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कमाठीपुरा कथाएं: गिराहक 07: होमो

यहां पेश कमाठीपुरा की सच्ची कथाएं किताब ‘कमाठीपुरा‘ का हिस्सा नहीं बन पाईं। सभी पुस्तक-प्रेमियों के लिए लेखक विवेक अग्रवाल ने कुछ कहानियां इंडिया क्राईम के जरिए बतौर तोहफा पेश की हैं। आप भी आनंद उठाएं। – संपादक

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होमो

“अरे, तुम तो वही हो ना… श्रवण!? दीपक श्रवण!? बीबीसी में तुम्हारा इंटरव्यू देखा था…” ग्राहक ने चौंकते हुए कहा। उसके चेहरे पर आश्चर्यमिश्रित खुशी है।

दीपक समलिंगिक देहजीवा है, जो कई सालों से कमाठीपुरा में काम करता है। वो बहुत मुखर है। अपने देहजीवा होने को छुपाता नहीं, अपने समलिंगी होने से शर्मिंदा तो कतई नहीं।

“हां, उन लोगों ने मेरा इंटरव्यू किया था…” दीपक ने बिंदास स्वीकार किया।

“मुझे लगा था कि इस इंटरव्यू की बाद आप यहां नहीं मिलेंगे…”

“क्यों?”

“इतना फेमस होने के बाद कोई ऐसी जगह नहीं रहता…”

“अरे कुछ नहीं होता… हमें पूछता कौन है… हमारी दुनिया को तो हिंदी फिल्मों में भी सही तरीके से नहीं दिखाते…  ‘दोस्ताना’ पिच्चर में अभिषेक बच्चन का रोल बढ़िया था लेकिन हमें ठीक से नहीं दिखाया… हमारी प्रॉब्लम नहीं दिखाया…” दीपक के चेहरे पर नाखुशी छाई है, नाउम्मीदी भी उसमें घुली है।

“क्या ठीक नहीं था?”

“लोग होमो (समलैंगिक) पर खुल के बात नहीं करते… हमसे दूर भागते हैं… हम भी तो इंसान हैं ना…” दीपक ने ग्राहक की तरफ इस विश्वास से देखा कि वह उसकी बात से सहमति जताएगा।

“बात तो सही है…” ग्राहक ने सहमति जताई लेकिन दीपक को अभी भी तसल्ली नहीं है।

“हम कमाठीपुरा में धंधा करते हैं, हमें सब पता है… बैंकॉक में भी तो लेडीज बॉय होते हैं, उधर तो उनको कोई कुछ नहीं बोलता, तो हमें क्यों गलत बोलते हैं?”

“इसका जवाब मेरे पास नहीं है…” ग्राहक ने इंकार में सिर भी हिलाया।

“तो किसके पास है?”

“शायद किसी के पास नहीं…”

“छोड़ो वो सब, तुम बोलो क्या मांगता है?”

“रोज के तीन घंटे.. हर घंटे का पांच सौ रुपए…”

“कितने लोग बैठोगे!?” दीपक हैरान हुआ।

“मैं अकेला…” ग्राहक ने बताया।

“तीन घंटे अकेले!!! क्यों?”

“तुम्हारी बातें सुनूंगा…”

“क्यों?”

“मेरा शौक है, दुनिया के अलग-अलग पेशे, उम्र, इलाके के लोगों की जिंदगी में झांकता हूं, कुछ नया सीखता हूं…”

“तुमको ‘वो’ सब नहीं करना है?”

“नहीं…”

“मर्जी तुम्हारी, आ जाओ कल से…”

“शाम चार बजे आता हूं…” ग्राहक ने पांच सौ का एक नोट पकड़ाया, चला गया। दीपक नोट देखता रह गया। जामाईला, कैसे-कैसे गिराहक आते हैं!

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