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Mumbai Mafia: Secrets of Haji Mastan: Part 02: मस्तान का जनाजा उठा तो मुंबई बंद हो गया

इंद्रजीत गुप्ता

मुंबई, 25 फरवरी 2023।

हाजी मस्तान का सारा कामकाज हज हाऊस और क्राफर्ड मार्केट के आसपास ही होता था। उसके चाहने वाले लोग तो पूरे देश भर में फैले हुए थे। चाहने वालों ने तय किया कि हाजी मस्तान का शव हज हाऊस की मस्जिद ले गए। इसी मस्जिद में उनका जनाजा रखा गया। यहीं से उनका जनाजा उठा और हजारों लोगों ने इसे कंधा दिया था।

बात यहीं खत्म नहीं हुई। मस्तान का कोई लड़का न था। तीन लड़कियां ही थीं। पहली लड़की शमशाद, दूसरी लड़की कमरुन्निसा, तीसरी मेहरून्निसा हैं। एक लड़की जुहू में रहती थी जबकि दूसरी इंग्लैंड और तीसरी अमरीका में सादी के बाज जा बसी।

मस्तान के अंतिम संस्कार याने दफनाने में पेंच फंस गया। यह तब तक पूरा नहीं हो सकता था जब तक उनकी तीनों बेटियां नहीं आ जातीं। उनका भी पिता के अंतिम दर्शन करने का हक तो बनता ही था।

इससे भी सबसे बड़ी बात थी कि मस्तान का साढ़ू भाई नसरुद्दीन अब्दुल करीम उर्फ बाबाजी भी मुंबई में मौजूद न थे। वे ही मस्तान का पूरा कामकाज संभालते थे। हाजी मस्तान को दिल का दौरा पड़ा, तब वे तिजारत के लिए अजमेर शरीफ गए हुए थे।

किसी तरह अजमेर शरीफ में नसीरुद्दीन अब्दुल करीम उर्फ बाबाजी से लोगों ने संपर्क किया। उन्हें इस अनहोनी की खबर दी। उनसे फौरन मुंबई आने के लिए कहा। लोगों ने उन्हें बताया कि आपके बिना जनाजा नहीं उठेगा। नसीरुद्दीन ने चार्टर्ड प्लेन का इंतजाम करवाया लेकिन इस प्रक्रिया में भी तकरीबन 24 घंटे लगने थे। किसी और तरीके से फौरन मुंबई पहुंचना संभव न था।

मस्तान का यह करीबी बताता है कि वह जून का महीना था। बहुत तेज गर्मी पड़ रही थी। लोगों का कहना है कि इस देरी के बीच मस्तान का शव खराब होना शुरू हो गया। यह बात और है कि शव को सुरक्षित रखने के लिए चारों तरफ काफी सारी बर्फ की सिल्लियां लगाई थीं। शव के सामने पंखा भी लगाया ताकि वहां की हवा बाहर निकलती रहे। इसके बावजूद मुंबई की नमी और गर्मी में शव में खराबी आने लगी।

जनाजे की नमाज पढ़ना बड़ा शवाब माना जाता है, जिसके चलते मस्तान का शव हज हाऊस के मस्जिद में रखा था। जितने अधिक लोग नमाज पढ़ेंगे, जनाजे को उतना अधिक शबाब मिलेगा।

मस्जिद में रखी मस्तान की लाश के करीब सैंकड़ों लोग जमा हो चले थे। पूरी सड़क पर जनसैलाब था। पूरा मोहल्ला पूरी रात शव की देखभाल करता रहा। मस्तान यहीं बड़े हुए, यहीं फले-फूले, यहीं नाम और नांवा कमाया था। यहां के लोगों को उन्हों ने मुक्त हाथों मदद की थी। उनके लिए इलाके के लोगों में अगाध श्रद्धा थी। यही कारण रहा कि इलाके के लोग पूरी रात शव के करीब ही रहे।

मस्तान के साथ ही बंगले में नसरुद्दीन रहते थे। नसरुद्दीन को मस्तान ने ही पाला और बड़ा किया था। नसरुद्दीन का परिवार नहीं था। मस्तान ने उसकी शादी भी अपनी बीवी शाहजहां की बहन याने अपनी साली से करवाई थी।

नसरुद्दीन और मस्तान की तीनों बेटियां जब आए, तब जाकर कहीं जनाजा उठा। हजारों लोगों की भीड़ के बीच यह जनाजा मरीन लाइंस के पांच सोनापुर गली के बड़ा कब्रिस्तान में पहुंचा। बड़े कब्रिस्तान में मस्तान का 12 गुणा 12 की खरीदी हुई जगह (ओटा) था। यहीं मस्तान के ही परिवार वालों को दफन किया जाता है। लोगों ने मस्तान की कब्र पर इतने फूल चढ़ाए कि पूरा कब्रिस्तान उनकी महक से भर गया था।

मस्तान का शव हज हाऊस से उठाया जा रहा था, तब पुलिस ने भी उनके करीबियों से पूछा कि किस रास्ते से शवयात्रा निकालोगे? कारण था कि पुलिस को इतनी भीड़ को काबू करना था। मस्तान के जनाजे की खबर बीबीसी लंदन न्यूज़ चैनल पर भी प्रसारित हो चुकि थी कि मुंबई के पहले डॉन हाजी मस्तान की मौत हो गई है। उनकी शवयात्रा किस दिन, कितने बजे निकलेगी। इसके कारण भी दूर-दूर से लोग मस्तान की अंतिम दर्शनों के लिए आए थे। इतनी भीड़ तो मुंबई में कभी किसी के निधन पर आज तक नहीं देखी गई थी। इतनी भीड़ थी कि इंसानों के सिर ही सिर नजर आ रहे थे। इस जनसमंदर को गिन पाना असंभव था।

2007-08 में नसरुद्दीन की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। उसका जनाजा भी मस्तान की तरह ही हज हाऊस में रखा और उठा था।

जारी…

अगले अंक में पढ़ें: Secrets of Haji Mastan: Part 03: संपत्ति विवाद ने नसीरुद्दीन अब्दुल करीम को तोड़ दिया

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