Books: क्लीनर: अंडरवर्ल्ड के खतरनाक पेशे पर केंद्रित उपन्यास (माफिया सिरीज)
मुंबई अंडरवर्ल्ड अनगिन रहस्य समेटा कहानियों का समंदर है। इसमें काले मोतियों की भरमार है, बस किसी के अंदर तक गोता लगा कर बाहर निकाल लाने की देर है। किताब क्लीनर में लाशें ठिकाने लगाने वाले पेशेवरों की पूरी दास्तान है, जो आपको हर हर्फ के साथ चौंकाती है। क्लीनर पाठक को तब तक खुद से जोड़े रखती है, जब तक कि वह इसे खत्म न कर ले।
मुंबई अंडरवर्ल्ड की जुबान में क्लीनर का मतलब लाश का पोटला करने वाला’ है। ‘पोटला’ बोले तो ‘लाश को ऐसे ठिकाने लगाना, किसी को पता-ठिकाना ना मिले।’
मुंबई अंडरवर्ल्ड में पोटला करने के माहिर लोगों की सेवाएं हमेशा नहीं ली जाती हैं। जब ऐसा मर्डर किया जाए, जिसके बारे में किसी को कानों-कान पता ही न चले, तब पोटला करवाया जाता है।
अंडरवर्ल्ड को यूं तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता कि कोई लाश गिरे, पुलिस आए, पंचनामा करे। उनकी बला से। उनके शूटरों ने अपना काम कर दिया, अब पुलिस और रिश्तेदार अपना काम करें।
मुंबई शहर के तीन गिरोहों के बीच आपस में जोरदार मारकाट मची रहती है। हर दूसरे-तीसरे दिन किसी जौहरी, उद्योगपति, फिल्मी हस्ती, कारोबारी, होटल मालिक की लाश सड़क पर गिर रही हैं।
इस दौर में गिरोहों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी एक-दूसरे के खबरियों, सहयोगियों, फाइनेंसरों, डबल क्रॉस एजेंट्स को ठिकाने लगाना रहा है। इनकी लाश तो वे गिरा देते हैं, उसके बाद मौके से लाशें हटाने का काम भी होता है। इसके लिए ही प्रेम की सेवाएं ली जाती हैं।
कई बार खुफिया और जांच एजंसियों के अफसरों और कर्मचारियों की हत्या के बाद लाशें ठिकाने लगाने और साफ-सफाई का काम प्रेम को मिलता है लेकिन वह उनमें हाथ नहीं डालता है।
मर्डर के बाद डेड बॉडी ठिकाने लगाने में प्रेम राज देश का सबसे बड़ा उस्ताद है। अंडरवर्ल्ड में उसे सब ‘सुपर क्लीनर सर्विस’ के नाम से जानते हैं। असली नाम अली शाह चौधरी है। प्रेम राज नाम से ही वह ‘खास सेवाएं’ देता है।
ऊपरी तौर पर तो प्रेम सुपर पेस्ट कंट्रोल एंड क्लीनर्स नामक कंपनी का डायरेक्टर है। उसमें प्रेम के साथ बचपन के दो दोस्त सरदार मोंटू सिंह और जोसफ पिंटो भी हैं।
सुपर पेस्ट कंट्रोल के बैनर में बाकायदा पेस्ट कंट्रोल के काम होते हैं लेकिन इन तीनों की असली कमाई का काम तो डेड बॉडी ठिकाने लगाने का ही है।
प्रेम और उसके साथी लाशे ठिकाने लगाने के लिए एक से एक नायाब तरकीबें खोजते हैं।
प्रेम के पिता मोहम्मद अब्दुल करीम चौधरी संस्कृत और वेदों के ज्ञाता हैं। उन्हें दुनिया पंडित चौधरी के नाम से जानती और पुकारती है।
एक ऐसा वक्त आता है कि पिता-पुत्र में एक लड़की से शादी को लेकर ठन जाती है। पिता कहते हैं कि प्रेम को जिस लड़की रिश्ता आया है, उससे शादी करनी है। प्रेम इससे इंकार करता है। बाप-बेटे में रिश्ते खराब होने लगते हैं। अततः वह पिता का सम्मान करते हुए लड़की से शादी करने के लिए तैयार हो जाता है।
लड़की उसे मिलने के लिए आरे कॉलोनी के पहाड़ पर बुलाती है, जहां लड़की बताती है कि इस दिन का इंतजार कर रही था क्योंकि वह अपने बाप के हत्यारे को सजा देना चाहती थी। मजबूरन प्रेम को बताना पड़ा कि वह तो सिर्फ बॉडी क्लीनअप के लिए गया था। लड़की नहीं मानती है। प्रेम अब क्या करेगा?
To Be A Feature Film Soon