Mumbai Mafia: Secrets of Haji Mastan: Part 04: मस्तान की अंग्रेजी में सुधार का किस्सा भी अजब है
इंद्रजीत गुप्ता
मुंबई, 27 फरवरी 2023।
हाजी मस्तान के बारे में यह तथ्य सब जानते हैं कि वह अशिक्षित था। वह जब आठ साल की उम्र में मुंबई आया तो खाने-कमाने के लिए पिता के साथ दिन-रात मेहनत-मशक्कत में लगा रहा। उसे पढ़ने का मौका ही नहीं मिला। इसके बावजूद एक वक्त ऐसा आया, जब मस्तान अच्छी अंग्रेजी बोलने लगा था। उसके मुंह से अंग्रेजी सुन कर कई पुराने लोग भौंचक्के रह जाते थे।
हाजी मस्तान भले ही नामचीन सोना-चांदी तस्कर रहा लेकिन उस पर कभी किसी अदालत में गुनाह साबित नहीं हुआ, न किसी मामले में वह कभी जेल गया। यह बात और है कि हाजी मस्तान को आपात्काल में इंदिरा गांधी ने जेल की सलाखों के पीछे ठूंस दिया था।
हाजी मस्तान इमरजेंसी में 18 महीने जेल में बंद था। यहीं मस्तान ने इंग्लिश सीखी थी। कहा जाता है कि मस्तान ने 18 महीने जेल में वक्तकटी के लिए इंग्लिश पढ़ाने वाला एक ट्यूटर रखा था। मस्तान का दिमाग बचपन से ही बहुत तेज था। वह बहुत जहीन था।
जब वह बाहर आया तो लोगों ने यह देख कर दांतों तले अंगुली दबा ली कि जो बंदा सिर्फ अपनी मातृभाषा जानता था, उर्दू और हिंदी में जिसका हाथ बड़ा तंग था, वह आज बड़े दानिशमंदों और अफसरान को भी लजा देने वाली अंग्रेजी बोल रहा है। जेल से लौटा मस्तान ऐसे इंग्लिश बोलता मानों बड़ा ग्रेजुएट हो। इसके बाद मस्तान को देखने का अंदाज और नजरिया भी लोगों में बदल गया था।
मस्तान खुद भले ही पढ़ न सका लेकिन अपनी अस कमी को वह भली तरह जानता था। उसे लगता था कि दुनियावी इल्म से ही नहीं बल्कि शिक्षा से ही इंसान बड़े काम कर सकता है। यही कारण है कि वह पढ़ने-लिखने में अच्छे छात्रों को दिल खोल कर रकम देता था। उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाता था।
मस्तान हमेशा कहता था कि बेटे पढ़ा-लिखा करो। खूब पढ़ो-लिखो, नाम रोशन करो। तेरा बाप पैसा नहीं देगा, तो मैं दूंगा। मेरे पास बेझिझक आना। कभी भी पढ़ाई-लिखाई में कुछ कमी आए तो मुझसे मिलना।
मस्तान को शायरी और मुशायरे का भी बहुत शौक था। मस्तान, दिलीप कुमार उर्फ युसूफ खान और करीम लाला की गहरी मित्रता थी। ये तीनों मुशायरों और कव्वाली के आयोजनों व महफ़िलों में अमूमन साथ दिखते थे।
हाजी मस्तान का बांबे गैरेज
गिरगांव चौपाटी के पास मस्तान का बहुत बड़ा एक गैरेज था, जिसका नाम बांबे गैरेज था। वहां हर तरह के चौपहिया वाहनों की मरम्मत होती थी। मस्तान का यह धंधा बहुत फल-फूल रहा था। मस्तान को इस धंधे से काफी फायदा हो रहा था।
मस्तान को मर्सिडीज कारों का बड़ा शौक था। वह 200डी मर्सिडीज कार में सफर करता था। एकदम सफेद रंग की मर्सिडीज थी। वो जब भी कहीं बाहर जाते, तो कार के बाहर पैर निकलते ही लोग समझ जाते थे कि हाजी मस्तान आ गया है।
मस्तान की मस्तानी आंखें
हाजी मस्तान की आंखें काफी बड़ी थीं। कहा जाता है कि कुदरत ने उन्हें जो आंखें दीं, वे बोलती थीं। उनकी आंखें बड़ी नशीली होती थीं। बहुत सी लड़कियां मस्तान पर मरा करती थीं।
सफेद सूट पर तिरछी टोपी
मस्तान हमेशा सफेद कपड़े पहनता था। मस्तान जूता और टोपी भी सफेद ही पहनता था। मखमली टोपी थोड़ी सी तिरछी पहनता था। मस्तान को सफेद सफारी सूट पहनना बहुत पसंद था।
जारी…अगले अंक में पढ़ें: Secrets of Haji Mastan: Part 05: हाजी मस्तान – करीम लाला औऱ दिलीप कुमार को बेटे न होने का दुख