अंडरवर्ल्ड के किरदार, कहानी, कायनात बताता उपन्यास ‘क्लीनर’: विवेक अग्रवाल
किरदार, कहानी, कायनात… ‘क्लीनर’ भी इन तीन शब्दों में बयान हो जाती है।
दुनिया भर में पहसे अंडरवर्ल्ड या माफिया अथवा संगठित अपराधी गिरोहों की दुनिया में कैसे-कैसे काम हैं, किस-किस तरह की विशेषज्ञता वाले लोग हैं, यह बाहरी दुनिया को जरा भी अंदाजा नहीं। वे तो बस चंद बड़े नाम ही सुनते हैं, हाजी मिर्जा मस्तान, करीम लाला, वरदा भाई, अशोक जोशी, बड़ा राजन, दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन, अरूण गवली, अली बुदेश, अमर नाईक… जो खबरों में छाए रहते हैं। इनके आसपास ही कुछ ऐसे भी किरदार हैं, जो इस अधियाले संसार में गुम हैं। उनका वजूद है, लेकिन कहीं दिखते नहीं। उनके नाम और काम कोई नहीं जानता लेकिन वे अंडरवर्ल्ड की रचना से उसके मूल कार्य ‘विध्वंस’ तक तक, सब कुछ करते हैं।
इन किरदारों और उनके संसार तक पहुंच न आमजन की है, न साहित्य सर्जकों की। उपन्यास के लेखक विवेक अग्रवाल कहते हैं, “मुझे उनके संसार में झांकने और समझने का सुनहरा मौका मिला, तो मन हुआ कि इनकी कहानियां भी कही जाएं। यह आखिरकार समाज का अभिन्न अंग है, जिसके हर कामकाज और किरदार पर रोशनी डाली जानी चाहिए।”
विवेक का यह भी कहना है, “इस विचार क्रम में माफिया सिरीज में कहानियों की रचना आरंभ हुई। लघु एवं बड़ी कहानियां रचीं लेकिन उनमें कई किरदारों और उनकी कायनात को समेटना संभव न लगा, तो उन्हें उपन्यासों की शक्ल में लाना मुनासिब समझा। मेरा कथा संग्रह रक्तगंध, जिसमें अंडरवर्ल्ड और जरायम पर नौ कहानियां हैं, आपने पढ़ी होगी, तो मेरी इस छटपटाहट से आप वाकिफ हुए होंगे।”
विवेक आगे कहते हैं, “वो कौन से किरदार होंगे? जब यह सवाल उठा, तो उसका जवाब खोजा। तय हुआ कि ऐसे संगठित अपराधी गिरोहों के ऐसे किरदारों और कामकाजियों पर काम किया जाए, जो अनजाने हैं। जिनके बारे मे कोई कुछ नहीं जानता है। ये किरदार, उनके कामकाज और कायनात, सब कुछ पाठकों को चौंकाएगे। उन्हें अधिकाधिक पढ़ने के लिए मजबूर करेगी।”
लेखक का कहना है कि इसे ही ध्यान में रखते हुए सबसे पहले क्लीनर की रचना हुई। अंडरवर्ल्ड के कई पेशों की अंदरूनी तौर पर टोह ले चुका हूं। उन्हें अपनी कलम से उकेर कर पाठकों के सामने पेश करने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकि है।
विवेक दावा करते हैं कि क्लीनर के पीछे-पीछे माफिया सिरीज में कई किताबें आएंगीं, जो इस काली दुनिया के तमाम सच बेपर्दा करती चलेंगीं।