Cyber Crime

CYBER SLAVES: ठगी के लिए मजबूर: दक्षिण एशिया में साइबर गुलामी

इंडिया क्राईम रिसर्च टीम

मुंबई, 3 जनवरी 2023

क्या आपको कभी किसी अजनबी से अप्रत्याशित टेक्स्ट या व्हाट्सएप संदेश प्राप्त हुआ है? हो सकता है कि उनके पास एक आकर्षक प्रोफ़ाइल चित्र हो और उन्होंने “हाय” के साथ बातचीत शुरू की हो। शायद उन्होंने आपसे नहीं बल्कि अपने किसी परिचित से  संपर्क का दावा किया होगा, इसके बावजूद उन्होंने आपसे बातचीत शुरू करने की कोशिश की। आप तब आश्चर्यचकित रह जाएंगे, जब ऑनलाइन डेटिंग मैच से आपको किसी निवेश के जरिए मोटी कमाई के बारे में बताना शुरु किया जाएगा।

यदि आपके साथ ऐसा कुछ हुआ है, तो संभव है कि आप एक ऑनलाइन “पिग बुचर” के टारगेट हों, जो तेजी से फैलता ऑनलाइन स्कैम है। पिग बुचर पीड़ितों को लूटने से पहले उनके साथ दोस्ती बनाता है। उसके बाद धीरे-धीरे उन्हें संदिग्ध ऑनलाइन एक्सचेंजों में पैसे लगाने के लिए पटाता है। इससे पहले कि वे उनके आपकी सारी कमाई लूट कर गायब हो जाएं, आपको सावधानी बरतनी होगी।

ऐसा करके, पिग बुचर्स ने दुनिया भर में शिकारों से चंद डॉलरों से सैकड़ों-हजारों डॉलर तक की रकम चुरा रहे हैं। इन घोटालों में शिकारों को ठगने के अलावा भी एक छिपा पहलू है, जिसमें मानव तस्करी शामिल है।

खतरनाक हैकिंग

जब आप इन घोटालों को अंजाम देने वाले लोगों की कल्पना करते हैं, तो आप स्कैमिंग स्क्रिप्ट का उपयोग करके भीड़ भरे टेलीमार्केटिंग कार्यालय या जटिल योजनाओं के जरिए पीड़ितों का शोषण करने वाले एक खतरनाक हैकर की छवि बना सकते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन घोटाला उद्योग तेजी से साईबर गुलामी से जुड़ गया है। एशिया में संगठित अपराध संगठनों ने दुनिया भर में गरीब समुदायों के व्यक्तियों की तस्करी, परिवहन और गुलाम बनाना शुरू कर दिया है, जिससे उन्हें साीबर शिकारों से धोखाधड़ी के लिए लंबे समय तक मजबूर होना पड़ता है।

साइबर गुलामी आश्चर्यजनक रूप से बड़ी घटना है, जो प्रौद्योगिकी और मानव तस्करी पर नवीनतम संकट है।

इंसानों की तस्करी

मानव तस्कर दक्षिण पूर्व एशिया में कंप्यूटर नौकरियों का विज्ञापन करने वाले ऑनलाइन नौकरी प्लेटफार्मों और फेसबुक लिस्टिंग के माध्यम से ताइवान, वियतनाम, थाईलैंड और अन्य देशों से पीड़ितों की भर्ती कर रहे हैं।

ये नौकरियाँ मोटा वेतन और स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती हैं। ये कमजोर और हताश लोगों को आकर्षित करती हैं, जिनमें से कॉलेज छात्र प्रचुर मात्रा में हैं।

तस्कर नौकरी में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को कंबोडिया, लाओस, म्यांमार या अन्य देशों में ले जाते हैं, जहां वे साईबर गुलामी का शिकार बन जाते हैं।

पीड़ितों के दस्तावेज़ जबरन रख लिए जाते हैं। उन्हें कर्ज बंधन में डाल दिया जाता है, जो श्रम शोषण का एक रूप है। इसमें पीड़ित अपने रोजगार से संबंधित कर्ज लेते हैं लेकिन अत्यधिक छुपी लागत, भारी ब्याज दरों और अन्य कारकों के कारण इसे चुकाने में कोई सफल नहीं हो सकता है।

साइबर गुलामी के मामले में, इन पीड़ितों को ऊपर चर्चा की तरह ऑनलाइन घोटाले चलाने के लिए मजबूर किया जाता है। शिकारों को ऑनलाइन जुए में फंसाया जाता है। कुछ मामलों में तो शिकारों के पास बचने का कोई रास्ता नहीं होने पर वेश्यावृत्ति में संलग्न किया जाता है।

चीनी माफिया का बोलबाला

कंबोडिया, लाओस, म्यांमार में, अक्सर चीनी आपराधिक सिंडिकेट आईटी पेशेवरों की तस्करी और शोषण करते हैं। उन्न पर लगातार कई स्तरों में निगरानी रखी जाती है। उनके सिर पर कई स्तरों में अधिकारी तैनात होते हैं, जो उनका मानसिक रूप से हर वक्त शोषण करते हैं। इन साईबर गुलामों को औद्योगिक स्तर की ठगी के संचालन में झोंक दिया जाता है, जो पारंपरिक कॉर्पोरेट कंपनियों के समानांतर होते हैं।

बिक्री टीमें (घोटालेबाज) ग्राहक (पीड़ितों) ढूंढती हैं। उन्हें संदिग्ध कंपनियों में निवेश करने के लिए पटाती हैं।

इस बीच, भर्तीकर्ता फर्जी नौकरी पोस्टिंग के माध्यम से नए आईटी पेशेवरों को आकर्षित करते हैं। उन्हें टेलीग्राम जैसे ऐप पर ऑनलाइन गुलाम बाजारों के जरिए अन्य गुलाम खरीदे जाते हैं।

प्रबंधक दैनिक कारोबार संभालते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि लक्ष्य पूरा करने वाले साईबर गुलामों को पुरस्कृत किया जाए, जो अपेक्षा पर खरा नहीं उतरे, उन्हें यातना दी जाए। कई बार तो ऐसे आईटी पेशेवरों को अन्य गिरोहों को ऑनलाइन बेचा जाता है।

खुला रहस्य

कुछ कंबोडियाई शहरों में यह खुला रहस्य है कि अपराध सिंडिकेट कैसिनो, कार्यालय भवनों, एक विशाल दस-गगनचुंबी इमारतों वाले बड़े परिसर में ठगी गिरोह चला रहे हैं।

माना जाता है कि सैकड़ों लोग यहां पर बतौर साईबर गुलाम काम कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि पीड़ितों की कुल संख्या पांच लाख तक होगी, हालांकि इस विषय पर डाटा मिलना संभव नहीं है।

चीन की दादागिरी

कंबोडियाई सरकार ने देश भर में छापेमारी करके इन साइबर गुलामी संगठनों पर नकेल कसनी शुरू की है। इसके बावजूद यह पता नहीं चल पा रहै है कि इन आपेमारी और प्रयासों का असर कितना और कैसा है। इस हस्तक्षेप ने कितना प्रभाव डाला है, यह बी तय नहीं हो पा रहा है।

चीन सरकार उन चीनी संगठित साईबर माफिया के खिलाफ कार्रवाई के लिए कतई तैयार नहीं दिखती है, जो खुलेआम ज्यादातर दक्षिण पूर्व एशियाई पीड़ितों को गुलाम बनाने और उनकी तस्करी में मुब्तिला हैं। पता चला है कि ये गिरोह अपनी सारी कमाई चीन ले जाते हैं, जिसके कारण चीन सरकार को भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा हासिल हो रही है।

कुछ हो तो रहा है

साईबर गुलामी के इस नए रूप की प्रकृति और गंभीरता के बारे में अंतर्राष्ट्रीय जागरूकता बढ़ रही है।

कंबोडिया की साइबर गुलामी के स्तर ने अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा मानव तस्करी रिपोर्ट 2022 में कंबोडिया को टियर 3 तक डाउनग्रेड करवा दिया, जो सबसे कम रेटिंग है।

कंबोडिया में अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता, चाड रोडेमियर ने कहा, “2022 टीआईपी रिपोर्ट ऑनलाइन घोटाले के संचालन और संबंधित तस्करी अपराधों के साथ-साथ स्थानिक भ्रष्टाचार और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी पर प्रकाश डालती है, जो तस्करों को जवाबदेह ठहराने में प्रगति को सीमित करती है।”

बढ़ती समस्या

मानव तस्करी विरोधी शोधकर्ताओं और पैरोकारों ने साइबर गुलामी को एक बढ़ती समस्या के रूप में पेश किया है।

यह घटना तकनीकी रूप से सूचित तस्करी विरोधी रणनीति के महत्व को दर्शाती है। तेजी से लगातार बदलते तकनीकी परिदृश्य में, तस्कर भी नए-नए तरीके खोज रहे हैं। वे अपने लाभ के लिए मानव तस्करी और साईबर गुलाम के लिए स्थापित और उभरती प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं।

निरंतर बदलते हालात का प्रभावी ढंग से उत्तर देने के लिए, सरकारों और शोधकर्ताओं को मानव तस्करों की तरह चुस्त और साधन संपन्न होना होगा। अपने तस्करी विरोधी उपायों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना होगा।

हमें कुछ करना होगा

वैश्विक समाज को साईबर गुलामी के खिलाफ अपनी भूमिका के बारे में समझ बढ़ानी होगी। मानव तस्करी रोकने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग की क्षमता को मजबूत करना होगा।

ह्यूमन राइट्स वॉच के एशिया निदेशक फिल रॉबर्टसन कहते हैं कि इन आसबई गिरोहों के खिलाफ ऑपरेशनों का दायरा और मानवाधिकारों के हनन की जो छूट कंबोडिया, लाओस, म्यांमार और अन्य देशों के तानाशाही शासन में मिलती है, वह अराजक समाज का एक चौंकाने वाला अस्वीकार्य अभियोग है।

यह जरूरी है कि हम इस बढ़ते संकट के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हरसंभव कोशिश करें ताकि आईटी पेशेवरों को अच्छी नौकरी के झूठे वादों के जरिए इन साईबर गुलामी केंद्रों में पहुंचने से रोका जा सके। वर्तमान में आधुनिक साइबर-गुलामी में फंसे लोगों को आजादी हासिल करने में मदद मिल सके।

साभार

मूल लेख Forced to Scam: Cyber Slavery in South Asia by Brendan Hyatt. Brendan Hyatt is a Research Fellow at Human Trafficking Search. https://humantraffickingsearch.org/forced-to-scam-cyber-slavery-in-south-asia/

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