केपी के कारनामे – भाग 1 – कैसे हुआ कुमार पिल्लै का प्रत्यर्पण – जानिए पूरा सच
- कुमार पिल्लै को मुंबई पुलिस लाई 27 जून की रात वापस
- कुमार पिल्लै ने लगाया बचने के लिए पूरा जोर
- पुराने फिंगरप्रिंट के कारण बच नहीं पाया केपी
- सिंगापुर हवाई अड्डे पहुंचने पर आव्रजन ने किया था गिरफ्तार
विवेक अग्रवाल
मंबई, 29 जून 2016।
मायानगरी मुंबई का बेहद खतरनाक संगठित गिरोह नाईक कंपनी के सेनापति रहे कुमार पिल्लै उर्फ केपी को मुंबई पुलिस की अपराध शाखा सोमवार की रात साढ़े 10 बजे एयर इंडिया की उड़ान से मुंबई ले आई। उस पर एक विधायक समेत हत्याओं, हफ्तावसूली, धमकियां देने जैसे कुछ मामले मुंबई की अदालतों में लंबित हैं। वह पहले भी गिरफ्तार हो चुका है।
मुंबई पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मिल कर किस तरह भगोड़े गिरोह सरगना कुमार पिल्लै उर्फ केपी का प्रत्यर्पण अभियान सिंगापुर में चलाया और कैसे उसे भारत लाने में सफलता हासिल की, वह अपने आप में बड़ी रोचक लड़ाई थी। इस कानूनी और पेचीदा लड़ाई की हर जानकारी इंडिया क्राईम ने हासिल की है।
ऐसे लाए केपी को
कुमार पिल्लै के प्रत्यर्पण की तमाम औपचारिकताएं सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद पुलिस उसे मुंबई ले आई। केपी को लेकर पुलिस दस्ता सोमवार रात 10.30 बजे पहुंचा। अपराध शाखा का दस्ता एयर इंडिया की उड़ान संख्या आईए-343 से केपी को लेकर वापस लौटा। उसे लेकर चुपचाप मुंबई पुलिस मुख्यालय जा पहुंचे।
अपराध शाखा ने पहले से ही अदालत से एक खास आदेश हासिल कर लिया था ताकी केपी को मुंबई पहुंचने पर हथकड़ी लगाई जा सके। उन्हें डर था कि हथकड़ी लगाने पर मानवाधिकार और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन व अवमानना का मामला बन सकता है। इसके कारण पहले से अदालत में अर्जी देकर हथकड़ी लगाने का आदेश हासिल कर लिया था।
केपी को फिलहाल 2013 का हफ्तावसूली के एक मामले में रिमांड लिया है। आरोप है कि केपी ने एक विधायक के भाई से हफ्तावसूली करनी चाही थी। उसने उक्त विधायक को फोन पर धमकाया था। अपने साथियों को मांगी गई रकम न देने पर हत्या की धमकी दी थी।
केपी को अगले दिन मोका अदालत में पेश किया, जहां उसे पुलिस हिरासत में रखने के आदेश हो गए। घाटकोपर में इकाई सात के पास चूंकी अपना हिरासत खाना नहीं है, इसके लिए केपी को पुलिस मुख्यालय में ही रखा है।
केपी का प्रत्यर्पण 18 मई 2016 को करने की इजाजत निचली अदालत से मिल गई थी। उसे निचली अदालत ने 15 दिनों का समय भी दिया था ताकी वह हाईकोर्ट में अपील कर सके।
मुंबई पुलिस की अपराध शाखा की इकाई सात का पांच सदस्यीय दस्ता केपी को लाने के इरादे से सिंगापुर गया था। केपी का मामला प्रभावी तरीके से सिंगापुर की अदालत में चलाने में सीबीआई ने भी मुंबई पुलिस की अपराध शाखा की काफी मदद की। केपी ने मुंबई पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए खासी कोशिशें की थीं। उसने यह स्थापित करने की बहुतेरी कोशिश की कि जिस कुमार पिल्लै को मुंबई पुलिस खोज रही है, वह असल में गलती से उसे मान रही है।
केपी की शिनाख्त
पुलिस के पास उसकी 26 सालों पहले हुई पहली गिरफ्तारी का आईडेंटीटी किट मौजूद था। उसके आधार पर सिंगापुर की अदालत में सीबीआई ने बेहद प्रभावी तरीके से पूरा मामला चलाया। निचली अदालत से केपी के प्रत्यर्पण का आदेश हो गया तो केपी ने हाईकोर्ट में अपील की। वहां भी मामले की गहन सुनवाई हुई लेकिन केपी बच नहीं सका।
एक अधिकारी के मुताबिक केपी के खिलाफ फिलहाल उनके पास हत्या का एक, हत्या की कोशिश के दो, हफ्तावसूली का एक और मोका के दो मामले दर्ज हैं। इन सभी में उसके खिलाफ मामले चलेंगे।
केपी ने हांगकांग की अदालत में भी कहा था कि चूंकी वह चीन का नागरिक है, अतः उसे भारत नहीं चीन प्रत्रपित किया जाए। उसे पता था कि चीन में चूंकी उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं, अतः वो आसानी से रिहा हो जाएगा और हांगकांग आकर फिर अपना काम जारी रख सकेगा।
पुलिस अधिकारियों ने केपी के खिलाफ सभी एफआईआर, उसका आईडेंटीटी किट, अदालती दस्तावेज पेश किए। फिंगरप्रिट जून 1990 में विकरोली थाने में अधिकारियों ने लिए थे। उसका जन्म प्रमाण पत्र और स्कूल का प्रमाण पत्र भी पेश किया था। उसके परिवार की पूरी जानकारी पेश की। उसकी मां द्वारा विकरोली में चलाए जा रहे स्कूल की पूरी जानकारियां पेश की थीं। वह तमिलनाडू मूल का निवासी है और उसके तमाम रिश्तेदार वहीं रहते हैं, यह जानकारी भी मय सबूत पेश की।
केपी के पास चूंकी भारतीय पासपोर्ट नहीं था, इसलिए अदालत ने भारतीय दूतावास के लिए एक आपात्कालीन दस्तावेज जारी किया ताकी उसे भारत प्रत्यर्पित किया जा सके।
भारतीय नागरिकता छोड़ी केपी ने
पुलिस अधिकारियों का दावा है कि केपी ने सन 2013 में भारतीय नागरिकता त्याग दी थी। उसने चीन की नागरिकता हासिल कर ली थी। उसने हांगकांग का पासपोर्ट हासिल कर लिया था। सन 2013 में उसने सिंगापुर स्थित भारतीय दूतावास में अपना पासपोर्ट जमा कर दिया था।
इस मामले में सिंगापुर स्थित दूतावास ने भारी गलती की थी। जब उसे केपी से पासपोर्ट वापस करने का आवेदन मिला था, उसी समय अगर सीबीआई को जानकारी दी जाती तो वह तभी गिरफ्तार हो सकता था। उसके खिलाफ पहले से ही इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी था।
केपी के मामले
केपी के हाथों की पूरी छाप तीन कागजों पर ली गई थी। उसमें से एक सेट विकरोली थाने, दूसरा सेट एमओयू में और तीसरा सेट अपराध शाखा के पास सुरक्षित था।
केपी के खिलाफ हालांकी छह मामले दर्ज हैं लेकिन पुलिस ने महज तीन मामलों में ही उसके खिलाफ प्रत्यर्पण हासिल किया है। कानूनी जानकारों का कहना है कि जिन मामलों में पुलिस ने प्रत्यर्पण लिया है, वे ही मामले अदालत में केपी के खिलाफ चलाए जा सकेंगे।
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