाद दक्षिण मुंबई में रहने वाले हाजी मस्तान के पुराने साथियों को तलाश कर इंटरव्यू किए, अदालती दस्तावेज खंगाले, पुराने अखबार-पत्रिकाएं पलटीं, तब जाकर किताब की सामग्री जमा हुई। सबसे मिल कर तस्वीरें भी इकठ्ठा कीं। मस्तान के बारे कहावत है कि जिसने एक थप्पड़ नहीं मारा, उसने पूरे अंडरवर्ल्ड पर राज किया। अग्रवाल ने बताया कि मस्तान के खिलाफ यूसुफ पटेल की हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ, उन्हें गिरफ्तार भी किया था। ऐसी की कई जानकारियां मस्तान के बारे में इस किताब में हैं, जो पहले किसी ने नहीं सुनी हैं।

समीक्षक पवन कुमार ने किताब पर कहा कि किताब के दोनों लेखकों की कलम नहीं बंदूक है। पवन कुमार ने आगे कहा कि मस्तान जीते जी किवदंती बन गए थे। उनके कई किस्से बने और मशहूर हुए, ऐसे में जरूरी है कि एक ऐसी किताब हो, जो सत्य  सामने लाए। दोनों  लेखक बहुत साहसी हैं और किताब लिख कर चैलेंज भी दे रहे हैं कि किताब में कोई गलती हैं, तो बताएं। पवन कुमार ने कहा कि इस किताब को पढ़ कर ऐसा लगा कि सब कुछ आंखों के सामने घटित हो रहा हो।

मुख्य वक्ता हमिद सईद ने इस मौके पर कहा कि मस्तान एक शेर हमेशा कहते थे, ‘दुश्मनों ने तो दुश्मनी है, लेकिन दोस्तो ने भी क्या कमी की है…’ सईद हाजी मस्तान की बनाई पॉलिटिकल पार्टी दलित मुस्लिम एकता महासंघ के महासचिव रहे। उन्होंने बताया कि पॉलिटिकल पार्टी की पृष्ठभूमि कैसी बनी। वो ऐसा दौर था कि हर कोई मस्तान के साथ चाहता था लेकिन उनके साथ स्टेज शेयर नहीं करना चाहता था। मस्तान का साथ सभी को अंडर टेबल चाहिए था। सईद ने इस मौके पर मस्तान के साथ हुई कुछ घटनाओं का जिक्र भी किया। सईद ने कहा की दोनों लेखकों ने मस्तान को तीन भागों में प्रस्तुत किया है – तस्कर, समाजसेवी, सियासतदां।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मशहूर फिल्मकार, निर्देशक, लेखक अपूर्व लखिया ने इस मौके पर कहा कि जब विवेक अग्रवाल उनसे मिलने आए और उन्हें चीफ गेस्ट बनने का न्योता दिया, तब उन्हें एक घंटे का समय ही मिलने के लिए दिया था। जब लेकिन विवेक अग्रवाल ने उन्हें अंडरवर्ल्ड के बारे में जानकारियां सुनानी शुरू कीं, तो तीन घंटे का समय कब बीत गया पता ही नहीं चला। लखिया ने कहा कि यह हाजी मस्तान पर लिखी पहली किताब है, जिसके लिए दोनों लेखक बधाई के पात्र हैं।

कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. मुकेश गौतम ने किया। आरंभ में सोनू कनौजिया ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया तथा आयोजन के अंत में आभार प्रदर्शन विशाल सिंह ने किया।

इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार लेखक हरीश पाठक, महानगर अखबार के पूर्व संपादक एवं लेखक द्विजेंद्र तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार जीतेंद्र दिक्षित, इंद्रजीत सिंह, राजेश त्रिपाठी, शुभम पांडे, प्रशांत पांडे, अवनिंद्र आशुतोष, संजय मिश्रा, अजीत माटा, लैंड जेनेटिक्स के प्रणेता दीपक अग्रवाल, स्वर्ण कारोबारी मनीष जैन, मेटानेब्स के असलम शेख शामिल हुए।

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