महामारी कोरोना में फर्जी खबर पर जेल जाने के लिए तैयार रहें
समीर शर्मा
मुंबई, 11 अप्रैल 2020
अब इस महामारी के लॉक डाउन पीरिएड में सोशल साइट्स पर कंटेंट/ न्यूज़ / पोस्ट / वीडियो / फोटो डालने से पहले 100 बार सोच-समझ लें।
यदि उससे समाज की एकता, शांति या व्यवस्था भंग होती है, तो आप पर आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है।
संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (A) के तहत सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी दी गई है।
इंटरनेट और सोशल मीडिया ने इसे प्रोत्साहित करने में अहम रोल निभाया है।
अभिव्यक्ति की यह आजादी उसी सीमा तक है, जहां तक आप किसी कानून का उल्लंघन नहीं करते हैं और दूसरे को आहत या नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
फेक न्यूज और अफवाह सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती
- राष्ट्रीय आपदाओं जैसे कि नोवेल कोरोना वायरस – कोविड-19 जैसी आपदा के समय में फर्जी समाचार, गलत सूचना या अफवाहें फैलाना, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के संबंधित धाराओं के तहत अपराध है।
- हाल ही में देश में अफवाह के चलते ऐसे कई बड़े अपराध इस महामारी के समय में हुए हैं।
- सोशल मीडिया से न सिर्फ लोगों के बीच अफवाह फैल रही है बल्कि लोगों में इससे डर का माहोल भी बनने लगा है।
- ऐसा करते पकड़े जाने पर उसके खिलाफ महामारी अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 व आइपीसी की विभिन्न धाराओं और आईटी एक्ट 2000/8 के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर भड़काया तो आजीवन कैद तक की सजा
- इसमें कोई शख्स दो समूहों या वर्गों के बीच नफरत फैलाने के लिए कोई रिपोर्ट या स्टेटमेंट जारी करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा-505 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है।
- सोशल मीडिया पर ऐसी अफवाह की वजह से आईटी एक्ट 2000, आईटी एक्ट 2008 (एमेंडमेंट) के तहत आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
- इसमें पुलिस सीधे गिरफ्तार कर सकती है।
कौन-कौन से मामले इसके अंतर्गत आते हैं?
- अफवाह फैलाने / फेक न्यूज़ के मामले, यानी जो तथ्य या घटना नहीं है, जो असत्य है।
- उसे समाज में सोशल मीडिया के माध्यमों फेसबुक, ट्विटर, टिकटॉक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम जैसे तमाम मैसेजिंग एप्स आदि से सरकार की नीति-नियमों को तोड़-मरोड़कर पेश करना।
- अशांति फैलाने के उद्देश्य से किए मैसेजेस / वीडियो सन्देश / फोटोग्राफ़, ऑडियो मैसेजेस, चैट्स, ईमेल आदि फैलाना शामिल है।
कौन-कौन से एक्ट के तहत दर्ज हो सकती है FIR?
- डाटा या आंकड़े गलत तरीके से पेश करना – धारा 71
- आपसी विश्वास और निजता भंग करने से संबंधित प्रावधान – धारा 72 ए
- आपत्तिजनक सूचनाओं के प्रकाशन से जुड़े प्रावधान – धारा 67
- किसी की निजता भंग करने के लिए दंड का प्रावधान – धारा 66 ई
- साइबर आतंकवाद के लिए दंड का प्रावधान – धारा 66 एफ
- आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 और आईपीसी (IPC) की धारा – 505
देश में 68 करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर्स
- भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोशल मीडिया यूजर बेस देश है।
- Statista 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 68.8 करोड़ इंटरनेट यूज़र्स और 62 करोड़ मोबाइल इंटरनेट यूजर्स हैं।
- इनमें से 40 करोड़ लोग सोशल मीडिया रोजाना उपयोग में लाते हैं।
- भारत में सोशल मीडिया सबसे बड़ा कंटेट प्लेटफॉर्म बन गया है।
- बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने मैसेजिंग एप्स निशुल्क में बाजार में डाल दिए हैं।
- इसमें सबसे बड़ा प्ल्येयर फेसबुक है, जो फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सएप के साथ मार्केट लीडर है।
नेटीकेट्स -एक बड़ी ज़रुरत – IEC की कमी
- हमारे देश के यूज़र्स कर्टसी और क़ानून दोनों के मामले में अनभिज्ञ और इग्नोरेंस का शिकार हैं।
- हमारे देश में इन्टरनेट, सोशल मीडिया के उपयोग संबंधित IEC यानी इन्फार्मेशन, कम्यूनिकेशन और एजूकेशन, तीनो बेहद कम हैं।
- इसी का फायदा अभी उठाया जा रहा है। यह अवेयरनेस जितनी जल्दी बढ़ेगी, उतनी ही जल्दी फेक न्यूज़ और अफवाहों पर कंट्रोल आएगा।
- आईटी इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार विभाग के निदेशक दिलीप कोनाथम कहते हैं, “फर्जी खबरों, गलत सूचनाओं और अफवाहों के प्रसार के कारण सरकारों के लिए इसे रोकना एक बड़ी चुनौती बन गई है।”
एडमिन या यूज़र्स होंगे जिम्मेदार
- गलत सूचना और अफवाह फैलाने के लिए “वॉट्सऐप, फेसबुक पेज / ग्रुप्स जैसे डिजिटल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के ग्रुप एडमिन को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
- ऐसा करने पर कानून के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। इस नियम की ज़द में न्यूज़ चैनल, अखबार भी शामिल हैं।
बड़ी कंपनियों के भविष्य की योजना
- फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियां इसे रोकने के लिए कड़े नियम, पॉलिसीज़ पर कार्य कर रही हैं।
- जल्दी ही वे नए एक्शन बटंस जैसे रिपोर्ट / फेक / डाउट पोस्ट / न्यूज़ प्लान कर रही है ताकिअफवाहों और फेक पोस्ट फ्लैग की जा सकें।
- इन्फोर्मेशन सिस्टम और सोशल मीडिया से ये आपत्तिजनक और गलत पोस्ट हटाई जा सकें।
सरकार के प्रयास
- सरकार भी नए-नए पोर्टल्स जैसे कोविड-19 के लिए तैयार किया है ताकि सही डाटा रीयल टाइम में सबके बीच पहुंच सकें।
- इसी सोर्स से सभी न्यूज़ चैनल, अखबार और एजंसीज को भी सही और सटीक जानकारी देने की योजना है।
कोविड १९ के लिए एक डेडिकेटेड पोर्टल – https://www.mygov.in/covid-19/
तो आपको चाहिए कि जब तक खबर या मैसेज का सोर्स वैरिफाई न कर लें, इसे आगे फॉरवर्ड न करें। नहीं तो यह आपको सीधे जेल भेज सकती है।
समीर शर्मा
सायबर कंसलटेंट, मेंटर और पॉजीटिव जर्नलिस्ट
माइक्रोसॉफ्ट, ओरेकल और सिस्को से सर्टिफाइड टेक्नोक्रेट
समीर शर्मा से संपर्क – unitetheworld@gmail.com
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